रायपुर: मुख्यमंत्री बघेल 2 और 3 सितम्बर को 03 नवगठित जिलों का शुभारंभ कर प्रदेशवासियों को देंगे महत्वपूर्ण सौगात…

2 सितम्बर को 29वां जिला ‘मोहला-मानपुर-अम्बागढ़ चौकी का शुभारंभ

3 सितम्बर को 30वां जिला ‘सारंगढ़-बिलाईगढ़’ और 31वां जिला ‘खैरागढ़-छुईखदान-गंडई’ का शुभारंभ

रायपुर / मुख्यमंत्री भूपेश बघेल 2 और 3 सितम्बर को छत्तीसगढ़ में 03 नवगठित जिलों का शुभारंभ कर प्रदेशवासियों को महत्वपूर्ण सौगात देंगे। इनमें मोहला-मानपुर-अम्बागढ़ चौकी तथा सारंगढ़-बिलाईगढ़ और खैरागढ़-छुईखदान-गंडई शामिल है। 

निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार मुख्यमंत्री बघेल 2 सितम्बर को दोपहर 1 बजे मोहला के मिनी स्टेडियम में आयोजित कार्यक्रम में छत्तीसगढ़ के नवगठित 28वां जिला ‘मोहला-मानपुर-अम्बागढ़ चौकी’ का शुभारंभ करेंगे। कार्यक्रम की अध्यक्षता खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति मंत्री अमरजीत भगत करेंगे। 

इसी तरह 3 सितम्बर को पूर्वान्ह 11 बजे सारंगढ़ के खेलभाठा मैदान में आयोजित कार्यक्रम में छत्तीसगढ़ के नवगठित 30वां जिला ‘सारंगढ़-बिलाईगढ़’ का शुभारंभ करेंगे। यहां कार्यक्रम के अध्यक्षता स्कूल शिक्षा तथा आदिम जाति कल्याण मंत्री डॉ. प्रेमसाय सिंह टेकाम करेंगे। 

मुख्यमंत्री बघेल 3 सितम्बर को ही दोपहर 1 बजे खैरागढ़ स्थित राजा फतेह सिंह खेल मैदान में आयोजित कार्यक्रम में छत्तीसगढ़ के नवगठित 31वां जिला ‘खैरागढ़-छुईखदान-गंडई’ का शुभारंभ करेंगे। कार्यक्रम की अध्यक्षता खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति मंत्री अमरजीत भगत करेंगे।

नवगठित जिलों के शुभारंभ के अवसर पर मंत्रीगण सहित सांसद तथा विधायकगण और स्थानीय जनप्रतिनिधि भी शामिल होंगे। गौरतलब है कि मोहला-मानपुर-चौकी जिला अब राजनांदगांव जिले से अलग होकर एक नये प्रशासनिक इकाई के रूप में उभरेगा।

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल द्वारा स्वतंत्रता दिवस के दिन एक अलग जिले की ऐतिहासिक घोषणा के बाद मोहला-मानपुर-चौकी के सुदूर वनांचल क्षेत्रों तक हर्ष व्याप्त है। मोहला-मानपुर-चौकी क्षेत्र लंबे समय तक नक्सल गतिविधियों से प्रभावित रहा है।

नया जिला बन जाने से शासन-प्रशासन इन क्षेत्रों में और निकट तक पहुंचेगा और विकास कार्यों की गति बढ़ेगी। शासन के प्रयासों से इन क्षेत्रों में विकास कार्यों को प्राथमिकता देते हुए स्वास्थ्य, शिक्षा, खाद्यान्न, रोड कनेक्टिविटी के लिए विशेष कार्य किए जा रहे हैं। नया जिला बन जाने से इन क्षेत्रों की तस्वीर बदलेगी।

मानपुर प्राकृतिक वन संपदा से परिपूर्ण है। यहां के सघन वनों में लघुवनोपज प्रचुर मात्रा में है। मोहला-मानपुर क्षेत्र जनजातीय बाहुल्य क्षेत्र है। मोहला-मानपुर-चौकी जिला एक नये नक्शे के साथ आकार लेगा।

