इस समय पूरे इराक में कर्फ्यू लगा है।
इसकी वजह है एक ताकतवर शिया धर्मगुरू के राजनीति से संन्यास की घोषणा करना।
इराक के प्रभावशाली शिया धर्मगुरु मुक्तदा अल-सदर ने सोमवार को घोषणा की कि वह राजनीति से संन्यास ले लेंगे। इसकी प्रतिक्रिया में उनके नाराज समर्थक सरकारी महल पहुंच गए। इससे यह आशंका उत्पन्न हो गई कि इराक में हिंसा भड़क सकती है जो पहले से ही राजनीतिक संकट का सामना कर रहा है।
शिया धर्मगुरु के समर्थकों द्वारा सरकारी भवन पर धाबा बोलने के बाद इराकी सेना ने देशव्यापी कर्फ्यू की घोषणा कर दी। समाचार एजेंसी के मुताबिक, बगदाद के ग्रीन जोन में संघर्ष में दो प्रदर्शनकारी मारे गए हैं।
इराक में क्यों मचा बवाल?
इराक की सरकार में गतिरोध तब से आया है जब धर्मगुरु मुक्तदा अल-सदर की पार्टी ने अक्टूबर के संसदीय चुनावों में सबसे अधिक सीटें जीती थीं लेकिन वह बहुमत के लिए जरूरी सीटें नहीं जीत पाए थे। उन्होंने आम सहमति वाली सरकार बनाने के लिए ईरान समर्थित शिया प्रतिद्वंद्वियों के साथ बातचीत करने से इनकार कर दिया था।
अल-सदर के समर्थक जुलाई में प्रतिद्वंद्वियों को सरकार बनाने से रोकने के लिए संसद में घुस गए और चार सप्ताह से अधिक समय से धरने पर बैठे हैं। उनके गुट ने संसद से इस्तीफा भी दे दिया है। यह पहली बार नहीं है जब अल-सदर ने संन्यास की घोषणा की है। वह इससे पहले भी ऐसी घोषणा कर चुके हैं।
देश की स्थिति और बिगड़ सकती है
कई लोगों ने अल-सदर के इस कदम को वर्तमान गतिरोध के बीच प्रतिद्वंद्वियों के खिलाफ बढ़त हासिल करने का एक और प्रयास करार दिया। हालांकि कुछ ने यह आशंका जतायी है कि इस बार के उनके कदम से देश की स्थिति और बिगड़ सकती है, जो पहले से ही खराब है।
सोमवार को सैकड़ों प्रदर्शनकारियों ने रिपब्लिकन पैलेस के बाहर सीमेंट के बैरियर को रस्सियों से नीचे गिराया और महल के फाटकों को तोड़ दिया। उनमें से कई महल के सभागार में पहुंच गए।
इराक की सेना ने बढ़ते तनाव को शांत करने और झड़पों की आशंका को दूर करने के उद्देश्य से सोमवार को शहर भर में कर्फ्यू की घोषणा कर दी। एक बयान के अनुसार, सेना ने धर्मगुरु के समर्थकों से भारी सुरक्षा वाले सरकारी क्षेत्र से तुरंत हटने और ‘‘संघर्ष या इराकी खून बहने से रोकने के लिए’’ आत्म-संयम का पालन करने का आह्वान किया।
धर्मगुरु अल-सदर ने एक ट्वीट में राजनीति से हटने की घोषणा की और अपने पार्टी कार्यालयों को बंद करने का आदेश दिया। धार्मिक और सांस्कृतिक संस्थान खुले रहेंगे।