मोदी-शाह के लिए 2024 के चुनाव में मुश्किलें खड़ी कर सकते हैं ये पांच मुख्यमंत्री, जाने नाम…

नई दिल्ली: बिहार के मुख्यमंत्री और जेडीयू के वरिष्ठ नेता नीतीश कुमार द्वारा राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन छोड़ने के बाद बीजेपी के खिलाफ विपक्षी मुहिम में अब नई जान आ गई है।

माना जा रहा है कि विपक्ष की यह ताकत 2024 के आम चुनावों में नरेंद्र मोदी सरकार और बीजेपी के लिए चुनौती साबित हो सकती है।

हालांकि, विपक्ष कितनी मजबूती से और कितनी तत्परता से एकजुट रह पाता है, यह उन परिस्थितियों पर ही निर्भर करेगा। लेकिन जो सियासी चेहरे 2024 के आम चुनावों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का विजय रथ रोक सकते हैं उनमें पांच राज्यों के मुख्यमंत्री समेत कुछ पूर्व मुख्यमंत्री भी शामिल हैं।

नीतीश कुमार : बिहार में लोकसभा की कुल 40 सीटें हैं इनमें से 17 पर फिलहाल बीजेपी का कब्जा है बदली हुई राजनीतिक फिज़ा में जेडीयू-राजद और कांग्रेस के पास अब 19 सांसद हैं।

अगर इन तीनों दलों का वोट परसेंट जोड़ दें तो यह 4487 फीसदी हो जाता है, जो बीजेपी के वोट परसेंट (2358) से करीब-करीब दोगुना है फिलहाल लोजपा (786% वोट शेयर) भी बीजेपी के साथ है लेकिन पार्टी चाचा-भतीजे की लड़ाई में दो हिस्सों में बंट चुकी है ।

हालांकि, 2019 का चुनाव पीएम मोदी के चेहरे पर लड़ा गया था और जेडीयू भी उसके साथ था लेकिन 2024 में जब आम चुनाव लड़ा जाएगा, तब नीतीश बीजेपी के साथ नहीं होंगे।

बल्कि 2015 के विधान सभा चुनाव की तरह दो दिग्गजों- नीतीश कुमार और लालू यादव के साथ-साथ कांग्रेस, हम और लेफ्ट भी उनके खिलाफ रह सकता है 2015 के विधानसभा चुनाव में  राजद-जेडीयू और कांग्रेस के गठजोड़ को कुल 419 फीसदी वोट मिले थे।

जबकि बीजेपी को 244 फीसदी वोट मिले थे हालांकि, तब जीतनराम मांझी की हम और उपेंद्र कुशवाहा की रालोसपा NDA गठबंधन में शामिल थी, जिसे क्रमश: 23 और 26 फीसदी यानी कुल 49 फीसदी वोट मिले थे।

अब ये दोनों दल NDA से छिटक चुके हैं इनके अलावा लेफ्ट को भी 3 फीसदी वोट मिले थे अगर इन सभी को जोड़ दिया जाता है तो महगठबंधन के खाते में करीब 45 फीसदी वोट आ सकते हैं अगर ऐसा हुआ तो बिहार बीजेपी के लिए 2024 में बड़ी मुश्किल हो सकती है।

ममता बनर्जी: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लिए चुनौती बनकर उभरे दूसरे बड़े मुख्यमंत्री के रूप में ममता बनर्जी हैं, जिन्होंने पश्चिम बंगाल में लगातार तीसरी बार सत्ता में वापसी की है पिछले साल हुए पश्चिम बंगाल विधान सभा चुनावों की बात करें तो उनकी पार्टी टीएमसी ने कुल 4802 फीसदी वोट शेयर हासिल किए थे।

जबकि उनके खिलाफ पूरी ताकत से मैदान में उतरी बीजेपी और टीम मोदी को 2781 फीसदी वोट हासिल हुए थे 42 लोकसभा सदस्यों वाले बंगाल में 2019 के चुनावों में भी टीएमसी को कुल 433 फीसदी वोट मिले थे, जबकि मोदी लहर में बीजेपी को 407 फीसदी वोट मिले थे।

कांग्रेस को 567 और लेफ्ट को 633 फीसदी वोट मिले थे अगर 2024 में पूरा विपक्ष एकजुट होकर चुनाव लड़ता है तो बीजेपी के मौजूदा लोकसभा सांसदों की संख्या 18 से नीचे खिसक सकती है 2019 में बीजेपी को 16 सीटों का फायदा हुआ था।

केसीआर :  तेलंगाना के मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव (KCR) लंबे समय से पीएम मोदी की आलोचना करते रहे हैं दोनों नेताओं में सियासी मत भिन्नता इतनी कि हैदराबाद में पीएम मोदी की अगुवानी करने भी केसीआर नहीं गए पीएम मोदी की टीम भी उन्हें सियासी पटखनी देने में पीछे नहीं है।

