प्रदेश की राजधानी रायपुर में सर और रेडियाेलॉजी की 50 करोड़ से ज्यादा की मशीनों की लाइफ खत्म, खराब हुई तो बनेंगी नहीं…

अंबेडकर अस्पताल में 50 करोड़ से ज्यादा की मशीनों का जीवन खत्म हो गया है या होने वाला है।

कैंसर विभाग में 6 में 4 व रेडियो डायग्नोसिस विभाग में 13 में 8 मशीनें क्षमता से ज्यादा चल चुकी हैं।

कैंसर विभाग में कोबाल्ट, ब्रेकीथैरेपी, मेमोग्राफी व सीटी सिम्युलेटर तो रेडियो डायग्नोसिस विभाग में डीएसए, एमआरआई, एक्सरे व सोनोग्राफी मशीनें शामिल हैं।

जो मशीन एक्सपायर हो गई हैं, अगर बिगड़ी तो इसके पार्ट्स नहीं मिलेंगे। इससे मशीन कबाड़ हो जाएगी।

मशीनें बिगड़ी तो रोज 250 व महीने में 7 हजार से ज्यादा मरीज प्रभावित होंगे। ऐसे में मरीजों के पास निजी अस्पताल जाने के अलावा कोई विकल्प नहीं रहेगा।

दोनों विभाग के एचओडी ने डीन व डीएमई को पत्र लिखकर नई मशीनों की मांग की है। इस पर शासन ने नई मशीनों के लिए प्रस्ताव बनाकर भेजने को कहा है।

कैंसर विभाग के कोबाल्ट मशीन का जीवन खत्म हुए 10 साल हो गया है। रिस्क लेकर मरीजों की सिंकाई की जा रही है। यह मशीन कभी भी बंद हो सकती है।

जबकि मेमोग्राफी मशीन 7 साल से एक्सपायर हो चुकी है। यह मशीन एक साल से बंद है, जिससे महिलाओं के ब्रेस्ट की जांच ठप है।

ये असर होगा- मशीनें बिगड़ीं तो हर महीने में 7 हजार से ज्यादा मरीज प्रभावित होंगे

कोबाल्ट
यह मशीन 2003 में खरीदी गई थी। अमूमन मशीन का जीवन 8 से 10 साल होता है। मशीन का जीवन 8 साल पहले खत्म हो चुका है। अस्पताल में रोजाना 90 से 100 मरीजों की सिंकाई की जा रही है। नई मशीन की कीमत 5 करोड़ रुपए है।
ब्रेकीथैरेपी
इस मशीन को 2004 में खरीदा गया था। मशीन 2014 में एक्सपायर हो चुकी है। बच्चेदानी के अंदर कैंसर की सिंकाई की जाती है। रोजाना 8 से 10 महिलाओं की सिंकाई की जा रही है। नई मशीन की कीमत 8 करोड़ रुपए है।
मेमोग्राफी
यह मशीन भी 2004 में अस्पताल में स्थापित की गई थी। रोज 70 से 80 महिलाओं की जांच की जा रही थी, जो सालभर से बंद है। इससे महिलाओं को निजी अस्पतालों में जांच करानी पड़ रही है। नई मशीन 1 करोड़ में आएगी।

सिम्युलेटर
इस मशीन से कंप्यूटर में इमेज देखकर सिंकाई की प्लानिंग की जाती है। रोज 15 से 20 की जांच की जा रही है। नई मशीन 5 करोड़ रु. की है।

एमआरआई
3 टेसला एमआरआई 2012 में खरीदी गई थी। तब इसकी कीमत 12 करोड़ थी। अब इसकी कीमत बढ़कर 15 करोड़ के आसपास हो गई है।

सीटी स्कैन
एक मशीन 2002 में एक्सपायर हो चुकी है। दूसरी 2012 में खरीदी गई थी। ये अगले साल एक्सपायर होगी। नई मशीन10 करोड़ में।

डीएसए
2009 में 4 करोड़ में खरीदी। मशीन एक्सपायर हो चुकी है, लेकिन एंजियोग्राफी हो रही है। नई मशीन 7 से 8 करोड़ में आएगी।

एक्सरे
4 से ज्यादा एक्सरे मशीन एक्सपायर हो चुकी है। एक नई मशीन 70 लाख से 1 करोड़ में आती है। ये मशीन 2005 में खरीदी गई थी।

सोनोग्राफी
एक्सपायर हो चुकी है। नई मशीनों की कीमत 25-30 लाख से ज्यादा है। ये मशीनें 2005 के आसपास खरीदी गई थी।

डीकेएस में पेइंग व आईसीयू की मशीनें अब भी खराब

दाऊ कल्याण सिंह सुपर स्पेशलयालिटी अस्पताल में ऑपरेशन थिएटर की मशीनें तो फिलहाल चल रही हैं, लेकिन पेइंग आईसीयू में कई जरूरी मॉनीटर खराब हाेने की स्थिति में थी। लेकिन आईसीयू यूरो सर्जरी व गैस्ट्रो विभाग को दे दिए हैं। अस्पताल को शुरू हुए 2 अक्टूबर को 4 साल पूरे हो जाएंगे। रेडियो डायग्नोसिस विभाग की एमआरआई, सीटी स्कैन, सोनोग्राफी व एक्सरे मशीन पीपीपी मोड पर है।

2 साल से पेट सीटी व गामा कैमरा चालू नहीं हो पाया

कैंसर विभाग में 2 साल पहले 2019 में पेट सीटी स्कैन मशीन व गामा कैमरा मशीन शुरू नहीं हो पाई है। दोनों मशीनों की कीमत 22 करोड़ रुपए है।

पेट सीटी से यह पता चलता है कि कैंसर शरीर में कितना फैल चुका है। बीपीएल के लिए 10 हजार व एपीएल के लिए 15500 रुपए जांच शुल्क तय किया गया था। आयुष्मान से फ्री जांच होती। दो निजी अस्पताल व एम्स में यह मशीन है।

डॉक्टर्स कह रहे- नई मशीनें जरूरी हैं…

कैंसर व रेडियो डायग्नोसिस विभाग का पत्र मिला है, जिसमें कोबाल्ट समेत अन्य मशीनें एक्सपायर होने की बात कही गई हैं। प्रस्ताव मांगे हैं।
डॉ. विष्णु दत्त, डीन व डीएमई छग

एक्सरे व सोनोग्राफी मशीन एक्सपायर हो चुकी हैं या होने वाली है। डीन को बताया गया है। नई मशीन आने से मरीजों को राहत मिलेगी।
डॉ. एसबीएस नेताम, अधीक्षक

कोबाल्ट, ब्रेकीथैरेपी समेत 4 मशीनों का जीवन खत्म हो गया है। डीन को जानकारी है। मेमोग्राफी सालभर से बंद है। इससे ब्रेस्ट कैंसर की जांच ठप है।
डॉ. विवेक चौधरी, कैंसर विभाग

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