जो लोग टैटू बनवाने की सोच रहे हैं वो पहले इस खबर को पढ़ लें-
हाल ही में टैटू बनवाने के कारण वाराणसी में लगभग 2-3 लोग HIV पॉजिटिव पाए गए हैं।
पं. दीन दयाल उपाध्याय अस्पताल की एंटी रेट्रोवायरल ट्रीटमेंट सेंटर की डॉक्टर प्रीति अग्रवाल के मुताबिक जो लोग HIV पॉजिटिव आए हैं, उन लोगों को सबसे पहले बुखार आया फिर शरीर कमजोर होता चला गया। बहुत इलाज कराने के बाद जब HIV की जांच कराई गई तब रिपोर्ट पॉजिटिव आई।
घटना से जुड़े कुछ जरूरी सवाल और जवाब-
सवाल- टैटू बनवाने की वजह से ये लोग HIV पॉजिटिव क्यों आए? इसके पीछे की असल वजह क्या है?
जवाब- डॉ. प्रीति के अनुसार, मरीजों की काउंसलिंग की गई तो पता लगा कि टैटू बनवाने के लिए जिस सुई का इस्तेमाल किया गया है, वही HIV संक्रमित थी। और इसी एक सुई का इस्तेमाल कई लोगों के शरीर पर टैटू बनाने के लिए किया गया था।
सवाल- टैटू बनाने वाले लोगों ने एक ही सुई का इस्तेमाल क्यों किया? जवाब- दरअसल लोगों ने एक ही फेरी वाली से टैटू बनवाया था। टैटू बनाने वाली निडिल यानी सुई काफी महंगी आती है। इसलिए फेरी वाले ने पैसे बचाने के चक्कर में एक ही सुई का कई बार इस्तेमाल कर दिया।
जो लोग टैटू बनवाने की सोच रहे हैं, अब उन लोगों के मन में आने वाले सवाल के जवाब जानते हैं-
सवाल- टैटू बनवाने में कितना दर्द होता है?
जवाब- शरीर के किसी हिस्से पर कम दर्द होगा, तो किसी हिस्से पर ज्यादा। ये व्यक्ति की सहन करने की शक्ति पर निर्भर करता है।
दर्द होता क्यों है, इसके पीछे का साइंस समझ लीजिए- शरीर में मौजूद नर्व की वजह से टैटू बनवाते वक्त आपको दर्द महसूस होता है। जिस वक्त आपके शरीर में सुई से टैटू बनाया जाता है, उस वक्त नर्व दिमाग को दर्द होने का मैसेज भेजती हैं।
सवाल- टैटू बनवाने में शरीर के किस हिस्से में ज्यादा दर्द होता है?
जवाब- शरीर के जिन हिस्सों में कम चर्बी होती है और नर्व या हड्डी ज्यादा होती हैं। वहां टैटू बनवाने में सबसे ज्यादा दर्द होता है। पैर, टखना, पिंडली, कंधे और पसलियों के पास का हिस्सा बहुत सेंसटिव होता है।
एक इंसान को टैटू बनवाने में जितना दर्द हो रहा हो, जरूरी नहीं है कि दूसरे को भी उतना ही हो। सबके दर्द बर्दाश्त करने की क्षमता अलग होती है।
सावधानी के साथ टैटू नहीं बनवाया गया, तो ये 3 बीमारियां हो सकती हैं
- हेपेटाइटिस बी
- वायरल इंफेक्शन
- HIV
सवाल- अच्छा टैटू बनवाने का क्या कोई फायदा भी है या सिर्फ नुकसान ही होता है?
