छत्तीसगढ़ में पिछले 11 दिनों से चल रही कर्मचारी संगठनों की हड़ताल खत्म हो सकती है।
हड़ताल पर फैसले के लिए छत्तीसगढ़ कर्मचारी अधिकारी फेडरेशन के घटक संगठनों की बैठक हुई है।
इससे पहले संगठन के नेताओं ने जिला संयोजकों से रिपोर्ट ली थी। इसमें कहा गया, मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की अपील के बाद सरकार को एक मौका देना चाहिए।
हालांकि इस पर अंतिम फैसला कर्मचारियों की बैठक में चर्चा के बाद ही लिया जाना है।
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने बुधवार को कर्मचारियों के लिए एक अपील जारी की थी। उसमें कहा गया था, लोगों की आवश्यकता से जुड़े काम रुक जाने से जनता को असुविधा हो रही है।
अत: आप सभी कर्त्तव्यों का निर्वहन करें। मुख्यमंत्री ने लिखा कि हमारी सरकार कर्मचारी हित के लिए सदैव तत्पर है। पुरानी पेंशन योजना उसका एक उदाहरण है।
राज्य के वित्तीय संसाधनों को देखते हुए हम कर्मचारी हित में निर्णय लेते रहे हैं, आगे भी लेते रहेंगे। बाद में प्रेस से बातचीत में मुख्यमंत्री ने कर्मचारियों को हड़ताल खत्म करने को लेकर चेतावनी दी।
उन्होंने कहा था, काम पर लौटो उसको बाद मिल लो, इसमें मुझे कोई तकलीफ थोड़े ही है। पहले काम पर लौटें तो सही।
हड़ताल खत्म नहीं हाेने की स्थिति में कार्रवाई के सवाल पर मुख्यमंत्री ने कहा, जो लौट आएंगे उनके खिलाफ कार्रवाई नहीं होगी। जो आदेश है वह तो है।
एक-दो तारीख तक ज्वाइन कर लेते हैं तो कोई कार्रवाई नहीं होगी। उसके बाद सर्विस ब्रेक भी होगा और तनख्वाह काटने की भी कार्रवाई होगी। इस चेतावनी के बाद कर्मचारी संगठनों की बेचैनी बढ़ गई।
पूरे दिन मंथन के बाद शंकर नगर स्थित राजपत्रित अधिकारी संघ के कार्यालय में फेडरेशन के नेताओं की बैठक हुई है। इसमें फेडरेशन के संयोजक कमल वर्मा सहित सभी घटक संगठनों के नेता मौजूद थे।
इस दौरान जिला संयोजकों से रिपोर्ट ली गई। बताया जा रहा है, जिला संयोजकों का कहना था कि मुख्यमंत्री की अपील के बाद सरकार को एक मौका देना चाहिए।
हड़ताल खत्म कर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल से मिलकर बात किया जाए। सरकार नहीं मानी तो हड़ताल का विकल्प मौजूद रहेगा।
बाद में हड़ताल के भविष्य पर फैसला करने के लिए सभी नेताओं की बैठक रायपुर के बहुउद्देशीय स्कूल में शुरू हुई। बताया जा रहा है कि यह बैठक लंबी चलेगी।
हड़ताल के समर्थन में भी नारेबाजी
शंकर नगर स्थित राजपत्रित अधिकारी संघ के कार्यालय में बैठक के दौरान बाहर खड़े कर्मचारी नेताओं ने हड़ताल के समर्थन में भी नारेबाजी की।
उनका कहना था, अगर हड़ताल खत्म हुई तो सरकार कर्मचारी संगठनों की एकता को तोड़ देगी। उसके बाद ऐसा आंदोलन फिर खड़ा नहीं हो पाएगा। उन्होंने कर्मचारी नेताओं से हड़ताल पर अड़े रहने की बात कही।
सोमवार को GAD ने कार्रवाई का निर्देश दिया था
सोमवार को ही सामान्य प्रशासन विभाग ने हड़ताल को सेवा आचरण नियमों के तहत कदाचार बताया था। इसमें कहा गया था, जाे कर्मचारी 25 से 29 जुलाई तक भी हड़ताल पर थे और अब भी हड़ताल पर बैठे हैं, उनका अवकाश स्वीकृत न किया जाए।
उतने दिनों तक का वेतन भुगतान नहीं किया जाए और अनुशासनात्मक कार्रवाई के लिए लिखा जाए।
हड़ताल में शामिल नहीं हुए कर्मचारियों को राहत देने की भी बात थी
मंगलवार को जारी एक परिपत्र में हड़ताल में शामिल नहीं हो रहे कर्मचारियों को राहत देने की कोशिश हुई थी। इसमें कहा गया थाए कई कर्मचारी अधिकारी काम पर लौटना चाहते हैं।
उनकी सुरक्षा का इंतजाम किया जाए, वहीं 2 सितम्बर तक काम पर लौट आए कर्मचारी-अधिकारियों की हड़ताल अवधि की अनुपस्थिति को अवकाश स्वीकृत करते हुए वेतन भुगतान किया जाए।
भत्ता बढ़ाने के लिए हड़ताल पर हैं कर्मचारी
छत्तीसगढ़ के राज्य कर्मचारियों की यह हड़ताल भत्ता बढ़ाने की मांग के लिए है। कर्मचारी संगठन कई महीनों से केंद्र सरकार की तरह 34% महंगाई भत्ता देने की मांग कर रहे थे।
उनकी मांग थी, इस दर तक पहुंचने के लिए उनका भत्ता 12% बढ़ाया जाना चाहिए। वहीं सातवें वेतनमान की सिफारिशों के मुताबिक मूल वेतन का 18% गृह भाड़ा भत्ता की मांग भी साथ-साथ उठी है।
जुलाई में पांच दिनों की हड़ताल के बाद सरकार ने महंगाई भत्ते में 6% इजाफे का आदेश जारी कर दिया। वहीं गृह भाड़ा भत्ता के लिए आश्वासन हाथ आया।उसके बाद कर्मचारी संगठन 22 अगस्त से हड़ताल पर चले गये।