नवीन जिला की भौगोलिक सीमाएं उत्तर में जिला राजनांदगांव के तहसील छुरिया, दक्षिण में तहसील दुर्गकोंदल, पखांजुर जिला कांकेर, पूर्व में तहसील डौंडी, डौंडी लोहारा जिला बालोद एवं पश्चित में महाराष्ट्र की सीमा से लगी हुई है। प्रस्तावित नवीन जिला मोहला-मानपुर-चौकी दुर्ग संभाग के अंतर्गत होगा।

जहां जिले का नाम मोहला-मानपुर-चौकी होगा। नवीन गठित जिले में तहसीलों की संख्या 3 है जिसमें अम्बागढ़ चौकी, मोहला एवं मानपुर है। विकासखण्ड एवं जनपद पंचायत – अम्बागढ़ चौकी, मोहला एवं मानपुर है। 

नवीन मोहला-मानपुर-चौकी में कुल ग्रामों की संख्या 499 है। भौगोलिक क्षेत्रफल कुल 2 लाख 14 हजार 667 हेक्टयर है। यहां कि कुल जनसंख्या 2 लाख 83 हजार 947 है जिसमें अनुसुचित जनजाति की कुल जनसंख्या 1 लाख 79 हजार 662 जो जिले कि कुल जनसंख्या का 63.27 प्रतिशत है।

जिले में राजस्व निरीक्षक मंडल की संख्या 13 है, कुल पटवारी हल्का नम्बर 89 है, ग्राम पंचायत की संख्या 185 है। जिला मोहला-मानुपर-चौकी में थानों की कुल संख्या 9 है। विधानसभा क्षेत्र 2 तथा कुल मतदान केन्द्र संख्या 497 है।
 
प्रस्तावित गठित नवीन जिला मोहला-मानपुर-चौकी में अम्बागढ़ चौकी में ग्रामों की संख्या-158, मोहला में ग्रामों की संख्या 171 एवं मानपुर में ग्रामों की संख्या 170 है। इस नवीन जिले में भौगोलिक क्षेत्रफल अम्बागढ़ चौकी में 54 हजार 747 हेक्टेयर, मोहला में 70 हजार 301 हेक्टेयर एवं मानपुर में 89 हजार 619 हेक्टेयर है।

अम्बागढ़ चौकी की जनसंख्या 1 लाख 08 हजार 334, मोहला की जनसंख्या 86 हजार 994 एवं मानपुर की जनसंख्या 88 हजार 619 है। जहां अनुसूचित जनजाति की संख्या अम्बागढ़ चौकी में 52 हजार 786, मोहला में 60 हजार 950 एवं मानपुर में 65 हजार 926 है।

अनुसूचित जनजाति का प्रतिशत अम्बागढ़ चौकी में 48.73, मोहला में 70.06 एवं मानपुर में 74.39 है। नवीन जिले में राजस्व निरीक्षक मंडल की संख्या अम्बागढ़ चौकी में 5, मोहला में 4 एवं मानपुर में 4 है। नवीन जिले में पटवारी हल्का नम्बर अम्बागढ़ चौकी में 33, मोहला में 28 एवं मानपुर में 28 है।

अंबागढ़ चौकी में 69 ग्राम पंचायत, मोहला में 59 ग्राम पंचायत तथा मानपुर में 59 ग्राम पंचायत रहेंगे। राजनांदगांव जिले से अम्बागढ़ चौकी की दूरी 50 किलो मीटर, मोहला की दूरी 75 किलो मीटर, मानपुर की दूरी 100 किलो मीटर है।

गठित नवीन जिले में अम्बागढ़ चौकी के अंतर्गत दो थाने अम्बागढ़ चौकी थाना एवं चिल्हाटी थाना है। मोहला के अंतर्गत मोहला थाना एवं मानपुर के अंतर्गत कुल 6 थाने खडग़ांव थाना, मानपुर थाना, कोहका थाना, सीतागांव थाना, मदनवाड़ा थाना एवं औंधी थाना है। 