अभी हाल ही में प्रधानमंत्री और अमित शाह ने मिशन दक्षिण के तहत हैदराबाद पर जोर बढ़ा दिया है। केसीआर चाहते हैं कि गैर बीजेपी और गैर कांग्रेस दलों का तीसरा मोर्चा 2024 में पीएम मोदी के जादू की काट निकाले इसके लिए उन्होंने कई मुख्यमंत्रियों से संपर्क भी साधे लेकिन फिलहाल वो इस मुहिम में कामयाब होते नहीं दिख रहे बहरहाल।

2024 चे चुनाव में केसीआर बीजेपी के लिए फिर मुश्किल खड़े कर सकते हैं 2019 के लोकसभा चुनावों में भी केसीआर ने तेलंगाना में कुल 469 फीसदी अपने दम पर हासिल किए थे, जबकि बीजेपी गठबंधन को सिर्फ 71 फीसदी वोट मिले थे।

मुख्य विपक्षी कांग्रेस को 284 और AIMIM को 27 फीसदी वोट मिले थे 2018 के तेलंगाना विधानसभा चुनाव में भी केसीआर की पार्टी TRS को 4129 फीसदी, कांग्रेस को 2948 फीसदी और बीजेपी नीत एनडीए को 1945 फीसदी वोट मिले थे तेलंगाना से लोकसभा की कुल 17 सीटें हैं।

एम के स्टालिन : तमिलनाडु के मुख्यमंत्री और डीएमके नेता एम के स्टालिन तमिलनाडु में बीजेपी की राह में बड़ा कांटा हैं 39 लोकसभा सीटों वाले इस राज्य में 2019 के लोकसभा चुनावों में डीएमके और कांग्रेस के गठबंधन को कुल 38 सीटों पर जीत मिली थी।

कुल 3353 फीसदी वोट मिले थे, जबकि बीजेपी और AIADMK गठबंधन को मात्र एक सीट पर ही संतोष करना पड़ा इस गठबंधन को 1939 फीसदी वोट मिले थे इसमें बड़ी बात यह है कि 2014 के लोकसभा चुनावों में DMK-कांग्रेस गठबंधन को कोई सीट नहीं मिली थी।

अरविंद केजरीवाल: दिल्ली के मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल का बढ़ता राजनीतिक दायरा भी बीजेपी के लिए 2024 में मुश्किलें खड़ी कर सकता है इस साल हुए पंजाब विधानसभा चुनाव में आप की जीत से गदगद केजरीवाल ने अब हिमाचल प्रदेश और गुजरात पर नजरें गड़ा रखी हैं।

इन दोनों राज्यों में इसी साल के अंत तक विधानसभा चुनाव होने हैं दिल्ली में टीम केजरीवाल ने बीजेपी को लगातार तीन विधानसभा चुनावों में पटखनी दी है, हालांकि, लोकसभा चुनाव में दिल्ली में बीजेपी ने बाजी मारी थी।

शरद पवार-उद्धव ठाकरे : मराठा छत्रप और एनसीपी सुप्रीमो शरद पवार भी महाराष्ट्र में बीजेपी के लिए मुश्किलें खड़ी कर सकते हैं माना जा रहा है कि शरद पवार की पार्टी एनसीपी, कांग्रेस और शिवसेना का उद्धव ठाकरे गुट मिलकर 2024 का लोकसभा चुनाव लड़ सकता है।

2019 के लोकसभा चुनावों में महाराष्ट्र की कुल 48 सीटों में से 23 पर बीजेपी ने जीत दर्ज की थी और उसकी सहयोगी शिवसेना ने 18 सीटें जीती थीं दोनों दलों को क्रमश: 2784 और 235 फीसदी वोट मिले थे।

जबकि अलग-अलग चुनाव लड़ने वाली कांग्रेस और एनसीपी को क्रमश: 16 और 1566 फीसदी वोट मिले थे बदली हुई मौजूदा सियासी परिस्थितियों में अब शिवसेना दो फाड़ हो चुकी है, ऐसे में 2019 के मुकाबले 2024 में NDA का वोट शेयर बंटने का खतरा है ।

इनके अलावा झारखंड में सीएम हेमंत सोरेन की पार्टी जेएमएम, उत्तर प्रदेश में पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की पार्टी सपा भी बीजेपी के लिए बड़ी चुनौती पेश कर सकती है क्योंकि दोनों ही राज्य बिहार से सटे हुए हैं, और वहां की सियासी हवा भी नीतीश और लालू यादव के एक होने से बदल सकती है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

× Whatsaap