नई दिल्ली: श्रीलंका में चीन के जासूसी जहाज को लेकर चीनी राजदूत की टिप्पणी पर भारत ने कड़ा ऐतराज जताया है।
कोलंबो में भारतीय दूतावास ने ट्विटर पर श्रीलंका में चीन के राजदूत क्यूई जेनहोंग को कड़ी फटकार लगाते हुए कहा कि, उन्होंने ऐसे बयान देकर बुनियादी राजनयिक शिष्टाचार का उल्लंघन किया है।
यह उनकी व्यक्तिगत सोच हो सकती है लेकिन एक बड़े राष्ट्रीय दृष्टिकोण को दर्शाती है। “श्रीलंका के बारे में उनका दृष्टिकोण उनके अपने देश के व्यवहार से मिलाजुला हो सकता है लेकिन भारत उन्हें आश्वस्त करता है कि, हम बहुत अलग हैं।
एक कथित वैज्ञानिक अनुसंधान पोत की यात्रा का मकसद सिर्फ जियोपॉलिटिकल मुद्दों को लेकर है” श्रीलंका में जारी आर्थिक संकट और कर्ज को लेकर चीन की टिप्पणियों पर चेतावनी देते हुए।
भारतीय दूतावास ने कहा कि श्रीलंका को मदद की जरूरत है, लेकिन समर्थन की आड़ में किसी दूसरे देश के एजेंडे को पूरा करने के लिए अवांछित दबाव या अनावश्यक विवादों की आवश्यकता नहीं है।
चीनी राजदूत ने बिना नाम लिए साधा था नई दिल्ली पर निशाना
चीन का कथित अनुसंधान पोत युआन वांग-5 11 अगस्त को चीनी द्वारा निर्मित बंदरगाह हंबनटोटा पर हिंद महासागर क्षेत्र के उत्तर-पश्चिमी भाग में अंतरिक्ष ट्रैकिंग, उपग्रह नियंत्रण और अनुसंधान ट्रैकिंग का संचालन करने के लिए पहुंचा था लेकिन इसकी आड़ में वह भारतीय मिसाइलों पर नजर रखना चाहता था।
भारत ने इसे लेकर कड़ा विरोध जताया था। भारत के हस्तक्षेप के बाद चीन की नापाक योजना विफल होने के बाद कोलंबो में चीनी राजदूत क्यूई जेनहोंग ने बिना नाम लिए नई दिल्ली पर हमला बोला था।
एक बयान में चीनी राजदूत ने कहा, हंबनटोटा या किसी अन्य बंदरगाह पर एक विदेशी पोत को मंजूरी देना श्रीलंका सरकार द्वारा पूरी तरह से अपनी संप्रभुता के तहत लिया गया निर्णय है और इस संबंध में किसी अन्य देश द्वारा राष्ट्रीय संप्रभुता, स्वतंत्रता और क्षेत्रीय एकता के खिलाफ किए गए प्रयासों को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।