80 साल की उम्र में एक शख्स की सारी उम्र की कमाई चोरी में चली गई।
चोरी भी घर से नहीं बल्कि बैंक के लॉकर से हुई, बुजुर्ग ने अपनी संपत्ति बैंक में जमा कर रखी थी।
सुप्रीम कोर्ट ने बैंक को आदेश दिया है कि बुजुर्ग को दो महीने के अंदर 30 लाख रुपये का मुआवजा दिया जाए।
जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस एएस ओका की बेंच ने कहा, इन्होंने बैंक में विश्वास जताया इसलिए इनकी उम्रभर की कमाई चली गई। न केवल उनका आर्थिक नुकसान हुआ बल्कि मानसिक कष्ट भी झेलना पड़ा।
दरअसल नेशनल कंज्यूमर डिस्प्यूट रिड्रेसल कमीशन ने स्टेट बैंक ऑफ इंडिया की बोकारे स्टील सिटी ब्रांच को 30 लाख का मुआवजा देने का आदेश दिया था।
इसके बाद बैंक ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था। सुप्रीम कोर्ट ने बैंक से कहा कि पीड़ित गोपाल प्रसाद महंती को मानसिक कष्ट से गुजरना पड़ा है इसलिए मुआवजा जरूरी है। बता दें कि 25 दिसंबर 2017 को बैंक में चोरी हो गई थी।
बेंच ने कहा, ‘हम एनसीडीआरसी के आदेश में किसी तरह का दखल नहीं देना चाहते। इस मामले में बैंक की याचिका खारिज की जाती है।’ हालांकि कोर्ट ने क्वेश्चन ऑफ लॉ खुला रखा है।
बैंक की तरफ से ऐडवोकेट संजय कपूर ने कहा, इस आदेश से बैंक के सामने मुसीबत यह है कि उसे पता नहीं है कि लॉकर में क्या-क्या था। महंती ने एक और ग्राहक शशि भूषण के साथ दावा किया है कि उनकी 32 लाख की गोल्ड जूलरी चोरी में चली गई। इसके अलावा लॉकर में और भी सामान होने का दावा किया गया है।
वहीं महंती ने कोर्ट से कहा, मैंने अपने जीवनभर की जमा पूंजी खो दी है। चोरी के बाद पुलिस ने 16 लोगों को गिरफ्तार किया था और थोड़ी-बहुत जूलरी बरामद की थी।
इसके अलावा चोरों ने जूलरी को पिघलाकर सोने की ईंट बना दी थी।
एनसीडीआरसी ने कहा था कि लोग बैंक में इसीलिए अपना कीमती सामान जमा करते हैं क्योंकि उन्हें विश्वास होता है कि वहां उनका सामान सुरक्षित रहेगा। यहां बैंक कह रहा है कि यह उसकी जिम्मेदारी नहीं है।