इसी तरह प्रस्तावित नवीन जिला ‘सारंगढ़-बिलाईगढ़’, जिला रायगढ़ के उप-खण्ड सारंगढ़, तहसील सारंगढ़ एवं बरमकेला तथा जिला बलौदाबाजार-भाटापारा के उप-खण्ड बिलाईगढ़ तथा तहसील बिलाईगढ़ को समाविष्ट करते हुए नवीन जिला ‘सारंगढ़-बिलाईगढ़’ का सृजन किया गया है। 
    
इसी तरह प्रस्तावित खैरागढ़-छुईखदान-गण्डई नवीन जिला अब राजनांदगांव जिले से अलग होकर एक नए प्रशासनिक इकाई का स्वरूप लेगा। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की घोषणा के बाद नए जिले निर्माण के गठन के लिए राजपत्र में अधिसूचना प्रकाशित हो गई है।

खैरागढ़-छुईखदान-गण्डई जिला लंबे समय तक नक्सल प्रभावित रहा है। प्रशासनिक विकेन्द्रीकरण होने से शासन-प्रशासन इन क्षेत्रों में जनसामान्य के और निकट पहुंचेगा। नए जिले को आकार देने का आगाज हो चुका है। मुख्यमंत्री के निर्देश के बाद जिला प्रशासन द्वारा जहां जालबांधा को उप तहसील का दर्जा दिया गया।

वहीं साल्हेवारा को तहसील का दर्जा देने के लिए राजपत्र में अधिसूचना जारी की गई है। जिससे जनसामान्य में उत्साह एवं हर्ष व्याप्त है। आने वाले समय में आम जनता को इसका प्रत्यक्ष लाभ मिलेगा और इन क्षेत्रों में आमूलचूल परिवर्तन होंगे तथा तीव्र गति से विकास होगा।

नया जिला बनने से जनआकांक्षाओं को अभिव्यक्ति मिली है और नई उम्मीद और नई संभावना के रास्ते खुले हैं। खैरागढ़-छुईखदान-गण्डई जिला सघन वनों से आच्छादित है और प्रचुर मात्रा में वन संपदा से समृद्ध है।

प्रस्तावित खैरागढ़-छुईखदान-गण्डई नवीन जिला दुर्ग संभाग के अंतर्गत होगा। इसके उत्तर में  जिला कबीरधाम, दक्षिण  में तहसील डोंगरगढ़, तहसील राजनांदगांव जिला-राजनांदगांव, पूर्व में  तहसील साजा जिला-बेमेतरा, तहसील- धमधा जिला दुर्ग, पश्चिम में तहसील लांजी जिला- बालाघाट (मध्यप्रदेश) की सीमा से लगी हुई है।

प्रस्तावित खैरागढ़-छुईखदान-गण्डई नवीन जिले की जनसंख्या 3 लाख 68 हजार 444 है। कुल ग्रामों की संख्या 494 तथा 3 नगरीय निकाय हैं। दो उप खण्ड खैरागढ़ एवं गण्डई-छुईखदान होंगे। 3 तहसील गण्डई, छुईखदान, खैरागढ़ होंगे।

वहीं 2 विकासखण्ड छुईखदान एवं खैरागढ़, 16 राजस्व निरीक्षक मंडल, 13 हजार 562 राजस्व प्रकरणों की संख्या, 1 लाख 18 हजार 183 हेक्टेयर कुल मकबूजा रकबा, 37 हजार 14 हेक्टेयर कुल गैर मकबूजा रकबा, 1 लाख 55 हजार 197 हेक्टेयर कुल राजस्व क्षेत्रफल, कुल खातेदारों की संख्या 1 लाख 53 हजार 663, 107 कुल पटवारी हल्का, 221 कुल ग्राम पंचायत, 338 कोटवार, 316 पटेल है।

