चीन की तमाम धमकियों की परवाह किए बिना अमेरिकी प्रतिनिधि सभा की स्पीकर नैंसी पेलोसी ताइवान पहुंच गई।
इसके साथ ही ड्रैगन का पारा चढ़ चुका है, जैसे-जैसे पेलोसी के चीन पहुंचने का समय करीब आ रहा थी, चीन की आक्रामकता बढ़ती जा रही थी।
इन सबके बीच 13 अमेरिकी विमानों की सुरक्षा के बीच नैंसी ने ताइवान की धरती पर लैंड किया और ताइवानी लोगों के अधिकार की बात की, वहीं चीन ने अमेरिका को परिणाम भुगतने की धमकी दी है।
बता दें कि पिछले हफ्ते ही चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग अपने अमेरिकी समकक्ष जो बाइडन को फोन कॉल पर चेतावनी जारी कर चुके हैं। उन्होंने इशारों में कहा था कि जो आग से खेलते हैं, जल जाते हैं।
1. ताइवान की हवाई सीमा में घुसपैठ
चीन अब ताइवान पर और ज्यादा दबाव बनाने की कोशिश करेगा। इसके लिए वह ताइवान की हवाई सीमा क्षेत्र का उल्लंघन और उसमें घुसपैठ करने जैसा कदम बढ़ा चुका है।
पिछले साल अक्टूबर में ताइवान के ऊपर से चीनी सेना ने 56 विमानों ने उड़ान भरी थी, संयोग से इसी वक्त अमेरिका के नेतृत्व में वहां सैन्य अभ्यास चल रहा था।
वहीं बीते साल नवंबर में जब अमेरिकी कांग्रेस डेलीगेशन वहां पहुंचा था तो 15 चीनी सैन्य विमानों ने ताइवान की पूर्वी तरफ से उड़ान भरी थी। अब नैंसी पेलोसी के यहां आने के बाद चीन इस तरह से दबाव बनाने की तरकीबें फिर से एक बार अपना सकता है।
2. ताइवान को उकसाने की कोशिश
अपने फाइटर प्लेन्स को ताइवान के ऊपर से उड़ाकर चीन उसे उकसाने की कोशिश भी कर सकता है। इस बात का संकेत चीनी मीडिया में आने वाली खबरों से मिलता है।
कम्यूनिस्ट पार्टी के ग्लोबल टाइम्स न्यूजेपर ने चीन को सुझाव दिया है कि वह ताइवान के ऊपर मिलिट्री विमान उड़ाए, ऐसा करने पर ताइवान की सरकार यह फैसला लेन पर बाध्य होगी कि वह इन विमानों को मार गिराए या नहीं? गौरतलब है कि ताइवानी रक्षा मंत्री ने पिछले साल चीनी विमानों को चेतावनी दी थी कि वो जितना करीब आएंगे हम उतनी ही मजबूती से हमला बोलेंगे।
3. ताइवान के करीब मिसाइल टेस्ट
साल 1995 में जब अमेरिका और ताइवान करी आ रहे थे, तब भी इसको लेकर चीन का गुस्सा काफी ज्यादा भड़का था। तब उसने इस द्वीप के नजदीक मिसाइल टेस्ट तक कर डाला था।
असल में तब अमेरिकी राष्ट्रपति बिल क्लिंटन ने ताइवान के पहले संसदीय तरीके से चुने गए राष्ट्रपति ली तेंग-हुई को अमेरिका आने की इजाजत दी थी। वहीं हाल ही में जब अगस्त 2020 में अमेरिकी नौसेना का अभ्यास चल रहा था तब पीएलए ने दक्षिणी चीनी समुद्र में बैलिस्टिक मिसाइलें दागी थीं।
4. आर्थिक परेशानियां
चीन ताइवान का सबसे बड़ा व्यापारिक हिस्सेदार है। नैंसी पेलोसी की ताइवान की विजिट के बाद चीन उसके लिए आर्थिक परेशानियां खड़ी कर सकता है। वह आयात पर प्रतिबंध लगा सकता है या ताइवानी उत्पादों का बहिष्कार कर सकता है।
इसके अलावा द्विपक्षीय व्यापार पर भी रोक लगा सकता है। सोमवार को ही चीन ने 100 से ज्यादा ताइवानी सप्लायरों से खाने के आयात पर प्रतिबंध लगाया है। हालांकि सेमीकंडक्टर्स के लिए उसकी ताइवान पर निर्भरता है, इसलिए उम्मीद की जानी चाहिए कि वह सोच-समझकर ही कोई फैसला करेगा।
इसके अलावा चीन ने कई ताइवानी नेताओं के वहां आने पर भी प्रतिबंध लगा रखा है। बदलते हालात में वह प्रतिबंधों का यह दायरा और बढ़ा सकता है।
5. डिप्लोमैटिक विरोध
मंगलवार को ही ग्लोबल टाइम्स ने चेतावनी दी थी कि पेलोसी की ताइवान यात्रा के चलते बाइडेन प्रशासन को गंभीर दुष्परिणाम भुगतने पड़ सकते हैं। इसका आशय यह हो सकता है कि चीन अमेरिका में अपने राजदूत किन गैंग को वापस बुला ले, जिन्होंने पिछले साल ही अपना पद संभाला है।
चीनी विदेश मंत्री इसका इशारा भी कर चुके हैं। बता दें कि 1995 में चीन ऐसा कर भी चुका है। तब तत्कालीन ताइवानी राष्ट्रपति को अमेरिकी की यात्रा करने की इजाजत देने के विरोध में उसने अपने राजदूत को वहां से वापस बुला लिया था।
पिछले साल चीन ने लिथुआनिया से अपने राजदूत को भी वापस बुलाया लिया था। असल में लिथुआनिया ने ताइवान को उसके नाम पर अपनी राजधानी में ऑफिस खोलने की इजाजत दी थी, जबकि चीन चाहता था कि यह ऑफिस चीनी-ताइपे के नाम पर रहे।
6. आइलैंड को सीज करना
पेलोसी के पहुंचने के साथ ही चीन ने ताइवान पर शिकंजा कसना शुरू कर दिया है। वह इस आइलैंड को सीज करने का कदम भी उठा सकता है। शीतयुद्ध के शुरुआती दिनों में चीनी सेना ने ताइवान के कीमेन आइलैंड पर जमकर बम बरसाए थे।
तब उसे अमेरिकी समर्थन मिला था। ताइवान चीन को रोकने में कामयाब भी रहा था, लेकिन उसे 100 से ज्यादा सैनिकों की जान गंवानी पड़ी थी। इसके अलावा ताइपे के नियंत्रण वाला प्रातास आइलैंड जो कि ताइवान की समुद्री सीमा ने करीब 400 किमी दूर है, इसकी एक और कमजोर कड़ी है।