जवाब- साइंस की मानें तो टैटू बनवाने के कुछ फायदे भी हैं। जैसे-
- अमेरिकन जर्नल ऑफ ह्यूमन बायोलॉजी में पब्लिश एक स्टडी के अनुसार, टैटू बनवाने से इम्यून सिस्टम अच्छा होता है।
- अमेरिकन जर्नल ऑफ ह्यूमन बायोलॉजी की ही रिसर्च ये कहती है कि टैटू बनवाने के प्रोसेस में कोर्टिसोल (यह एक स्ट्रेस हार्मोन है) कम होता है। जिसकी वजह से किसी भी इंसान का स्ट्रेस भी कम होता है।
- Sciencedirect में पब्लिश एक स्टडी के अनुसार, 2 हजार 395 कॉलेज के छात्रों में टैटू और आत्मसम्मान के बीच रिलेशन पाया गया। जिस स्टूडेंट्स ने ज्यादा टैटू बनवाए थे, उसमें उतना ही बड़ा आत्मविश्वास देखने को मिला।
सवाल- टैटू बनवाने के बाद किन बातों का ख्याल रखना चाहिए?
जवाब- नीचे लिखे इन बातों का ख्याल जरूर रखें-
- टैटू छूने न दें- आप जब पहली बार अपना टैटू बनवाकर आते हैं, तो दोस्तों या फैमिली मेंबर्स इसे लेकर काफी एक्साइटेड रहते हैं। ऐसे में लोग टैटू छूकर देखना चाहते हैं, लेकिन ये स्किन के लिए अच्छी बात नहीं है। क्योंकि बगैर सैनिटाइज किए लोग गंदे हाथों से अगर इसे टच करेंगे तो, उसमें बैक्टीरिया पनपने की संभावना है।
- धूप में जाने से परहेज करें- जब टैटू नया बना हो, तब आपको इसे धूप नहीं लगने देना चाहिए। क्योंकि सूरज की किरणों में मौजूद यूवी रेज काफी हार्मफुल होती है, जो टैटू के कलर को बिगाड़ सकती है। बाहर जाने पर आप SPF 50 की कोई भी सनस्क्रीन अप्लाई कर सकते हैं।
चलते-चलते जान लीजिए-
टैटू को गोदना कहा जाता है। इसे बनवाने के पीछे कुछ मान्यताएं और किंवदन्तियां हैं।
- कुछ आदिवासी जनजातियों की मान्यता है कि शरीर में गोदना रहने से नजर नहीं लगती है।
- एक मान्यता है कि मरने के बाद शरीर के सारे गहने उतरवा लिए जाते हैं, लेकिन गोदना ऐसा गहना है, जो मरने के बाद भी साथ जाता है।
- कुछ लोगों का मानना है कि गोदना गुदवाने से स्वर्ग में जगह मिलती है। इसलिए इसे स्वर्ग जाने का पासपोर्ट भी कहा जाता है।
लड़कियों को बदसूरत दिखाने के लिए टैटू बनाने की शुरू हुई थी परंपरा
छत्तीसगढ़ के रायपुर में साल 2019 में राष्ट्रीय आदिवासी नृत्य महोत्सव में शामिल हुईं ओडिशा के डंगरिया कंद समुदाय की कलाकार ज्योति प्रभा ने दैनिक भास्कर को बताया था कि पुराने समय में राजा जंगल में शिकार के लिए आते थे। सुंदर आदिवासी लड़कियों को वे अपने साथ उठाकर ले जाते थे।
आदिवासियों ने लड़कियों को सुरक्षित करने के लिए उन्हें बदसूरत बनाना तय किया। उनके चेहरों पर टैटू बनाए। लोगों में यह सोच आ गई थी कि जो महिला जितनी ज्यादा बदसूरत दिखेगी, वह उतनी ही सुरक्षित रहेगी।
वक्त के साथ लड़कियों को बदसूरत बनाने का यह सिलसिला परंपरा बना और धीरे-धीरे अब श्रृंगार बन गया। ज्योति बताती हैं कि हमारे समुदाय में एक मान्यता यह भी है कि शरीर पर बने यह निशान (टैटू) मौत के बाद भी उनके साथ रहते हैं और वे गर्व से इन्हें यमदूत को दिखाते हैं। इन टैटू को स्थानीय भाषा में बोना कहा जाता है।