महाराष्ट्र-कर्नाटक सीमा विवाद में विपक्ष को क्‍यों आई हरीश साल्‍वे की याद? जानें NCP ने क्‍या की मांग…

महाराष्ट्र और कर्नाटक सीमा विवाद बढ़ता ही जा रहा है।

सीमा विवाद को लेकर दोनों तरफ के नेताओं की बयानबाजी के बाद 6 दशक से भी पुराना विवाद एक बार फिर सुर्खियों में है।

महाराष्ट्र और कर्नाटक दोनों जगह भाजपा की सरकार होने के कारण दोनों राज्यों के विपक्षी दल इसे तूल देने में लगे हुए हैं। इसी मुद्दे को लेकर अब महाराष्ट्र में विपक्षी दलों ने विरोध रैली निकालने की घोषणा की है।

एनसीपी नेता अजीत पवार ने कहा कि 17 दिसंबर को हमारी विरोध रैली महाराष्ट्र-कर्नाटक सीमा मुद्दे और राज्यपाल एवम भाजपा नेताओं द्वारा महाराष्ट्र के आइकन का अपमान और अन्य मुद्दों पर केंद्रित होगी।

यह एक मौन और शांतिपूर्ण मार्च होगा। उन्होंने कहा कि हमें अभी इसके लिए अनुमति नहीं मिली है।

एनसीपी नेता अजीत पवार ने कहा कि हमने राज्य सरकार से हरीश साल्वे को नियुक्त करने का अनुरोध किया है।

जो कि महाराष्ट्र से हैं उन्हें सुप्रीम कोर्ट में सीमा विवाद मामले में हमारा प्रतिनिधित्व करने के लिए नियुक्त किया जाना चाहिए।

आपको बता दें महाराष्ट्र और कर्नाटक सीमा विवाद को लेकर दोनों राज्यों के मुख्यमंत्रियों और नेताओं के तरफ की बयानबाजी के बाद यह मामला फिर तूल पकड़ रहा है। कर्नाटक में 2023 में चुनाव है ऐसे में वहां विपक्षी दलों द्वारा यह मामला उठाए जाने की संभावना है।

उद्धव ठाकरे ने भी खड़े किए सवाल
वहीं पूरे मामले को लेकर ट्विटर पर फेक आईडी और कर्नाटक के मुख्यमंत्री के ट्वीट को लेकर भी महाराष्ट्र में विपक्ष ने निशाना साधा है।

पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने कहा कि अगर कर्नाटक के सीएम का ट्विटर अकाउंट हैक हो गया था तो इसे लेकर बयान जारी करने में देरी क्यों हुई।

उन्होंने आरोप लगाया कि मराठी भाषी लोगों के खिलाफ कार्रवाई की गई, बसों पर पथराव किया गया।

उन्होंने गृहमंत्री अमित शाह के साथ बुधवार को दोनों राज्य के मुख्यमंत्रियों के बीच हुई बैठक पर सवाल उठाते हुए कहा कि गृह मंत्री के साथ दोनों मुख्यमंत्रियों की हुई मुलाकात का क्या नतीजा निकला?

गृहमंत्री अमित शाह ने दोनों राज्यों के मुख्यमंत्रियों के साथ की बैठक
गौरतलब है कि कर्नाटक और महाराष्ट्र के बीच हुए सीमा विवाद को सुलझाने के लिए केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने दोनों राज्य के मुख्यमंत्रियों के साथ बुधवार शाम बैठक की।

गृह मंत्री ने इस बैठक के बाद कहा कि कर्नाटक और महाराष्ट्र के मुख्यमंत्रियों ने दशकों पुराने इस सीमा विवाद को लेकर दूसरे राज्य पर तब तक कोई दावा नहीं करने पर सहमति जताई, जब तक कि सुप्रीम कोर्ट इस मामले पर कोई फैसला नहीं सुनाता।

इसके साथ ही उन्होंने कहा कि केंद्र ने दोनों राज्यों के बीच सीमा विवाद को हल करने के लिए महाराष्ट्र और कर्नाटक के मंत्रियों को शामिल करते हुए छह सदस्यीय दल गठित करने का निर्णय लिया।

साथ ही गृहमंत्री ने विपक्षी दलों से भी इस मामले का राजनीतिकरण नहीं करने की अपील की है।

क्या है कर्नाटक-महाराष्ट्र सीमा विवाद?
आपको बता दें कि भाषाई आधार पर राज्यों का पुनर्गठन किए जाने के बाद वर्ष 1957 से ही कर्नाटक और महाराष्ट्र के बीच सीमा विवाद का मुद्दा बना हुआ है।

इसमें महाराष्ट्र, तत्कालीन ‘बॉम्बे प्रेसीडेंसी’ का हिस्सा रहे बेलगावी पर अपना दावा करता है, क्योंकि यहां मराठी भाषी आबादी का एक बड़ा हिस्सा है।

दोनों राज्यों के बीच का यह दशकों पुराना सीमा विवाद पिछले हफ्ते तब और बढ़ गया था, जब दोनों ओर के वाहनों को निशाना बनाया गया।

दोनों राज्यों के नेताओं की बयानबाजी के बीच कन्नड़ तथा मराठी समर्थक कार्यकर्ताओं को पुलिस ने बेलगावी में हिरासत में ले लिया।

इसके बाद कर्नाटक और महाराष्ट्र के मुख्यमंत्रियों ने फोन पर एक-दूसरे से बात की तथा इस पर सहमति जताई कि दोनों पक्षों के बीच शांति और कानून-व्यवस्था बनी रहनी चाहिए।

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