दिल्ली (Delhi) के लेफ्टिनेंट गवर्नर वी. के. सक्सेना (V.K. Saxena) ने दिल्ली जल बोर्ड, एक बैंक और एक निजी कंपनी के अधिकारियों के खिलाफ पानी के बिल में 20 करोड़ रुपये के गबन के आरोप में प्राथमिकी दर्ज करने का आदेश दिया है।
उपराज्यपाल कार्यालय के सूत्रों ने शनिवार को यह जानकारी दी, जल बोर्ड के उपाध्यक्ष एवं आम आदमी पार्टी (आप) के वरिष्ठ नेता सौरभ भारद्वाज ने इस कदम का स्वागत करते हुए कहा कि उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने भी मामले की जांच की सिफारिश तत्कालीन मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) द्वारा उनके संज्ञान में लाए जाने के बाद की थी।
उन्होंने पार्टी मुख्यालय में संवाददाता सम्मेलन में पत्रकारों के सवालों का जवाब देते हुए कहा, ‘‘हम ऐसी सभी जांचों का स्वागत करते हैं।
इस विषय में यूनियन बैंक और जल बोर्ड के कुछ अधिकारियों पर आरोप हैं। ” भारद्वाज ने कहा, ‘‘सभी से सख्ती से निपटा जाए। हमें कोई दिक्कत नहीं है। ”
सूत्रों ने बताया कि उपराज्यपाल ने मामले में 15 दिनों के भीतर कार्रवाई रिपोर्ट मांगी है। सूत्रों ने बताया कि 2019 में पहली बार मामला सामने आया था और आरोप है कि निजी कंपनी ने ग्राहकों से लगभग 20 करोड़ रुपये शुल्क वसूला, लेकिन यह रकम जल बोर्ड के बैंक खाते में जमा नहीं कराई गई।
उन्होंने दावा किया कि आरोपों के बावजूद कंपनी ने बिल जमा करने का कार्य जारी रखा और उसने यह राशि नकद और चेक के जरिये एकत्र की।
सूत्रों ने बताया कि उपराज्यापाल ने मुख्य सचिव को निर्देश दिया है कि वह मामले में जल बोर्ड और बैंक के अधिकारियों की पहचान कर उनके खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कराएं।
उन्होंने संलिप्त कंपनी के खिलाफ भी प्राथमिकी दर्ज करने के निर्देश दिए हैं। सूत्रों ने बताया कि उपराज्यपाल ने अधिकारी को यथाशीघ्र राशि वसूलने का भी निर्देश दिया है।
जल बोर्ड के मुद्दे पर, एक सूत्र ने कहा, ‘‘भ्रष्टाचार के इस मामले में जल बोर्ड को भारी वित्तीय नुकसान हुआ, व्यक्तियों से पानी के बिल के रूप में एकत्र 20 करोड़ रुपये से अधिक की राशि उसके (जल बोर्ड के) बजाय किसी तीसरे पक्ष के निजी बैंक खाते में डाली गई। ”