ग्रेटर नोएडा में बच्चे की चाहत में एक महिला को जान चली गई।
महिला को कई साल से बच्चा नहीं हो रहा था।
इसलिए दंपती ने IVF की मदद से अपनी चाहत पूरा करने का फैसला किया। इंजेक्शन लगाते ही महिला कोमा में चली गई। 7 दिन बाद उसकी मौत हो गई।
महिला के पति की शिकायत पर हॉस्पिटल के एमडी को गिरफ्तार कर लिया गया है। हैरानी वाली बात यह है कि जांच में एमडी की MBBS की डिग्री फर्जी निकली है।
हो सकता है कि इससे पहले भी कई लोगों की बच्चे की चाहत में मौत हुई होगी। फिलहाल पुलिस इस पूरे मामले की जांच कर रही है।
जनवरी में IVF सेंटर पर इलाज कराने गई थी
मृतक ललिता गाजियाबाद के वसुंधरा में रहती थी। उसकी शादी चंद्रभान से हुई थी। शादी के कई साल बाद भी दोनों पेरेंट्स नहीं बन पा रहे थे। इसके लिए उन्होंने कई जगह इलाज कराया, मगर कोई फायदा नहीं हुआ।
इसके बाद दोनों ने IVF यानी इन विट्रो फर्टिलाइजेशन ट्रीटमेंट कराने का फैसला किया। पति चंद्रभान ने बताया, ”जनवरी में मैं पत्नी ललिता को लेकर ईको विलेज-2 के क्रिएशन वर्ल्ड IVF सेंटर पहुंचा।
ललिता को काफी डर लग रहा था, मगर सेंटर के एमडी प्रियरंजन ठाकुर से बात करके उसका डर काफी हद तक कम हो गया। प्रियरंजन ठाकुर ने जब सुरक्षित इलाज का भरोसा दिया तो हम लोग IVF कराने के लिए राजी हो गए।
उन्होंने बताया, ”प्रियरंजन ठाकुर की देख-रेख में सेंटर के डॉ. सुशील लखनपाल ने इलाज शुरू किया। ललिता डॉक्टरों के बताए ट्रीटमेंट को फॉलो कर रही थी। सब कुछ ठीक चल रहा था।”
इंजेक्शन लगाने के बाद कोमा में चली गई ललिता
चंद्रभान ने बताया, ”डॉक्टरों ने 19 अगस्त को ललिता को सेंटर पर बुलाया। डॉक्टरों ने उसे बेहोश करने वाली दवा का ओवरडोज दे दिया। इससे उसकी हालत बिगड़ने लगी।
सेंटर पर इमरजेंसी ट्रीटमेंट के लिए कोई भी फैसिलिटी नहीं थी। यहां तक कि एम्बुलेंस भी नहीं मिली। ऐसे में समय पर सही इलाज न मिलने से ललिता कोमा में चली गई।
ललिता की गंभीर हालत देख कर चंद्रभान उसे लेकर यथार्थ हॉस्पिटल पहुंचे। डॉक्टरों ने ललिता को भर्ती कर इलाज शुरू किया।
साथ ही बिसरख थाने में IVF सेंटर के एमडी प्रियरंजन ठाकुर के खिलाफ तहरीर दी। पुलिस ने FIR दर्ज कर मामले की जांच शुरू की। इसी बीच 26 अगस्त को इलाज के दौरान ललिता की मौत हो गई।
जांच में MBBS की डिग्री फर्जी निकली
पुलिस ने FIR में धारा 304 को बढ़ाकर महिला के शव को पोस्टमॉर्टम के लिए भेजा। पुलिस ने मामले की जांच शुरू की, तो चौंकाने वाली बात सामने आई।
IVF सेंटर के एमडी प्रियरंजन ठाकुर के पास बिहार के भूपेन्द्र नारायण विश्वविद्यालय की MBBS की डिग्री मिली। यह साल 2005 में जारी की गई थी। जब यूनिवर्सिटी से पता किया गया, तो डिग्री फर्जी निकली।
भूपेन्द्र नारायण यूनिवर्सिटी से प्रियरंजन ठाकुर ने कभी पढ़ाई की ही नहीं थी। पुलिस ने 28 अगस्त को आरोपी प्रियरंजन ठाकुर को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया।
बिसरख थाना प्रभारी उमेश बहादुर सिंह ने बताया कि जांच में IVF सेंटर संचालक के एमडी प्रियरंजन ठाकुर को दोषी पाया गया है।
उसे जेल भेज दिया गया है। मामले की जांच अभी जारी है। जांच में अगर और कोई भी दोषी पाया गया, तो उसके खिलाफ भी कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
ऐसे किया जाता है IVF
IVF में महिला की ओवरी में बनने वाले एक अंडे की जगह कई अंडे विकसित किए जाते हैं। इसके लिए कुछ इंजेक्शन दिए जाते हैं, जो पीरियड्स के दूसरे दिन से शुरू होते हैं।
इंजेक्शनों को लगातार 10 से 12 दिनों तक बारीक सुई से लगाया जाता है। अच्छी बात ये है कि इस इंजेक्शन से दर्द नहीं होता है और इनके कोई साइड इफेक्ट भी नहीं होते हैं।
महिला की बॉडी एग बनाने के लिए जो हार्मोन रिलीज करती है, उन्हीं को ज्यादा मात्रा में IVF में बाहर से दिया जाता है। अल्ट्रासाउंड से देखा जाता है कि अंडे ठीक और सही संख्या में तैयार हो रहे हैं या नहीं।
जब सारे अंडे एक ही साइज के हो जाते हैं, तो महिला को बेहोश करके उन्हें निकाल लिया जाता है। अब पुरुष के स्पर्म को महिला के अंडों के साथ मिलाया जाता है और रातों-रात फर्टिलाइज किया जाता है।
3 से 5 दिन बाद 5 दिन के भ्रूण को महिला के गर्भ में रख दिया जाता है। आमतौर पर यह प्रक्रिया भी दर्द रहित होती है। हालांकि थोड़ी ऐंठन महसूस हो सकती है। इसके बाद महिला नॉर्मल लाइफ जी सकती है।
इन बातों का रखें ध्यान
- IVF के बाद किसी भी तरह का भारी सामान उठाने से बचें। इससे गर्भपात का खतरा बना रहता है।
- IVF प्रोसेस के बाद ज्यादा मेहनत वाली एक्सरसाइज ना करें। कड़ी मेहनत वाली एक्सरसाइज की जगह बेहतर होगा हल्के व्यायाम करें।
- इस ट्रीटमेंट के बाद धूम्रपान नहीं करना चाहिए। धूम्रपान के जरिए शरीर में विषाक्त पदार्थ जाते हैं, जो गर्भावस्था को प्रभावित कर सकते हैं।
- IVF के बाद शराब का सेवन नहीं करना चाहिए। साथ ही कैफीन और अन्य दवाओं से भी बचें।