सितंबर में पीएम मोदी और जिनपिंग की भी मुलाकात: ताशकंद में भारत-चीन के बीच LAC के मुद्दे पर बन सकती है बात…

भारत-चीन के विदेश मंत्रियों के बीच एससीओ की मुख्य बैठक से हटकर होने वाली संभावित वार्ता में पूर्वी लद्दाख में एलएसी पर करीब दो साल से जारी गतिरोध का हल निकल सकता है।

विदेश मंत्रालय ने हालांकि, इस बैठक को लेकर कोई आधिकारिक बयान नहीं दिया है।

सूत्रों का कहना है कि पिछली बैठकों की भांति इस बार भी दोनों विदेश मंत्रियों की मुलाकात होगी। एलएसी गतिरोध का समाधान निकल सकता है, जिसके बाद सितंबर में एससीओ शिखर सम्मेलन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग की भी मुलाकात हो सकती है।

उज्बेकिस्तान के ताशकंद में शंघाई कॉरपोरेशन संगठन (एससीओ) के विदेश मंत्रियों की बैठक का मुख्य एजेंडा ही एससीओ शिखर सम्मेलन की रणनीति तैयार करना है, जो समरकंद में 15-16 सितंबर को होगा।

पिछली दो बैठकों के सकारात्मक नतीजे रहे

पिछले दो सालों के दौरान एससीओ बैठकों के दौरान जयशंकर और चीनी विदेश मंत्री वांग यी के बीच लगातार बैठकें हुई हैं। उनके नतीजे भी सकारात्मक रहे हैं। 2020 में गलवान घाटी संघर्ष के बाद 10 सितंबर को मास्को में एससीओ विदेश मंत्रियों की बैठक में जयशंकर और वांग में लंबी वार्ता हुई।

एलएसी मुद्दे का हल निकालने के लिए पांच सूत्री रणनीति पर सहमति बनी। इसके बाद ही फरवरी 2021 में पैंगोंग लेक इलाके से दोनों देशों से सेनाएं पीछी हटीं। उसके बाद 2021 में दुबांशे में हुई एससीओ बैठक में भी दोनों विदेश मंत्री मिले और एलएसी के मुद्दे पर राजनयिक संवाद और बातचीत जारी रखने पर सहमति बनी।

हालांकि, हॉटस्प्रिंग समेत कई बिंदुओं पर अभी टकराव जारी है लेकिन बातचीत का सिलसिला भी जारी है। हाल में दोनों देशों के सैन्य कमांडरों के बीच 16वें दौर की वार्ता भी हुई है।

जयशंकर और वांग के बीच इस वर्ष भी हुई दो बैठकें

विदेश मंत्रालय के सूत्रों के अनुसार, वर्ष 2022 में जयशंकर और वांग के बीच दो बैठकें पहले हो चुकी हैं। इनमें भी जयशंकर और वांग के बीच एलएसी के मुद्दे पर लंबी बातचीत हुई। सूत्रों ने कहा कि 16वें दौर की बैठक के दौरान हालांकि तत्काल कोई ठोस हल नहीं निकला है लेकिन कई बिंदुओं पर सकारात्मक वार्ता हुई है।

इसी बातचीत पर आगे यदि विदेश मंत्रियों के बीच बातचीत होती है, तो फिर आने वाले दिनों में दोनों सेनाओं के लिए टकराव वाले बिंदुओं से पीछे हटने का रास्ता साफ हो जाएगा।

आपको बता दें कि एलएसी पर हॉटस्प्रिंग, डेमचौक तथा डेप्सांग इलाकों में दोनों देशों ने 50-50 हजार सैनिक तैनात कर रखे हैं। भारत की तरफ से बार-बार मई 2020 से पहले की स्थिति की बहाली पर जोर दिया जा रहा है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

× Whatsaap