पाकिस्तान के आर्मी चीफ जनरल कमर जावेद बाजवा ने दो दिन पहले अमेरिका की डिप्टी फॉरेन मिनिस्टर वेंडी शरमन से बातचीत की।
बाजवा ने शरमन से कहा कि इंटरनेशनल मॉनेटरी फंड (IMF) पाकिस्तान को कर्ज नहीं दे रहा है।
बाजवा ने शरमन से गुहार लगाई कि वो IMF से कहकर पाकिस्तान को 1.2 अरब डॉलर का कर्ज दिलवाने में मदद करें। विदेश मंत्रालय ने इस बातचीत की पुष्टि की है।बाजवा और शरमन की बातचीत पर पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान ने तंज कसा।
कहा- ये काम तो प्रधानमंत्री का है कि वो इकोनॉमी को सुधारने के लिए कर्ज का इंतजाम करे। आर्मी चीफ सिर्फ इतना बताएं कि अगर अमेरिका IMF से कर्ज दिलवाएगा तो बदले में हम उसे क्या देने जा रहे हैं।
सियासी हलकों में बवाल
- पाकिस्तान सरकार और फौज जनरल बाजवा और शरमन की बातचीत को सीक्रेट रखना चाहती थी, लेकिन किसी जर्नलिस्ट ने सूत्रों के हवाले से यह खबर लीक कर दी। हंगामा हुआ तो विदेश मंत्रालय और फौज दोनों ने बातचीत की पुष्टि की, हालांकि ये नहीं बताया कि चर्चा किस बारे में हुई।
- जनरल बाजवा और शाहबाज शरीफ को आए दिन कोसने वाले इमरान खान ने मौके को भुनाया। एक टीवी इंटरव्यू में कहा- जनरल बाजवा सिर्फ इतना बता दें कि अगर अमेरिका हमें IMF से कर्ज दिलवाने में मदद करेगा तो बदले में पाकिस्तान उसको क्या देगा।
- खान ने फौज का नाम लिए बगैर साफ कहा कि इस सौदेबाजी के बदले पाकिस्तान की सुरक्षा से खिलवाड़ किया जा रहा है। खान ने कहा- जब प्रधानमंत्री के बजाए फौज किसी मुल्क से मदद मांगती है तो इसका मतलब है कि हम दिवालिया होने जा रहे हैं। अब जनरल इलेक्शन ही रास्ता है।
IMF के बिना कुछ नहीं कर सकता पाकिस्तान
- पाकिस्तान इकोनॉमी बचाने के लिए IMF से रिलीफ पैकेज पाने की कोशिशों में जुटा है। मार्च से जुलाई के बीच 7 मीटिंग्स हुईं। स्टाफ लेवल एग्रीमेंट होने के बावजूद अब तक पाकिस्तान को कर्ज की एक भी किश्त नहीं मिली।
- IMF ने पाकिस्तान के सामने फ्यूल और बिजली पर दी जा रही सब्सिडी को खत्म करने की शर्त रखी है। दिक्कत ये है कि पंजाब प्रांत के उप चुनाव में मिली हार के बाद अब शाहबाज शरीफ फ्यूल और इलेक्ट्रिसिटी के रेट्स बढ़ाने की हिम्मत नहीं जुटा पा रहे।
- पाकिस्तान ने IMF से 2019 में 6 अरब डॉलर की सहायता पाने के लिए करार किया था। इस रिलीफ पैकेज में से 3 अरब डॉलर जारी नहीं किए गए हैं। दिन-ब-दिन इसकी गुंजाइश भी खत्म हो रही है।
- कहा जा रहा है कि इमरान ने अपनी सरकार गिराने के मामले में अमेरिका पर साजिश के जो आरोप लगाए थे, उससे बाइडेन एडमिनिस्ट्रेशन सख्त नाराज है। यही वजह है कि IMF कर्ज देने में आनाकानी कर रहा है।
हर दिन कमजोर होती पाकिस्तानी करंसी
पाकिस्तानी रुपए का हाल डॉलर के आगे बेहाल है। डॉलर के मुकाबले पहली बार पाकिस्तानी रुपया 240 रुपए प्रति डॉलर तक पहुंच गया है। IMF की ओर से 6 अरब डॉलर के कर्ज में देरी की वजह से यह गिरावट आई है।
पिछले फाइनेंशियल ईयर की तुलना में इस फाइनेंशियल ईयर में डॉलर के मुकाबले पाकिस्तान रुपए में 37% की गिरावट आई है। 15 महीने से पाकिस्तान का रुपया नीचे ही जा रहा है। 10 अप्रैल को जब अविश्वास प्रस्ताव के जरिए इमरान खान सरकार को हटाया गया उस समय पाकिस्तानी रुपए की कीमत डॉलर के मुकाबले 182.93 रुपए थी।
फॉरेक्स रिजर्व भी उधार का
‘द ट्रिब्यून’ की एक रिपोर्ट के मुताबिक, पाकिस्तान के पास इस वक्त सिर्फ 9 अरब डॉलर विदेशी मुद्रा भंडार (फॉरेक्स रिजर्व) है। खास बात यह है कि इसमें से सऊदी अरब और चीन के ढाई-ढाई अरब डॉलर और UAE के 1.5 अरब डॉलर हैं।
दूसरे शब्दों में कहें तो पाकिस्तान के पास खुद के महज 2.5 अरब डॉलर ही हैं। इसमें से भी 2 अरब डॉलर सेंट्रल बैंक ऑफ पाकिस्तान के हैं। इससे भी ज्यादा शर्मसार करने वाली बात यह है कि सऊदी अरब और UAE ने पाकिस्तान को 36 घंटे के नोटिस पर फंड वापस लेने की शर्त पर सिर्फ डिपॉजिट के लिए अमाउंट दिया है। यानी शाहबाज शरीफ सरकार इस पैसे को खर्च नहीं कर सकती।
सरकारी एसेट्स बेचने की तैयारी
पिछले हफ्ते शाहबाज कैबिनेट ने एक विधेयक को मंजूरी दी। इसके तहत अब सरकार गवर्नमेंटल एसेट्स को बेच सकेगी। ऑर्डिनेंस के मुताबिक, पाकिस्तान अपनी ऑयल और गैस कंपनियां संयुक्त अरब अमीरात (UAE) को बेचेगी। इसके अलावा कुछ और कंपनियां सऊदी अरब और चीन जैसे देशों को बेची जाएंगी।
रिपोर्ट्स के मुताबिक, शाहबाज शरीफ सरकार ने यह फैसला इसलिए लिया, क्योंकि अब कोई देश पाकिस्तान को कर्ज नहीं दे रहा। मजे की बात यह है कि इमरान खान जब प्रधानमंत्री थे तो मुल्क के कई हाईवे और एयरपोर्ट्स को उन्होंने कर्ज रखने के लिए गिरवी रख दिया। अब यही इमरान खान शरीफ सरकार के फैसले के खिलाफ आवाज उठा रहे हैं।