सिटी बस की खरीदी के लिए सूडा (राज्य शहरी विकास अभिकरण) ने वर्ष 2015 में भिलाई निगम से 10 करोड़ रुपए उधार लिए।
सूडा ने यह राशि इस शर्त पर उधार ली थी जरूरत पड़ने पर निगम को वापस कर दी जाएगी।
सात वर्ष का समय बीतने के बाद भी सूडा ने निगम को राशि नहीं लौटाई है। अब निगम का खजाना होने पर फिर से अधिकारियों ने उधारी की रकम वापसी की मांग शुरू कर दी है।
इसके लिए तीन दिन पहले ही भिलाई निगम आयुक्त रोहित व्यास ने 10 करोड़ रुपए की राशि लौटाने के लिए सूडा को पत्र लिखा है।
वर्ष 2015 में जवाहर लाल नेहरू राष्ट्रीय शहरी नवीकरण (जेएनएनयूआरएफ) योजना के तहत दुर्ग-भिलाई में सिटी बस की खरीदी हुई।
उस दौरान योजना के क्रियान्वयन के सूडा के पास बजट की कमी पड़ गई। इसके चलते सूडा ने निगम ने राशि उधार मांगी।
केंद्र से राशि उपलब्ध होने पर निगम की रकम लौटाने का आश्वासन भी दिया गया। संचित निधि से राशि निकालने के लिए 21 मई 2015 को नगरीय प्रशासन एवं विकास विभाग ने अनुमति भी दे दी।
बस खरीदी के लिए निगम ने 7 करोड़ रुपए की राशि उपलब्ध करा दी। इसके बाद बस टर्मिनल समेत अन्य आवश्यक कार्य के लिए 3 करोड़ रुपए दूसरी बार में उपलब्ध करा दिए। इस तरह निगम ने सूडा को कुल 10 करोड़ रुपए दिए।
शासन ने सिटी बस के लिए 14 करोड़ रुपए मांगा था
दुर्ग-भिलाई में सिटी बसों की खरीदी के लिए शासन ने भिलाई निगम से 14 करोड़ रुपए की राशि उपलब्ध कराने की मांग की थी।
इस पर निगम ने 10 करोड़ रुपए उपलब्ध कराने पर रजामंदी दे दी। वर्ष 2015 में ही 10 करोड़ रुपए की राशि को दो चरणों में दिया गया।
पहले सात करोड़ खरीदी के लिए दिए। इसके बाद 3 करोड़ बस टर्मिनल के लिए दिए गए।
कर्मियों के वेतन का हवाला देकर भेजी डिमांड
वर्तमान में निगम की माली हालत काफी खराब हो गई है। लगातार डाउन फॉल की ओर जाने की वजह से महीने की एक तारीख को वेतन पाने वाले कर्मियों ने 20 तारीख तक भी सैलरी नहीं मिल पा रही है।
इसके चलते सात साल पहले सूडा को उधार दी रकम को निगम ने वापस मांगना शुरू कर दिया है। इसके लिए सैलरी का हवाला दिया गया है।
आय का 5% हिस्सा संचित निधि में किया जमा
नगर निगम भिलाई में संचित निधि के रूप में अलग से राशि रिजर्व करने की शुरुआत वर्ष 2003 से हुई। उस दौरान तय हुआ कि निगम को जिन-जिन स्रोतों से आय होती है।
उस आय का 5 फीसदी हिस्सा संचित निधि के खाते में जमा होगा। इस राशि का उपयोग केवल निगम कर्मियों के हित में किया जाएगा। पहले निगम को विभिन्न करों यह राशि जमा कराई गई।
कई सालों से रकम वापसी को लेकर ध्यान नहीं दिया
सूडा को उधार पर कम देने के लिए बाद से अगले साल से ही निगम ने तगादे के लिए पत्र व्यवहार शुरू कर दिया।
इसके तहत वर्ष 2016 में पहला पत्र लिखा गया। निगम के ही लोगों के मुताबिक खजाने में निगम के पास खर्चे के पर्याप्त रकम होने की वजह से आला अधिकारियों ने संजीदगी नहीं दिखाई। इसके चलते प्रत्येक वर्ष प्रतीकात्मक पत्र व्यवहार ही चला।
राशि वापसी के लिए सूडा को पत्र लिखा गया
अशोक द्विवेदी, अपर आयुक्त ननि भिलाई ने कहा “निगम कर्मियों के वेतन भुगतान के लिए राशि जुटाई जा रही है। सिटी बस की खरीदी के समय दो बार में 10 करोड़ रुपए की राशि दी गई। उस रकम की वापसी के लिए आयुक्त की ओर से सूडा को पत्र लिखा गया है। राशि मिलने की उम्मीद बनी हुई है।“