बेटा अपने बीमार पिता को लीवर ‘डोनेट’ करने की इजाजत मांगने सुप्रीम कोर्ट पहुंचा, लेकिन, जाने पूरी बात…

बीमार पिता को बचाने के लिए 17 साल का बेटा अपना लीवर देने की इजाजत मांगने देश की सबसे बड़ी अदालत सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया।

अदालत ने दखल भी दिया, लेकिन इससे पहले कुछ आदेश जारी हो पाता, बच्चे के पिता की अस्पताल में मौत हो गई।

बुधवार को केस की सुनवाई के दौरान जब बच्चे के वकील ने जस्टिस संजय किशन कौल की बेंच को बताया कि सुप्रीम कोर्ट ने 9 सितंबर को नोटिस जारी किया था, लेकिन अगले ही दिन यानी 10 सितंबर को बच्चे के पिता की मौत हो गई। ये सुनते ही बेंच समेत पूरे कोर्ट रूम में माहौल दुखद हो गया।

वकील ने कहा कि पिता की मौत के बाद इस केस में कुछ नहीं बचा, लेकिन सुप्रीम कोर्ट कानून के इस सवाल को खुला रख सकता है, लेकिन अदालत ने इससे इनकार कर दिया और सुनवाई बंद कर दी।

इस दौरान यूपी सरकार के वकील विष्णु शंकर जैन और यूपी हेल्थ विभाग के अफसर भी अदालत में मौजूद थे।

दरअसल उत्तर प्रदेश के 17 साल के एक लड़के ने पिता को लीवर दान करने की सुप्रीम कोर्ट से इजाजत मांगी थी।

9 सितंबर को सुप्रीम कोर्ट ने याचिका पर उत्तर प्रदेश सरकार को नोटिस जारी किया था। सुप्रीम कोर्ट ने यूपी के स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी को सुनवाई की अगली तारीख पर उपस्थित रहने का आदेश दिया था।

लड़के ने अपने पिता को लीवर दान करने की अनुमति मांगी थी। उसके पिता नोएडा के एक निजी अस्पताल में भर्ती थे।

उनको लीवर ट्रांसप्लांट की जरूरत थी और हालत गंभीर थी। इससे पहले बच्चे की मां के लिए डॉक्टरों ने परीक्षण किया था, लेकिन उनको लीवर दान करने के लिए फिट नहीं पाया गया।

पिता की बहन भी मेडिकल कारणों से लीवर दान नहीं कर पाई। इसलिए नाबालिग बेटे ने पिता को बचाने के लिए अपना लीवर दान करने की कोशिश की।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि लीवर दान किया जा सकता है या नहीं, यह देखने के लिए नाबालिग का प्रारंभिक परीक्षण करना होगा।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

× Whatsaap