यूक्रेन में युद्ध को सात महीने से भी ज्यादा का वक्त हो गया है।
पुतिन ने हाल ही में यूक्रेन के बड़े हिस्सों पर कब्जा करने की घोषणा की थी।
रूस ने यूक्रेन के चार बड़े इलाकों पर कब्जा करने की प्रक्रिया भी शुरू कर दी है, युद्ध शुरू होने के बाद से पुतिन कई बार परमाणु हथियारों के इस्तेमाल की धमकी दे चुके हैं।
ऐसे में एक ही सवाल सामने आ रहा है कि क्या राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन परमाणु हथियार का इस्तेमाल करेंगे? रूसी राष्ट्रपति कार्यालय यानी क्रेमलिन पर नजर रखने वाले यह पता लगाने की कोशिश कर रहे हैं कि क्या रूसी नेता की परमाणु धमकी सिर्फ झांसा है? क्योंकि मौजूदा हालातों में इससे अहम और कठिन सवाल नहीं हो सकता।
फिलहाल के लिए, विश्लेषकों का मानना है कि पुतिन शायद ही ऐसा कुछ करें।
विश्लेषक सतर्कतापूर्वक यह सुझाते हैं कि इस बात का जोखिम कम लगता है कि पुतिन दुनिया के सबसे बड़े परमाणु हथियार के जखीरे का इस्तेमाल करेंगे।
सीआईए ने कहा है कि उसे आसन्न रूसी परमाणु हमले के संकेत नहीं दिखते हैं। फिर भी, यूक्रेन में युद्ध छेड़ने के दौरान रूस की रक्षा के लिए “उपलब्ध सभी साधनों” का उपयोग करने के उनके संकल्प को बहुत गंभीरता से लिया जा रहा है। और शुक्रवार को उनके द्वारा किए गए इस दावे ने परमाणु हथियारों के दांव को लेकर आशंकाएं और बढ़ा दी हैं कि अमेरिका ने द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान परमाणु बम का इस्तेमाल कर “एक मिसाल कायम की है।’’
क्या पुतिन के हाथ रुकेंगे?
व्हाइट हाउस (अमेरिकी राष्ट्रपति कार्यालय) ने चेतावनी दी कि पुतिन परमाणु हमले का रुख करते हैं तो इसके “रूस के लिए विनाशकारी परिणाम” होंगे।
सवाल यह है कि क्या इससे पुतिन के हाथ रुकेंगे? इसका अंदाजा किसी को नहीं है। क्रेमलिन पर नजर रखने वाले बेचैनी के साथ स्वीकार करते हैं कि वे पुख्ता तौर पर नहीं कह सकते कि वह क्या सोच रहे हैं या फिर वह तर्कसंगत और परिणामों से अच्छी तरह अवगत हैं?
क्या पुतिन झांसा दे रहे हैं?
रूसी खुफिया संस्था केजीबी के पूर्व एजेंट ने जोखिम और अस्थिरता का सामना करने का माद्दा दर्शाया है।
जासूसी सेटेलाइट से सुसज्जित पश्चिमी खुफिया एजेंसियों के लिए भी यह बताना मुश्किल है कि क्या पुतिन झांसा दे रहे हैं या वास्तव में परमाणु हथियारों के इस्तेमाल से उन्हें गुरेज नहीं होगा।
सीआईए के निदेशक विलियम बर्न्स ने ‘सीबीएस न्यूज’ को बताया, “हमें आज अमेरिकी खुफिया समुदाय में कोई व्यावहारिक सबूत नहीं दिख रहा है कि वह वास्तविक उपयोग के करीब जा रहा है, या फिर सामरिक परमाणु हथियारों के उपयोग करने का एक आसन्न खतरा है।”
कैसे परमाणु ताकत यूक्रेन में रूस के सैन्य नुकसान की भरपाई में मदद कर सकती है?
बर्न्स ने कहा, “हमें इसे गंभीरता से लेने और वास्तविक तैयारियों के संकेत को देखने की जरूरत है।” क्रेमलिन पर नजर रखने वाले आंशिक रूप से इस बात को लेकर भी माथापच्ची कर रहे हैं कि आखिर कैसे परमाणु ताकत यूक्रेन में रूस के सैन्य नुकसान की भरपाई में मदद कर सकती है।
यूक्रेनी सैनिक अपनी जमीन पर फिर से कब्जा करने के लिए बड़ी संख्या में टैंकों का उपयोग नहीं कर रहे हैं, और कभी-कभी गांवों के रूप में छोटे स्थानों के लिए लड़ाई होती है। ऐसे में रूसी परमाणु ताकतें विजयी प्रभाव के साथ क्या लक्ष्य तय कर सकती हैं?
परमाणु जोखिम में माहिर संयुक्त राष्ट्र के निरस्त्रीकरण अनुसंधान संस्थान के एक वरिष्ठ शोधकर्ता एंड्री बकलिट्स्की ने कहा, “परमाणु हथियार जादू की छड़ी नहीं हैं”।
उन्होंने कहा, “वे कुछ ऐसा नहीं है कि आप उनका उपयोग करेंगे और आपकी सभी समस्याओं का समाधान हो जाएगा।”
विश्लेषकों को उम्मीद है कि परमाणु हथियारों को घेरने वाली वर्जना एक निरोधक है। अमेरिका द्वारा छह अगस्त और नौ अगस्त, 1945 को परमाणु बमों से जापानी शहरों को नष्ट करने के बाद हिरोशिमा और नागासाकी में मानवीय पीड़ा का भयावह पैमाना, ऐसे हथियारों के दोहराव के खिलाफ एक शक्तिशाली तर्क था।
इन हमलों में करीब 2,10,000 लोगों की जान गई थी। विकिरण के दुष्प्रभाव दुनिया ने बरसों बरस देखे। इसके बाद किसी भी देश ने परमाणु हथियार का उपयोग नहीं किया।
विश्लेषकों का अनुमान है कि पुतिन के लिये भी यह आसान नहीं होगा कि वह अमेरिकी राष्ट्रपति हैरी ट्रूमैन के बाद परमाणु हथियारों का इस्तेमाल करने वाले पहले नेता बनें।
आरएएनडी कॉर्पोरेशन के एक वरिष्ठ नीति शोधकर्ता और अमेरिकी रक्षा विभाग में रूसी सैन्य क्षमताओं के एक पूर्व विश्लेषक, दारा मैसिकोट ने कहा, “रूस में अब भी उस सीमा को पार करना एक वर्जित कदम है।” बकलिट्स्की ने कहा, “धरती के इतिहास में सबसे कठिन फैसलों में से एक।” इससे होने वाली प्रतिक्रिया पुतिन को एक वैश्विक तिरस्कृत नेता में बदल सकती है।