पाकिस्तान (Pakistan) की साजिशों को विफल करने के लिए सीमा पर सेना (Indian Army) तैनात है तो वहीं, भीतरी इलाकों में ग्राम रक्षा समिति (Village Defense Committee) व ग्राम रक्षा गार्ड (Village Defense Guard) सेना के साथ कंधे से कंंधा मिलाकर काम में लगे हैं।
पाकिस्तान की घुसपैठ की साजिशों को नाकाम किया जा रहा है, एलओसी (LOC ) से सटे इलाकों में वीडीसी व वीडीजी भारतीय सेना की आंख और कान का काम कर रही है, सेना का भी सहयोग इन सभी मेंबर्स को मिल रहा है ताकि मिलकर आतंकवाद से मुकाबला किया जा सके।
एलओसी के नोशेरा सेक्टर भारतीय सेना समय-समय पर इन लोगों को ट्रेनिंग मुहैया करवाती है ताकि ये लोग चुस्त दुरस्त रहें, नए हथियारों के बारे में भी जानें।
हालांकि इन सभी के पास 303 ( थ्री नट थ्री) राईफ्लस है जो बहुत ही कारगर मानी जाती है।
इन लोगों को हथियार चलाने से लेकर एंबूश लगाने तक की ट्रेनिंग मुहैया करवाई जाती है ताकि ये लोग समय आने पर आतंकियों का डट कर मुकाबला कर सकें। इन लोगों को भूतपूर्व सैनिकों की भी काफी मदद मिलती है क्योकि वे लोग पहले ही सेना मे ये काम कर चुके हैं। वीडीसी में बहुत से लोग सेना से रिटायर होकर आए हैं।
आतंकियों की घुसपैठ रोकने ऑपरेशन कांची
भारत पाक नियत्रंण रेखा के नोशेरा सेक्टर में भारतीय सेना ने ऑपरेशन कांची लांच किया हुआ है जिसके चलते सेना ने आतंकियों की घुसपैठ पर लगाम लगाई है।
पिछले महीने दो आतंकियों को मारने के साथ- साथ भारी मात्रा में हथियार बरामद किए और एक जिंदा फिदायन गिरफ्तार किया था।
गौरतलब है कि पाकिस्तान की तरफ से नोशेरा और सुंदरबनी सेक्टर में घुसपैठ की कोशिशे तेज की है। इसी के चलते अब सेना आम लोगों को भी साथ लेकर काम कर रही है।
इसमें वीडीसी का अहम रोल है ताकि आतंकी अगर किसी गुप्त रास्ते से घुसपैठ में सफल हो जाए तो गांवों के भीतर ये टीम उनसे मुकाबला कर सके।
सेना देती है ग्रामीणों को समय-समय पर ट्रेनिंग
सेना अधिकारी मेजर नवनीत ठाकुर ने बताया कि हमारा मकसद दुश्मन की हर साजिश को नाकाम करना है।
समय-समय पर ट्रेनिंग देना ताकि अपने-अपने इलाके में हमारी आंख व कान बनकर साथ चले, हमारा मकसद है हथियार के बारे में जानकारी देना और चलाना व उसकी साफ-सफाई करना ताकि समय आने पर आप आतंकियों का डटकर मुकाबला कर सकें।
प्रीतम लाल- वीडीसी मेंबर ने न्यूज 18 को बताया कि हम सेना के साथ हैं। हमें ट्रेनिंग मिलती है और हम चाहते है कि अब हमारे बच्चों को भी इसमें शामिल करें ताकि युवा भी आगे आएं।
हम चाहते हैं कि भत्ता भी सरकार मुहैया करवाए ताकि युवा आगे आ सके। वहीं सेना से रिटायर हुए वीडीसी मेंबर हवलदार हरबख्स सिंह ने बताया कि हम इस हथियार के साथ तैनात है।
इधर सेना का पूरा साथ मिलता है। हमें हर हथियार की ट्रेनिंग दी जाती है लेकिन ये हथियार 303 राइफल बहुत कारगर है। इसका फायर किसी आतंकी को लगने के बाद वह हिल नहीं सकता है।
सेना आतंकी को आने नहीं देती, अगर कोई आ जाए तो हम उसे जिंदा लौटने नहीं देंगे
इस इलाके जोकि डींग कलाल से जाना जाता है यहां पर कई बार आतंकियों ने घुसपैठ की है।
2003 से 2010 तक यहां पर लोगों ने सेना के साथ मिलकर अभी तक 22 आतंकियों को मारने मे सफलता पाई खासकर सीमा पार से सर्दियो के दिनों या फिर बरसात के दिनों घुसपैठ की कोशिशे होती है।
उस पर लगाम लगाने के लिए ये वीडीसी अहम रोल निभा रही है। इसी कलाल पचायंत के सरपंच और वीडीसी मेंबर रमेश चंद्र चौधरी ने न्यूज 18 को बताया कि हम भारतीय सेना के साथ है और हर स्थिति से निपटने के लिए तैयार हैं।
पहले तो उस पार से सेना किसी आतंकी को आने नहीं देती अगर कोई आ जाए तो हम उसको जिंदा लौटने नहीं देंगे।