दूरस्थ अंचलों के ग्रामीणों को राजनांदगांव जिला मुख्यालय आने के लिए 40 किलोमीटर लंबी दूर का सफर तय करना होता है। ऐसे में नया जिला बन जाने से उन्हें राहत मिलेगी और कई महत्वपूर्ण कार्य आसानी से होंगे। प्रशासनिक विकेन्द्रीकरण होने का फायदा आम जनता को मिलेगा।

बुनियादी सुविधाएं शिक्षा, स्वास्थ्य, पेयजल, खाद्यान्न लोगों तक आसानी से उपलब्ध होगी और सुविधाओं का विस्तार होगा। वहीं शासन की लोककल्याणकारी योजनाओं का क्रियान्वयन दूरस्थ अंचलों तक आसानी होगा। रोड कनेक्टिविटी, पुल-पुलिया के निर्माण से सुदूर वनांचल के क्षेत्रों में आवागमन की सुविधा बढ़ेगी।

खैरागढ़-छुईखदान-गण्डई जिला के सघन वनों में लघु वनोपज प्रचुर मात्रा में उपलब्ध है। कोदो, कुटकी, रागी, भेलवा, बहेड़ा, कालमेघ, लाख, माहुल पत्ता का संग्रहण कर इन क्षेत्रों में बड़ी संख्या में लघु वनोपज संग्राहकों को रोजगार एवं आर्थिक लाभ मिल रहा है।

इस क्षेत्र में विकास के और भी नए रास्ते खुलेंगे। वृक्षारोपण, वनोपज विदोहन, नरवा विकास, वन एवं वन्य जीव संरक्षण के क्षेत्र में कार्यों में प्रशासनिक कसावट आएंगी तथा विकासोन्मुखी सुविधाओं का विकास होगा।

हाल ही में खैरागढ़ वनमंडल के गण्डई वन परिक्षेत्र अंतर्गत लघु वनोपज प्रसंस्करण केन्द्र के स्थापना की स्वीकृति प्राप्त हुई है। 70 लाख रूपए की लागत से स्थापित होने वाले इस लघु वनोपज प्रसंस्करण केन्द्र से वनोपज आधारित आजीविका के साधन सुलभ होंगे तथा सतत रोजगार के अवसर उपलब्ध होंगे।

खैरागढ़-छुईखदान-गण्डई जिला खनिज संसाधनों के मामले में भी समृद्ध है, जिससे औद्योगिक विकास को गति मिलेगी। खैरागढ़ क्षेत्र में चूना पत्थर गौण खनिज उपलब्ध है। वहीं इसके साथ ही क्वार्टजाईट, सिलिका सेण्ड, ईट मिट्टी जैसे खनिज उपलब्ध हैं।

वहीं छुईखदान क्षेत्र में मुख्य खनिज चूना पत्थर उपलब्ध है तथा साधारण पत्थर एवं लौह खनिज अयस्क मिलने की संभावना है। शासन द्वारा 220 करोड़ 7 लाख 19 हजार रूपए की लागत से निर्माणाधीन सिद्धबाबा जलाशय लघु सिंचाई परियोजना से इस क्षेत्र की तस्वीर बदलेगी।

लमती नदी में बनने वाले इस परियोजना से 34 ग्राम लाभान्वित होंगे तथा 1 हजार 840 हेक्टेयर की भूमि की सिंचाई की जा सकेगी। कृषि क्षेत्र में विकास के अवसर बढ़ेगे। वहीं सुरही जलाशय लघु सिंचाई परियोजना अंतर्गत वेस्ट वियर की ऊंचाई बढ़ाने तथा नहर का विस्तार का जीर्णाेद्धार, लाइनिंग कार्य तथा नहर विस्तार किया जा रहा है।

जिससे सिंचाई के रकबा में 120 हेक्टेयर की बढ़ोत्तरी होगी। पिपरिया जलाशय मध्यम सिंचाई परियोजना से 91 ग्राम लाभान्वित हो रहे हैं तथा 6 हजार 240 हेक्टेयर रकबा में सिंचाई हो रही है। नया जिला गढऩे की दिशा में तेजी से कदम बढ़ाये जा रहे हैं और आने वाले वर्षों में इसके सुखद परिणाम मिलेंगे।

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