बीते कुछ वक्त में सीमावर्ती क्षेत्रों पर चीन अपने नापाक इरादों के साथ अपनी सक्रियता जो उसके खतरनाक इरादों का संकेत दे रही है।
इसी कड़ी में चीनी सरकार ने 2030 तक 100,000 से अधिक तिब्बतियों को उनके घरों से स्थानांतरित करने की योजना की घोषणा की है, इसके पीछे तिब्बतियों के परंपरागत जीवन को खत्म करने के साथ-साथ भारत समेत सीमावर्ती क्षेत्रों पर अपना नियंत्रण स्थापित करना है।
सिर्फ इतना ही नहीं, चीन हिमालय में नए गांव बसाने की योजना पर भी काम कर रहा है।
तिब्बतियों को विस्थापित करना चीन की रणनीति की रणनीति का हिस्सा बताया जा रहा है, इसके तहत वह विवादित सीमावर्ती क्षेत्रों में आक्रामक ढंग से नए गांव बनाना चाहता है।
तिब्बती प्रेस के मुताबिक ऐसा करके चीन एक तरफ इन क्षेत्रों पर अपना नियंत्रण स्थापित करने की फिराक में है, वहीं दूसरी तरफ वह चाहता है कि भारत, भूटान और नेपाल अपनी ही सीमाओं में बंधे रहें।
उधर हांगकांग में प्रकाशित एक रिपोर्ट के मुताबिक ड्रैगन विवादित हिमालय क्षेत्र में 624 गांव बनाने की तैयारी में हैं, इस रिपोर्ट में चीन सरकार के डॉक्यूमेंट्स का हवाला दिया गया है।
असल में चीन की यह योजना 2018 में लांच की गई उसकी रणनीति का हिस्सा है, तिब्बत ऑटोनॉमस रीजन कम्यूनिस्ट पार्टी कमेटी द्वारा तैयार की गई इस योजना के मुताबिक चीन हिमालय पर 4800 मीटर से या उससे ऊपर रहने वाले तिब्बतियों को विस्थापित करेगा।
चीन का तर्क है कि ऐसा करके वह पर्यावरण की रक्षा कर रहा है। हालांकि इस बारे में कोई भी वैज्ञानिक साक्ष्य नहीं मिला है, जिससे यह साबित हो कि इस विस्थापन से पर्यावरण पर कोई अनुकूल प्रभाव पड़ने वाला है।
हांगकांग में प्रकाशित रिपोर्ट के मुताबिक इसके पीछे का असली मकसद पारंपरिक तिब्बती जीवन शैली को समाप्त करना था, विशेष रूप से, इन क्षेत्रों में तिब्बती पीढ़ियों के लिए खानाबदोश रहे हैं।
यह सदियों से तिब्बती पठार पर प्रकृति के साथ सामंजस्य बनाकर रह रहे हैं, अनुमान के मुताबिक जबरन पुनर्वास से करीब 20 लाख तिब्बती खानाबदोश विस्थापित होंगे। इसके चलते यह अपनी आजीविका खो देंगे और गरीबी में धकेल दिए जाएंगे।