झारखंड में शिक्षक भर्ती के एक मामले में सुप्रीम कोर्ट ने अहम टिप्पणी करते हुए हाई कोर्ट के फैसले को बरकरार रखा है।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आरक्षण की वजह से शिक्षा की गुणवत्ता से समझौता नहीं किया जा सकता है, दरअसल झारखंड सरकार ने 13 अनुसूचित जिलों में सरकारी स्कूलों में शिक्षकों के सभी पद अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित कर दिए थे।
इसके बाद गैरअनुसूचित जनजाति के लोगों ने झारखंड हाई कोर्ट में अपील की थी। सुप्रीम कोर्ट ने भी हाई कोर्ट के फैसले को बरकरार रखा है।
झारखंड में शिक्षक भर्ती के एक मामले में सुप्रीम कोर्ट ने अहम टिप्पणी करते हुए हाई कोर्ट के फैसले को बरकरार रखा है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आरक्षण की वजह से शिक्षा की गुणवत्ता से समझौता नहीं किया जा सकता है।
दरअसल झारखंड सरकार ने 13 अनुसूचित जिलों में सरकारी स्कूलों में शिक्षकों के सभी पद अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित कर दिए थे। इसके बाद गैरअनुसूचित जनजाति के लोगों ने झारखंड हाई कोर्ट में अपील की थी। सुप्रीम कोर्ट ने भी हाई कोर्ट के फैसले को बरकरार रखा है।
राज्य सरकार ने इस आदेश के पीछे तर्क रखा था कि अगर आदिवासी बच्चों को पढ़ाने के लिए उनके स्थानीय लोगों का ही चयन किया जाएगा तो भाषा समझने में आसानी होगी।
हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने इस तर्क को मानने से इनकार कर दिया। कोर्ट ने कहा, यह बात छोटी कक्षाओं के लिए तो समझ में आती है लेकिन यह सिद्धांत अन्य कक्षाओं पर लागू नहीं किया जा सकता। 5वीं से ऊपर किसी भी भाषा में बच्चों को सिखाया जा सकता है।