राजकोट में दिए बयान पर फंसे केजरीवाल, आप पार्टी पड़ सकती है मुसीबत में, पूर्व नौकरशाहों ने चुनाव आयोग को लिखी चिट्ठी…

दिल्ली व पंजाब की सत्ताधारी आम आदमी पार्टी (आप) की मान्यता रद्द कराने को लेकर 50 से ज्यादा सेवानिवृत्त नौकरशाहों ने चुनाव आयोग को पत्र लिखा है।

56 पूर्व सिविल सेवकों ने भारत के चुनाव आयोग (ईसीआई) को पत्र लिखकर “चुनावी लोकतंत्र को नष्ट करने” के लिए आम आदमी पार्टी की मान्यता वापस लेने की मांग की है।

इन पूर्व सिविल सेवकों ने गुजरात में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान दिल्ली CM व आप संयोजक अरविंद केजरीवाल द्वारा की गई “असंतुलित और विवादास्पद” टिप्पणियों की ओर इशारा किया।

पूर्व नौकरशाहों ने मुख्य निर्वाचन आयुक्त से आग्रह किया है कि आम आदमी पार्टी की मान्यता रद्द की जाए क्योंकि उसके नेता अरविंद केजरीवाल ने पिछले दिनों गुजरात में सरकारी अधिकारियों लालच देने का कथित प्रयास किया ताकि कुछ महीने बाद होने वाले विधानसभा चुनाव में पार्टी को फायदा मिल सके।

‘दिल्ली के सीएम ने नौकरशाहों को उकसाया’

पूर्व अधिकारियों ने तीन सितंबर को राजकोट में हुई केजरीवाल की प्रेस कॉन्फ्रेंस का हवाला देते हुए कहा कि दिल्ली के सीएम ने नौकरशाहों को आम आदमी पार्टी के पक्ष में काम करने के लिए उकसाया ताकि चुनाव में पार्टी को जीत मिल सके।

सिविल सेवकों ने कहा कि वे केजरीवाल के इस प्रयास को सिरे से खारिज करते हैं। पत्र में कहा गया है कि केजरीवाल ने आगामी विधानसभा चुनाव में AAP को जीत दिलाने के लिए होमगार्ड, पुलिसकर्मियों, आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं, राज्य परिवहन ड्राइवरों सहित अन्य लोगों से काम करने का आह्वान किया था।

‘केजरीवाल ने महिलाओं को पैसे देने की बात कही’

पत्र के अनुसार, दिल्ली के सीएम ने राज्य परिवहन के ड्राइवरों और कंडक्टरों से कहा था कि वे यात्रियों को आम आदमी पार्टी को वोट देने के लिए मनाएं।

पत्र में यह भी आरोप लगाया गया है कि केजरीवाल ने पुलिस अधिकारियों को राज्य सरकार की प्रक्रियाओं और नियमों के खिलाफ काम करने की सलाह दी थी।

इसके अलावा, पत्र में उल्लेख किया गया है कि केजरीवाल ने राज्य में अपनी पार्टी के सत्ता में आने के एक महीने के भीतर इन लोक सेवकों को मुफ्त बिजली, मुफ्त शिक्षा, नए स्कूल, उनके घरों में महिलाओं को उनकी निष्ठा के बदले में पैसे देने की भी पेशकश की।

“इस तरह के प्रयासों का उस लोकतांत्रिक तानेबानेपर बहुत असर होता”

पूर्व नौकरशाहों ने सीईसी को लिखे पत्र में कहा कि लालच देने के इस तरह के प्रयासों का उस लोकतांत्रिक तानेबानेपर बहुत असर होता है जिसके साथ भारत में चुनाव करवाए जाते हैं।

उन्होंने कहा, ‘‘इसको देखते हुए हम निर्वाचन आयोग से आग्रह करते हैं कि वह आप की एक राजनीतिक दल के तौर पर मान्यता वापस ले क्योंकि इसने चुनाव चिन्ह (आरक्षण एवं आवंटन) आदेश, 1968 का सरेआम उल्लंघन किया है तथा आप के राष्ट्रीय संयोजक का व्यवहार आचार संहिता का उल्लंघन है।’’

पूर्व नौकरशाहों का कहना है कि केजरीवाल की टिप्पणियां जन प्रतिनिधित्व कानून, 1951 के प्रावधानों का भी उल्लंघन करती हैं।

पूर्व सिविल सेवकों ने पत्र में कहा, “हमारा दृढ़ विश्वास है कि आप के संयोजक और एक मौजूदा मुख्यमंत्री की ओर से इस तरह की भड़काऊ टिप्पणियां राज्य के संस्थानों और अभिभावकों में निर्विवाद रूप से जनता के विश्वास को कम करती हैं।”

जनप्रतिनिधित्व कानून, 1951 की धारा 6ए और 123 का हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि आप भ्रष्ट आचरण में शामिल रही है और इसके संयोजक की अपील “चुनावी लोकतंत्र को नष्ट करने और सार्वजनिक सेवा को कमजोर करने” वाली है।

पूर्व सिविल सेवकों ने कहा कि AAP के संयोजक ने आदर्श आचार संहिता का उल्लंघन किया है और चुनाव आयोग से चुनाव चिह्न (आरक्षण और आवंटन) आदेश, 1968 के पैरा 16A के तहत AAP की मान्यता वापस लेने की मांग की है।

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