श्रम मंत्रालय की नींद वैसे तो कभी खुली ही नहीं।
कर्मचारियों पर अत्याचार होते रहे।
उनके साथ अन्याय होते रहे। मंत्रालय हमेशा सोया ही रहा। कर्मचारियों के पक्ष में उसने कोई जीत पाई भी तो तब तक या तो वह रिटायर हो गया या उसकी मृत्यु हो गई। लेकिन कर्मचारियों के अहित या उसकी असुरक्षाओं में वह हमेशा आगे रहा।
एक नई जानकारी सामने आई है जिसके मुताबिक ईपीएफओ के लगभग 28 करोड़ सदस्यों का डेटा लीक हो गया है। हालांकि वर्तमान ईपीएफओ सदस्यों और पेंशनर्स को मिलाकर कुल संख्या लगभग सवा सात करोड़ ही है लेकिन इनके नामिनी को जोड़ लें तो संख्या इसकी दुगनी हो जाती है।
इसके अलावा लगभग दस लाख सदस्य हर महीने नए जुड़ते हैं। हालांकि कई सदस्य हटते भी हैं। यूक्रेन के एक रिसर्चर ने यह डेटा लीक होने की बात सार्वजनिक की है। हो सकता है यह अफवाह ही हो और डेटा वाकई लीक न हुआ हो, लेकिन खतरा तो है।
श्रम मंत्रालय न तो इसकी पुष्टि कर पा रहा है, न ही खंडन कर रहा है। ईपीएफओ के इस डेटा में सभी कर्मचारियों के बैंक अकाउंट नंबर, उनके नामिनी के अकाउंट नंबर, साथ में बाकी निजी जानकारियां भी होती हैं।
हालांकि रिसर्चर का कहना है कि जानकारी सामने आते ही सार्वजनिक लिंक से डेटा हटा लिया गया है लेकिन अगर वो किसी के पास है तो इसका इस्तेमाल वह कर ही सकता है। करेगा ही। 2021 तक ही ईपीएफओ मेंबर्स के खातों में कुल 11 लाख करोड़ रुपए जमा थे।
अभी यानी 2021 के डेढ़ साल बाद तो यह आंकड़ा और भी बड़ा हो चुका होगा। इस तरह डेटा लीक होने के बाद चिंता यह बढ़ गई है कि हमारे देश में पैसा ट्रांसफर करना अब इतना आसान हो गया है कि इस मामले में और किसी भी देश में इतनी आसानी नहीं है। यहां तक कि विकसित देशों में भी नहीं।
क्योंकि वे देश लोगों और उनकी निजी जानकारियों की सुरक्षा को सर्वोपरि मानते हैं। हमारे यहां तो नोटबंदी के बाद ऑनलाइन ट्रांसफर को इतना ज्यादा प्रचारित, प्रसारित किया गया है कि लोगों में होड़ मच गई। सुरक्षा की परवाह किए बिना लोग पैसा ट्रांसफर कर रहे हैं।
चाहे हाथ ठेले पर दस रुपए का मनी ट्रांसफर हो या किसी शोरूम पर दो लाख का, लोग बेफिक्र होकर लगे हुए हैं ट्रांसफर करने में। इनका डेटा कैसे सुरक्षित रहा होगा, इसकी चिंता किसी को नहीं है।
आखिर कैसे इस पूरे डेटा को कोई सुरक्षित रख सकता है? सरकार तो खुद अपना डेटा नहीं संभाल पा रही है, 140 करोड़ में से लगभग सौ करोड़ लोगों का डेटा कैसे संभाल पाएगी? बहरहाल, सावधानी में ही सबसे बड़ी सुरक्षा निहित है।
पैसा ट्रांसफर करने की बात हो या निजी जानकारी या लोकेशन संबंधी बात हो, हम अगर सावधानी नहीं बरतेंगे तो डेटा को लीक होने से कोई नहीं रोक सकता। अपनी सुरक्षा खुद को ही करनी होगी। किसी मंत्रालय, किसी राज्य या केंद्र सरकार के भरोसे बैठे रहने से अब कुछ नहीं होने वाला है।