मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ अक्सर अपने भाषणों में इस बात का जिक्र करते हैं कि हमारे लिए हर जान कीमती है और हर मौत दुखद।
जनहानि को रोकने के लिए मुख्यमंत्री योगी के निर्देशों पर उत्तर प्रदेश में स्वास्थ्य सुविधाओं में आमूलचूल परिवर्तन की तैयारी की जा रही है और इस पर करीब तीन हजार करोड़ रुपए खर्च किए जाएंगे।
सरकार इमरजेंसी में भर्ती होने वाले हर व्यक्ति का 48 घंटे तक निशुल्क उपचार कराएगी, मुख्यमंत्री योगी ने पिछले पांच वर्षों में स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर बनाने के लिए बुनियादी ढांचे से लेकर संसाधनों में भी वृद्धि की है।
सरकार की तरफ से जारी बयान में कहा गया है कि एक जिला, एक मेडिकल कॉलेज सहित कई योजनाओं को भी अमलीजामा पहनाया जा रहा है, लेकिन अब देश में पहली बार लाईव इमरजेंसी मानिटरिंग सिस्टम प्रदेश में लागू होने वाला है।
कोविड कमांड सेंटर की तर्ज पर इंटीग्रेटेड ट्रामा और इमरजेंसी मेडिसिन सेंटर की स्थापना की जाएगी, इस सेवा के तहत एक कॉल पर इमरजेंसी में एंबुलेंस पहुंचेगी और अस्पताल में तुरंत इलाज शुरू होगा।
सरकार की ओर से खर्च किए जा रहे तीन हजार करोड़ में से पांच वर्षों में सबसे अधिक आधारभूत सुविधाएं विकसित करने के लिए 1614 करोड़ रुपए खर्च होंगे, इसके अलावा ट्रामा और नान ट्रामा मेडिसिन रोगियों के निशुल्क उपचार में हर साल औसतन साढ़े पांच सौ करोड़ रुपए खर्च आएगा।
ऐसे ही एंबुलेंस सेवाओं पर करीब तीन सौ करोड़ रुपए खर्च किए जाएंगे और एडवांस लाइफ सपोर्ट सिस्टम वाली 750 एंबुलेंस खरीदी जाएंगी, एंबुलेंस संचालन, प्रशिक्षित स्टाफ के वेतन और प्रशिक्षण पर भी करीब 165 करोड़ रुपए खर्च होंगे।
इसके अलावा कॉल सेंटर, कमांड सेंटर, साफ्टवेयर के संचालन ओर मेंटेनेंस आदि में सालाना खर्च 125 करोड़ रुपए खर्च होगा।
चिकित्सा शिक्षा के प्रमुख सचिव आलोक कुमार ने बताया कि लाईव इमरजेंसी मानिटरिंग सिस्टम प्रदेश में लागू करने के लिए योजना बनाकर चरणबद्ध ढंग से कार्य किया जा रहा है।
किसी भी इमरजेंसी रोगी के जीवन के लिए शुरूआत के 48 घंटे काफी अहम होते हैं, इसलिए मुख्यमंत्री योगी के संकल्पों को धरातल पर उतारा जा रहा है और प्रथम 48 घंटे तक रोगियों को निशुल्क उपचार उपलब्ध कराने का प्रस्ताव है।
इससे ऐसे रोगी जो अकेले होते हैं या उनके साथ तीमारदार भी होते हैं, लेकिन तत्काल पर्याप्त धनराशि की व्यवस्था नहीं हो पाती है, उनके साथ-साथ आम जनमानस भी लाभान्वित होगा।