पाकिस्तानी में विनाशकारी बाढ़ के बाद दुनिया की ओर से दिए गए मदद और आश्वासनों को लेकर प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ खुश नहीं है।
शरीफ ने बाढ़ की वजह से आई तबाही के लिए दुनिया की प्रतिक्रिया को सराहनी बताया है लेकिन कहा कि देश की जरूरतों को पूरा करने के लिए यह पर्याप्त नहीं है।
कंगाली की मार झेल रहे पाकिस्तान करीब 30 साल बाद एक बार फिर विनाशकारी बाढ़ का सामना करना पड़ा है।
स्थिति का अंदाजा इसे से लगाया जा सकता है कि देश का एक तिहाई हिस्सा पानी में डूब गया था।
डॉन डॉट कॉम की रिपोर्ट के मुताबिक, ब्लूमबर्ग टीवी को दिए एक इंटरव्यू में पाकिस्तानी प्रधानमंत्री ने कहा, जलवायु परिवर्तन के हिसाब से हम टॉप टेन सबसे कमजोर देश में से हैं।
विनाशकारी बाढ़ में करीब 1500 लोग मारे गए। उन्होंने आगे कहा कि दुनिया के कई नेताओं ने पाकिस्तान में तबाही के बारे में बात की थी।
पाकिस्तान की स्थितियों पर अपनी भावना व्यक्त करने के लिए मैं अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन का बहुत आभारी हूं। दुनिया ने जो किया है वह काबिले तारीफ है लेकिन यह हमारी जरूरतों को पूरा करने से कोसों दूर है। हम इसे अकेले नहीं कर सकते हैं।
बाढ़ की वजह से 30 अरब डॉलर के नुकसान का अनुमान
प्रधानमंत्री ने इस बात पर प्रकाश डाला कि पाकिस्तान खुद राहत और पुनर्वास कार्य के लिए धन मुहैया नहीं करा सकता है। बाढ़ से करीब करीब 30 अरब डॉलर का नुकसान होने का अनुमान है।
उन्होंने कहा कि जब तक दुनिया राहत, पुनर्वास और बुनियादी ढांचे के निर्माण के लिए अरबों डॉलर का मदद नहीं करती है, तब तक चीजें वापस सामान्य नहीं होंगी।
मुझे अर्थव्यवस्था को फिर से पटरी पर लाना है और लाखों लोगों को उनके घरों में वापस ले जाना है।
पैरों पर खड़ा होने के लिए मदद की जरुरत
शरीफ ने आगे कहा, जब तक हमें पर्याप्त राहत नहीं मिलती, दुनिया हमसे अपने पैरों पर खड़े होने की उम्मीद कैसे कर सकती है।
यह असंभव जैसा है। दुनिया को हमारे साथ खड़ा होना होगा। उन्होंने कहा कि दुनिया को जो बताया गया था और जो उपलब्ध कराया गया उसमें जमीन आसमान का अंतर है।
रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के साथ अपनी मुलाकात पर टिप्पणी करते हुए उन्होंने कहा कि उनसे साथ पाकिस्तान को गैस की उपलब्धता के बारे में बात की थी।