विदेश मंत्री एस जयशंकर ने बुधवार को कहा कि राजनीतिक मजबूरी ऐसी नहीं होनी चाहिए जिससे देश की सीमाओं के लिए खतरा उत्पन्न हो या देश के व्यापक हितों को नुकसान पहुंचे।
यहां भारतीय प्रबंधन संस्थान (आईआईएम) के विद्यार्थियों से बातचीत करते हुए केंद्रीय मंत्री ने कहा कि अनुच्छेद-370 के तहत जम्मू कश्मीर के लिए किया गया अस्थायी प्रावधान ‘राजनीति’ की वजह से 70 सालों से अधिक समय तक बना रहा।
उन्होंने कहा, ‘राष्ट्र हित को सर्वप्रथम रखना सबसे जरूरी है। राजनीति ऐसी न हो कि देश के व्यापक हित को नुकसान पहुंचे।
सभी नेताओं का सर्वप्रथम यही रूख होना चाहिए।’ जयशंकर ने कहा कि ‘राजनीति ऐसी नहीं होनी चाहिए जिससे हमारी सीमाओं के लिए खतरा उत्पन्न हो।’
वर्ष 2019 में अनुच्छेद 370 को निष्प्रभावी बनाये जाने के संबंध में जयशंकर ने सवाल किया कि एक अस्थायी प्रावधान के लंबे समय तक बने रहने के लिए राजनीति के अलावा और क्या कारण था।
पाकिस्तान को अमेरिकी की दी गई मदद पर बोले जयशंकर
उन्होंने कहा, ‘तथ्य यह है कि हमारे यहां चीजें इतनी अस्त-व्यस्त थीं। दुनिया ने उसका इस्तेमाल किया।’ जयशंकर ने कहा कि इस मुद्दे पर जनमत तैयार करने की जरूरत है क्योंकि यह देश की राजनीति को प्रभावित करता है। पाकिस्तान को दिए जा रहे एफ-16 जैसे उन्नत लड़ाकू विमानों के मुद्दे पर विदेश मंत्री ने कहा, ‘यदि आप पिछले 75 वर्षों को देखें, तो ऐसे कदमों ने सैन्य तानाशाही को बढ़ावा देने के अलावा और कुछ नहीं किया है।’
पाकिस्तान पर एस जयशंकर ने बोला हमला
पाकिस्तान का नाम लिए बिना, उन्होंने पड़ोसी देश से अपनी सीमाओं के बाहर आतंकवाद के समर्थन के नतीजों का ‘मूल्यांकन’ करने को कहा।
कई विश्लेषकों के मुताबिक पाकिस्तान द्वारा छद्म धर्म-आधारित आतंकवादी समूहों के उपयोग ने उस देश के भीतर भी धार्मिक उग्रवाद को जन्म दिया है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार में मंत्री के रूप में शामिल होने से पहले कई दशकों तक राजनयिक के रूप में काम करने वाले जयशंकर ने कहा कि भारत पहले की अपेक्षा अब विश्व मंच पर अधिक मायने रखता है।
भारत जुड़ाव की शर्तों को दुनिया के साथ स्थापित कर रहाः जयशंकर
उन्होंने कहा, ‘यह एक ऐसा क्षण है जब भारत दुनिया के साथ जुड़ाव की शर्तों को फिर से स्थापित कर रहा है।
साथ ही, यह एक ऐसा समय है जब हमें अधिक से अधिक जिम्मेदारियां उठाने के लिए तैयार रहना चाहिए।
भारत के पास आज एक नेतृत्व और दूरदृष्टि के साथ-साथ अपनी वैश्विक स्थिति को बढ़ाने के लिए दृढ़ता और प्रतिबद्धता है।’