श्रीलंका (Sri lanka) के राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे (Ranil Wickremesinghe) ने कहा कि उनका देश हिंद महासागर में किसी भी ‘‘बड़ी शक्ति प्रतिद्वंद्विता’’ में शामिल नहीं होगा और यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि उनका देश हंबनटोटा को लेकर ‘‘दो पाटों के बीच में पिस रहा है।’’
कुछ सप्ताह पहले चीन के एक उन्नत पोत के श्रीलंका के हंबनटोटा बंदरगाह आने को लेकर भारत और चीन के बीच टकराव की स्थिति बन गई थी।
विक्रमसिंघे ने कहा कि नौवहन की स्वतंत्रता सुनिश्चित करने के लिए हिंद महासागर क्षेत्र को सभी के लिए खुला होना चाहिए।
उन्होंने बुधवार को नेशनल डिफेंस कॉलेज में दिए अपने भाषण में कहा, ‘‘यह वाणिज्य को आगे बढ़ाने के लिए जरूरी है। हमें यह याद रखना होगा कि दुनिया को पेट्रोलियम आपूर्ति और ऊर्जा आपूर्ति का बड़ा हिस्सा हिंद महासागर से होकर जाता है। बड़ी मात्रा में जहाज से सामान हिंद महासागर से होकर जाता है। हम नहीं चाहते कि यह संघर्ष का क्षेत्र और युद्ध का क्षेत्र बने।’’
श्रीलंका (Sri lanka) के राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे (Ranil Wickremesinghe) ने कहा कि उनका देश हिंद महासागर में किसी भी ‘‘बड़ी शक्ति प्रतिद्वंद्विता’’ में शामिल नहीं होगा और यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि उनका देश हंबनटोटा को लेकर ‘‘दो पाटों के बीच में पिस रहा है।’’
कुछ सप्ताह पहले चीन के एक उन्नत पोत के श्रीलंका के हंबनटोटा बंदरगाह आने को लेकर भारत और चीन के बीच टकराव की स्थिति बन गई थी। विक्रमसिंघे ने कहा कि नौवहन की स्वतंत्रता सुनिश्चित करने के लिए हिंद महासागर क्षेत्र को सभी के लिए खुला होना चाहिए।
उन्होंने बुधवार को नेशनल डिफेंस कॉलेज में दिए अपने भाषण में कहा, ‘‘यह वाणिज्य को आगे बढ़ाने के लिए जरूरी है। हमें यह याद रखना होगा कि दुनिया को पेट्रोलियम आपूर्ति और ऊर्जा आपूर्ति का बड़ा हिस्सा हिंद महासागर से होकर जाता है। बड़ी मात्रा में जहाज से सामान हिंद महासागर से होकर जाता है। हम नहीं चाहते कि यह संघर्ष का क्षेत्र और युद्ध का क्षेत्र बने।’’
उन्होंने कहा, ‘‘इसीलिए हम भारत के साथ कोलंबो कॉन्क्लेव में, त्रिपक्षीय सुरक्षा व्यवस्था और कई अन्य क्षेत्रों पर काम करते हैं।
वे सभी उपयोगी तरीके हैं जिनसे हम भारत और अन्य द्वीपीय देशों के साथ सहयोग करते हैं। फिर हम मालदीव, उन छोटे द्वीपों के साथ अपनी दोस्ती को भी महत्व देते हैं और हम जानते हैं कि मालदीव कितना महत्वपूर्ण है।’’ विक्रमसिंघे ने कहा कि ‘‘ दुर्भाग्य से हिंद महासागर की भू-राजनीति के कारण श्रीलंका हंबनटोटा को लेकर दो पाटों के बीच पिस रहा है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘इसीलिए हम भारत के साथ कोलंबो कॉन्क्लेव में, त्रिपक्षीय सुरक्षा व्यवस्था और कई अन्य क्षेत्रों पर काम करते हैं।
विक्रमसिंघे ने कहा कि अगर सुरक्षा संवेदनशीलता है, तो वह ऑस्ट्रेलियाई बंदरगाह डार्विन में है जहां चीनी बंदरगाह एक ऐसे क्षेत्र के पास संचालित हो रहे हैं जहां ऑस्ट्रेलियाई और अमेरिकी सेना को प्रशिक्षित किया जा रहा है।
उन्होंने कहा, ‘‘हमारे पास ऐसा कोई नहीं है। हम किसी को यहां आने और प्रशिक्षण देने की अनुमति नहीं देते, हालांकि हमारे पास नौसेना की हमारी दक्षिणी कमान है। हमारे पास सेना का एक संभागीय मुख्यालय है और हमारे पास वायुसेना की एक टुकड़ी है। लेकिन उनमें से कोई भी शामिल नहीं है। वे केवल यह सुनिश्चित करते हैं कि यह एक वाणिज्यिक बंदरगाह है।’’
बंदरगाह को लेकर विक्रमसिंघे की यह टिप्पणी हाल के सप्ताह में इस मुद्दे पर उनकी दूसरी सार्वजनिक टिप्पणी है। गत 30 अगस्त को, राष्ट्रपति विक्रमसिंघे ने सभी राजनीतिक दलों से एक सर्वदलीय सरकार में शामिल होने की अपील की थी ताकि द्वीपीय देश को सबसे खराब आर्थिक संकट से निकालने में मदद की जा सके। विक्रमसिंघे ने किसी देश का नाम लिए बिना कहा, ‘‘हम अब ऋण सहायता पर निर्भर राष्ट्र नहीं रह सकते हैं। हमें अब मजबूत अर्थव्यवस्था वाले अन्य देशों द्वारा हस्तक्षेप के साधन के रूप में भी इस्तेमाल नहीं किया जा सकता।’’
बंदरगाह को लेकर विक्रमसिंघे की यह टिप्पणी हाल के सप्ताह में इस मुद्दे पर उनकी दूसरी सार्वजनिक टिप्पणी है। गत 30 अगस्त को, राष्ट्रपति विक्रमसिंघे ने सभी राजनीतिक दलों से एक सर्वदलीय सरकार में शामिल होने की अपील की थी ताकि द्वीपीय देश को सबसे खराब आर्थिक संकट से निकालने में मदद की जा सके। विक्रमसिंघे ने किसी देश का नाम लिए बिना कहा, ‘‘हम अब ऋण सहायता पर निर्भर राष्ट्र नहीं रह सकते हैं। हमें अब मजबूत अर्थव्यवस्था वाले अन्य देशों द्वारा हस्तक्षेप के साधन के रूप में भी इस्तेमाल नहीं किया जा सकता।’’