मुख्य सचिव के साथ बातचीत के बीच हड़ताली कर्मचारियों पर सख्ती भी शुरू हो गई है। सरकार ने हड़ताल में शामिल नहीं हुए कर्मचारियों को पिछली हड़ताल के दिनों का वेतन जारी करने का निर्देश दिया है।
वहीं हड़ताल में शामिल कर्मचारियों पर साल 2006 में जारी एक शासकीय परिपत्र-G.O. के मुताबिक कार्रवाई करने को कहा गया है।
सामान्य प्रशासन विभाग की उप सचिव मेरी खेस्स ने सोमवार को सभी विभागाध्यक्षों, राजस्व मंडल, संभाग आयुक्तों और कलेक्टरों को एक परिपत्र जारी किया।
इसमें दो बातें कहीं गईं। पहला – विभिन्न कर्मचारी संगठनाें के आह्वान पर कई कर्मचारी 22 अगस्त से हड़ताल पर हैं। जो कर्मचारी पिछली 25 जुलाई से 29 जुलाई तक की अवधि में हड़ताल पर थे और जिन्होंने वर्तमान हड़ताल में हिस्सा नहीं लिया है, उनके पूर्व हड़ताल अवधि को अवकास स्वीकृत करते हुए वेतन भुगतान किया जाए।
दूसरा- जो कर्मचारी 25 से 29 जुलाई तक भी हड़ताल पर थे और अब भी हड़ताल पर बैठे हैं, उनके अनुपस्थिति के संबंध में संदर्भित परिपत्र के निर्देशों के तहत कार्रवाई की जाए।
सामान्य प्रशासन विभाग ने इस निर्देश के साथ जिस परिपत्र का संदर्भ दिया है वह 10 अप्रैल 2006 को सामान्य प्रशासन विभाग की कर्मचारी कल्याण शाखा से जारी हुआ था, इसपर तत्कालीन मुख्य सचिव आरपी बगाई के हस्ताक्षर हैं।
2006 में जारी यह परिपत्र छत्तीसगढ़ सिविल सेवा आचरण नियम-1965 के नियम 6 और 7 के मुताबिक प्रदर्शन-हड़ताल और स्वीकृत होने से पहले अवकाश पर जाना शासकीय सेवकों के लिए प्रतिबंधित है। यह “कदाचरण’ की श्रेणी में आता है।
इस तरह की कार्यवाही के निर्देश हैं
तत्कालीन मुख्य सचिव ने इसके लिए कार्रवाई के निर्देश दिए थे। उसके मुताबिक ऐसे लोगों को यह बात बता दी जाए कि उनका कृत्य कदाचरण की श्रेणी में आता है और उनपर इसके लिए अनुशासनात्मक कार्रवाई हो सकती है।
हड़ताल की दशा में अनुपस्थित दिनों का वेतन इत्यादि नहीं मिलेगा। इन अनुपस्थित दिनों को अवकाश भी मंजूर नहीं किया जाएगा। यही नहीं इस अवधि को “ब्रेक इन सर्विस’ माना जाएगा।
जब कभी सरकारी सेवक ऐसे कृत्य करें तो घोर अनुशासनहीनता करने वालों के विरुद्ध गुण-दोष के आधार पर अनुशासनात्मक कार्रवाई की सिफारिश भी सक्षम अधिकारी दे सकेंगे।
मुख्य सचिव ने की है कर्मचारी नेताओं से बात
मुख्य सचिव अमिताभ जैन ने सोमवार को ही छत्तीसगढ़ कर्मचारी अधिकारी फेडरेशन के नेताओं को कार्यालय बुलाया था। वहां विधायक विकास उपाध्याय की मौजूदगी में मुख्य सचिव और हड़ताली नेताओं के बीच बातचीत हुई है।
मुख्य सचिव ने आम लोगों की दिक्कतों का हवाला देकर काम पर वापस लौटने की बात कही। हड़ताली नेता अभी भी अपनी मांग पर अड़े हुए हैं। बातचीत का फिलहाल कोई नतीजा नहीं निकला है।
भत्ता बढ़ाने के लिए हड़ताल पर हैं कर्मचारी
छत्तीसगढ़ के राज्य कर्मचारियों की यह हड़ताल भत्ता बढ़ाने की मांग के लिए है। कर्मचारी संगठन कई महीनों से केंद्र सरकार की तरह 34% महंगाई भत्ता देने की मांग कर रहे थे। उनकी मांग थी, इस दर तक पहुंचने के लिए उनका भत्ता 12% बढ़ाया जाना चाहिए।
वहीं सातवें वेतनमान की सिफारिशों के मुताबिक मूल वेतन का 18% गृह भाड़ा भत्ता की मांग भी साथ-साथ उठी है। जुलाई में पांच दिनों की हड़ताल के बाद सरकार ने महंगाई भत्ते में 6% इजाफे का आदेश जारी कर दिया।
वहीं गृह भाड़ा भत्ता के लिए आश्वासन हाथ आया। उसके बाद 22 अगस्त से कर्मचारी अनिश्चितकालीन हड़ताल पर चले गए।