सरकारी व निजी जमीन के झगड़े में उलझा अधिग्रहण, सड़क विवाद का चौड़ीकरण, मामला कोर्ट गया तो अटकेगा काम…

शुक्रवार को सुबह से शाम तक शहर के गंजपारा से लेकर दल्ली चौक स्थित दुकानों के सामने से जेसीबी के माध्यम से अतिक्रमण हटाने की कार्यवाही की गई।

इस दौरान व्यापारियों व एनएच व राजस्व विभाग के अफसरों के बीच हल्के विवाद की स्थिति भी बनी। हालांकि समझाइश देने के बाद व्यापारी मान गए।

लेकिन आगे कभी भी दोबारा विवाद के चलते काम अटक सकता है, ऐसा स्वाभाविक है क्योंकि भले ही एनएच 930 प्रोजेक्ट के तहत अब तक शहर के अंदर की सड़क 24 मीटर के बजाय 21 मीटर चौड़ी होगी।

लेकिन जमीन को अधिग्रहित करने की कार्यवाही 24 मीटर चौड़ीकरण के हिसाब से ही हुई है। लेकिन इसमें भी विरोधाभास व भेदभाव की स्थिति बनी हुई है।

प्रोजेक्ट के दायरे में जितना सरकारी जमीन आ सकें, इसी पर फोकस किया गया है, ताकि मुआवजा कम से कम देना पड़े।

इसका अंदाजा इसी से लगा सकते है कि कुल 182 लोगों को अतिक्रमण हटाने नोटिस जारी किया गया है।

इनमें से मात्र 49 लोगों को ही मुआवजा दिया जा रहा है। बाकी 133 लोगों को यह कहकर मुआवजा नहीं दिया जा रहा है, कि जिस जमीन पर काबिज थे, वह सरकारी जमीन है।

इन तीन स्थानों में अब तक विवाद की स्थिति बनी है
भले ही विभागीय अफसर दावा कर रहे हैं कि प्लानिंग अनुसार ही जमीन को चिह्नांकित कर अधिग्रहित करने की कार्यवाही की जा रही है लेकिन अगर ऐसा होता तो विवाद की स्थिति ही क्यों आती।

पड़ताल में यह सामने आया कि वर्तमान में शहर के डॉ. राहुल अग्रवाल, दीपक उपाध्याय, मुकेश श्रीश्रीमाल की जमीन पर अब तक विवाद की स्थिति है।

इसके लिए सीमांकन से लेकर अन्य विभागीय कार्यवाही चल रही है। वहीं रोजाना अतिक्रमण हटाने जब विभागीय अफसर पहुंच रहे हैं तब प्रभावितों से विवाद की स्थिति बन रही है।

निजी जमीन आने पर कर सकते हैं आपत्ति
चैंबर ऑफ कामर्स के अध्यक्ष राजू भाई पटेल ने बताया कि अधिग्रहण व अतिक्रमण हटाने के संबंध में विभागीय अफसरों से चर्चा किए थे तब बताया गया था कि कहीं-कहीं जमीन तिरछा है, इसलिए इसी हिसाब से नापजोख कर चिह्नांकित किया गया है।

निजी जमीन आने पर दावा करने के लिए कहा गया है। हालांकि अधिकांश लोगों के पास जमीन संबंधित दस्तावेज नहीं है इसलिए कुछ नहीं कर पा रहे है।

डॉक्टर राहुल अग्रवाल शुरुआत से अब तक विभागीय अफसरों को कहते आ रहे है कि अगर राजस्व रिकॉर्ड में रोड़ 80 फीट की है और नेशनल हाइवे 80 फीट की बन रही है तो फिर अधिग्रहण करने की जरूरत क्यों पड़ रही है।

पहले एनएच के लिए बीच सड़क से आधा-आधा नाप कर मार्किंग की गई थी तो, अब एक तरफ से क्यों नापा जा रहा है।

अधिकांश लोगों के पास जमीन रजिस्ट्री संबंधित कागजात नहीं है। दिखाने के लिए मात्र जमीन की ऋण पुस्तिका है, इसलिए अधिकांश लोग अपने स्वामित्व वाली भूमि का नाप-जोख प्रस्तुत करने में अक्षम है।

वहीं बीच सड़क से दोनों किनारे 40-40 फीट जमीन चिह्नांकित करना था, लेकिन एक ही किनारे ऐसा किया गया है।

ट्रांसपोर्ट नगर के सामने कहीं 30 मीटर के हिसाब से तो कहीं 24 मीटर के हिसाब से जमीन चिह्नांकित की गई है।

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