कारगिल की जंग के बाद से भारतीय सेना को हाई अल्टीट्यूड वाले इलाके में लड़ी जाने वाली जंग के लिए तैयारी को तेज कर दिया गया है।
साल 1999 में शुरू हुए सेना के आधुनिकीकरण के प्लान में आर्टीलरी तोपें सबसे अहम थीं, जिसमें साल 2027 तक 2800 तोपें भारतीय सेना में शामिल करने का लक्ष्य है।
इसमें 155 mm की अलग-अलग कैलिबर की तोपें ली जानी है। खास बात यह है कि सभी तोपें स्वदेशी होंगी।
भारतीय माउंटेड गन सिस्टम को भी प्राथमिकता के तौर पर तोपखाने में शामिल करने की तैयरियों को तेज हो गई हैं। उसकी झलक गांधीनगर में आयोजित डिफेंस एक्स्पो में दिखाई दी।
इस एक्स्पो में अलग-अलग तरह की माउंटेड गन सिस्टम मौजूद थीं, लेकिन डीआरडीओ की तरफ से डिजाइन और डेवलप की गई गन सबसे ज्यादा सुर्ख़ियां बटोर रही हैं।
ये गन दो निजी कंपनियों के साथ मिलकर तैयार की गई हैं और खास बात तो ये है के 155 mm 52 कैलिबर एंडवासड टोड आर्टेलरी गन की तकनीक को टाटा ट्रक पर डेवलप की गई है और इसकी अधिकतम मारक क्षमता 48 किलोमीटर है, जो की दुनिया में किसी भी आर्टेलरी गन से ज़्यादा है।
60 सेकंड में 5 राउंड फायरिंग
रेट ऑफ फायर की बात करें तो 60 सेकंड में 5 राउंड दाग सकती है। माउंटेड आर्टेलरी गन की मतलब है गाड़ी पर तैनात तोप।
इस तरह की गन का सबसे बड़ा फ़ायदा होता है कि जब भी जंग की सूरत में आर्टेलरी गन से फायर किया जाता है तो उसके राउंड के एलिवेशन से दुश्मन के गन के लोकेशन का आसानी से पता लगा लेता है और फिर वो अपनी तोपों से निशाना बनाना शुरू कर देता है।
वहीं माउंडेट गन एक बार फायर करने के बाद तुरंत अपनी लोकेशन बदल सकता है। यानी दुश्मन के फायर से बचाव हो जाता है।
आसानी से लगातार किया जा सकता है फायर
इस गन सिस्टम की खास बात तो ये है कि ये पूरी तरह से आर्म्ड प्रोटेक्शन है। जब भी राउंड फायर होता है तो इसकी रिकॉयल यानी की फायरिंग के बाद जो झटका लगता है वो आसानी से सहा जा सकता है। साथ ही गाड़ी में बैठे क्रू आसानी से लगातार फायर कर सकता है। ये जंग के मैदान का गेम चेंजर साबित होगा। ये गन हाइड्रोलिक नहीं पूरी तरह से इलेक्ट्रिक है। ये जल्दी डेप्लॉय किया जा सकता है।
ऊंचाई वाले इलाकों के लिए खास तौर पर किया गया है तैयार
ये ऑल मोबिलिटी वेहिकल है और खास तौर पर हाई अल्टीट्यूड इलाके के लिए बनाई गई है। भारतीय सेना कुल 814 माउंटेड गन को अपनी आर्टेलरी रेजिमेंट में शामिल करने की तैयारी में है।
भारत और चीन के बीच एलएसी पर विवाद के दौरान चीन में बडी संख्या में वेहिक्ल माउंडेट गन सिस्टम को तैनात किया था।
अगर हम पूरे आधुनिकीकरण प्रक्रिया की बात करें तो भारतीय सेना 1580 टोड तोप, जो की गाड़ियों के ज़रिये खींची जाने वाली तोपें शामिल करने की तैयारी में है।
हथियारों के जरिये सेना को बनाया जा रहा है ताकतवर
इसके अलावा 100 तोपें ट्रैक्टड सेल्फ़ प्रोपेल्ड के तौर पर K-9 वज्र की ख़रीद की जा चुकी है। साथ ही और 100 अन्य की ख़रीद की तैयारी है।
इसके साथ 180 विल्ड सेल्फ़ प्रोपेल्ड गन को शामिल किया जाना है तो 145 अल्ट्रा लाईट होवितसर तोपें अमेरिका से ख़रीदी जा चुकी हैं।
साल 1986 में 155 mm बफोर्स गन एक मात्र गन थी जो की लंबे समय से भारतीय सेना के लंबी दूरी तक मार करने वाली गन के तौर पर सेना में शामिल है।
लेकिन तीन दशक से ज़्यादा से सेना में सेवाए दे रही ये गन अब रिटायर होने जा रही है।
एसे में इसकी जगह लेने के लिए स्वदेशी गन धनुष को सेना में शामिल कर लिया गया है तो वहीं डीआरडीओ ने ATAGS यानी एडवांसड टोड आर्टीलरी गन सिस्टम भी तैयार कर लिया है।