कोलकाता : तृणमूल कांग्रेस प्रमुख और पश्चिम बंगाल की सीएम ममताा बनर्जी के बुधवार के इस बयान को लेकर ‘सियासी तूफान’ खड़ा हो गया है।
कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) में सारे लोग बुरे नहीं हैं और इसमें कई लोग ऐसे भी हैं जो बीजेपी को सपोर्ट नहीं करते।
इस बयान को लेकर जहां एआईएमआईएम, कांग्रेस और माकपा ने ममता पर निशाना साधते हुए इसे उनका अवसरवाद बताया है जबकि बीजेपी ने कहा है कि आरएसएस को ममता के सर्टिफिकेट की जरूरत नहीं है।
आरएसएस ने इस प्रशंसा पर कोई कमेंट करने के बजाय बंगाल में राजनीतिक हिंसा के रिकॉर्ड की ओर इशारा किया और इस पर नियंत्रण के उपाय करने की नसीहत दी।
ममता के बयान पर सबसे तीखी टिप्पणी एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी की ओर से आई जिन्होंने कहा “2003 में भी ममता ने आरएसएस को देशभक्त बताया था और इसके जवाब में आरएसएस ने उन्हें दुर्गा कहा था।”
हालांकि टीएमसी ने ओवैसी की प्रतिक्रिया को ज्यादा तवज्जो नहीं दी और कहा कि पार्टी को उनके (ओवैसी के) समक्ष अपनी धर्मनिरपेक्षता साबित करने की जरूरत नहीं है।
बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी ने कहा, “यह पहली बार नहीं है कि उन्होंने (ममता बनर्जी) आरएसएस की प्रशंसा की है।”
ममता, अटल बिहारी वाजपेयी के प्रधानमंत्री के तौर पर कार्यकाल के दौरान एनडीए का हिस्सा रह चुकी हैं। उन्होंने 2003 के ओवैसी के ओर से दिए संदर्भ को दोहराया जब ममता ने आरएसएस के एक पुस्तक विमोचक कार्यक्रम में भाग लिया था।
चौधरी ने दावा किया कि ममता ने नागपुर स्थित आरएसएस के प्रति आभार भी जताया था जो कि बीजेपी की वैचारिक संस्था है।
अधीर रंजन ने कहा,”वह चुनावी लाभ पाने के लिए कभी हिंदू कट्टरपंथियों और कभी मुसलमानों की खुशामद करती हैं। ममता बनर्जी का फिर से पर्दाफाश हो गया है।”
उधर, माकपा की केंद्रीय समिति के सदस्य सुजॉन चक्रवर्ती ने कहा कि बंगाल की सीएम की इस टिप्पणी से वाम दलों के इस रुख की पुष्टि हो गई कि ममता, आरएसएस की प्रोडक्ट हैं। यह एक बार फिर साफ हो गया कि बीजेपी के खिलाफ ‘लड़ाई’ में उन्हें भरोसमंद नहीं माना जा सकता।