पहले से ही आर्थिक संकट से जूझ रहे दुनिया के कई देशों पर रूस के एक फैसले से भुखमरी का खतरा और बढ़ गया है।
रूस ने शनिवार को कहा था कि वह संयुक्त राष्ट्र की मध्यस्थता से हुए अनाज निर्यात समझौते के क्रियान्वयन को तत्काल निलंबित करेगा।
इस समझौते की वजह से यूक्रेन से नौ करोड़ टन से अधिक अनाज का निर्यात हुआ था और वैश्विक स्तर पर खाद्य कीमतों में कमी आई थी।
लेकिन अब रूस के फैसले से चिंताएं एक बार फिर से बढ़ने लगी हैं। भारत जैसे मित्र देश ने भी रूस के इस कदम पर चिंता व्यक्त की है।
रूस के फैसले पर भारत ने जताई चिंता
भारत ने कहा है कि संयुक्त राष्ट्र की मध्यस्थता से हुए काला सागर अनाज समझौते को निलंबित किए जाने से दुनिया के सामने मौजूद खाद्य सुरक्षा, ईंधन और उर्वरक की आपूर्ति संबंधी चुनौतियां और बढ़ने की आशंका है।
इस समझौते के तहत रूस के साथ जारी युद्ध के बीच यूक्रेन से खाद्य सामग्री का निर्यात किया जा रहा था।
संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी मिशन में काउंसलर आर. मधुसूदन ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र महासचिव के प्रयासों के परिणामस्वरूप हुए अनाज समझौते का उद्देश्य वैश्विक खाद्य संकट को टालना और खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करना है।
काला सागर अनाज समझौते पर सोमवार को सुरक्षा परिषद की ब्रीफिंग के दौरान मधुसूदन ने कहा, “काला सागर अनाज समझौते और पक्षों के बीच सहयोग ने अब तक यूक्रेन में शांति के लिए आशा की एक किरण पैदा की थी…हमारा मानना है कि काला सागर अनाज समझौते के निलंबन से दुनिया और विशेष रूप से दक्षिणी हिस्से के सामने खाद्य सुरक्षा, ईंधन और उर्वरक आपूर्ति चुनौतियां और बढ़ने की आशंका है।”
उन्होंने कहा कि भारत “यूक्रेन व रूस से खाद्य एवं उर्वरक के निर्यात की सुविधा शुरू करने और समझौते को नया रूप देकर उसके पूर्ण कार्यान्वयन” की संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुतारेस की अपील का समर्थन करता है।
रूस ने क्रीमिया प्रायद्वीप में स्थित यूक्रेन के बंदरगाह सेवस्तोपोल में अपने जहाजों पर हमले का हवाला देते हुए शनिवार को समझौता निलंबित करने की घोषणा की थी। गुतारेस ने कहा था कि वह काला सागर अनाज समझौते के संबंध में मौजूदा स्थिति के बारे में बहुत चिंतित हैं।
रूस ने यूक्रेन के साथ अनाज सौदे को निलंबित किया, वैश्विक चिंता बढ़ी
अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने चेतावनी दी कि यूक्रेन के अनाज का निर्यात करने के समझौते को रूस द्वारा निलंबित करने से वैश्विक भुखमरी बढ़ेगी।
डेलवेयर के विल्मिंगटन में बाइडन ने कहा, ‘‘यह वाकई अपमानजनक है। वे क्या कर रहे हैं, उसका कोई मतलब नहीं है।’’
रूस ने घोषणा की थी कि वह समझौते के क्रियान्वयन को तत्काल रोक देगा। उसने आरोप लगाया कि यूक्रेन ने शनिवार को रूस के काला सागर बेड़े के जहाजों पर ड्रोन से हमला किया था।
इस समझौते की वजह से 397 जहाजों के जरिये यूक्रेन से 90 लाख टन से अधिक अनाज का निर्यात हुआ था और वैश्विक स्तर पर खाद्य कीमतों में कमी आई थी। इसका नवीनीकरण नवंबर में होना था।
यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की ने कहा कि इस फैसले का अनुमान पहले ही लगाया जा सकता था।
उन्होंने कहा कि रूस सितंबर से ही जानबूझकर खाद्य संकट बढ़ा रहा है। जेलेंस्की ने कहा कि इस समय अनाज से भरे करीब 176 जहाजों को यूक्रेन के बंदरगाहों से निकलने से रोका गया।
उन्होंने शनिवार की रात देश के नाम अपने संबोधन में कहा, ‘‘यह 70 लाख से अधिक उपभोक्ताओं के लिए भोजन है। ऐसा क्यों है कि क्रेमलिन में कहीं बैठे हुए मुट्ठीभर लोग फैसला कर सकते हैं कि मिस्र या बांग्लादेश में लोगों को भोजन मिलेगा या नहीं।’’
रूस के कदम की अंतरराष्ट्रीय आलोचना
रूस के इस कदम की अंतरराष्ट्रीय स्तर पर आलोचना हो रही है।
यूरोपीय संघ विदेश नीति के प्रमुख जोसेफ बोरेल ने रविवार को एक ट्वीट में रूस से उसके फैसले को बदलने को कहा।
संयुक्त राष्ट्र महासचिव के प्रवक्ता स्टीफन दुजारिक ने कहा कि वैश्विक संस्था रूस के अधिकारियों के साथ संपर्क में है और यह जरूरी है कि सभी पक्ष अनाज संबंधी गतिविधियों को बाधित करने वाली कार्रवाई से बचें।
मास्को ने इस महीने की शुरुआत में यूक्रेन के विद्युत संयंत्रों, जलाशयों और अन्य महत्वपूर्ण केंद्रों पर मिसाइल और ड्रोन हमले तेज कर दिये थे जिसे यूक्रेन की 40 प्रतिशत बिजली प्रणाली तबाह हो गयी।
रूसी राष्ट्रपति कार्यालय क्रेमलिन के प्रवक्ता दमित्री पेस्कोव ने सरकारी टेलीविजन से रविवार को कहा कि रूस शांति वार्ता के लिए तैयार है, लेकिन जोर देते हुए कहा कि यह वाशिंगटन के साथ होनी चाहिए, वह जिसे रूस कीव के विचारों का ‘मास्टरमाइंड’ मानता है।