भारत की आलोचना में खर्च न करें ऊर्जा, बराक ओबामा को US धार्मिक स्वतंत्रता पैनल के पूर्व प्रमुख की नसीहत…

भारत में धार्मिक स्वतंतत्रता के मुद्दे पर की गई पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा की टिप्पणी को सिरे से खारिज करते हुए अंतर्राष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता पर अमेरिकी आयोग के पूर्व आयुक्त जॉनी मूरी ने कहा है कि भारत की आलोचना करने पर अपनी ऊर्जा खर्च करने की बजाय पूर्व राष्ट्रपति को भारत की प्रशंसा करनी चाहिए।

ANI को दिए एक इंटरव्यू में मूरी ने भारतीय मुसलमानों के अधिकारों के बारे में पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा की टिप्पणी पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा, “मुझे लगता है कि पूर्व राष्ट्रपति (बराक ओबामा) को भारत की आलोचना करने से ज्यादा भारत की प्रशंसा करने में अपनी ऊर्जा खर्च करनी चाहिए। भारत मानव इतिहास में सबसे विविधतापूर्ण देश है। यह एक आदर्श देश नहीं है, ठीक वैसे ही जैसे अमेरिका एक आदर्श देश नहीं है, लेकिन इसकी विविधता ही इसकी ताकत है।”

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मूरी की यह टिप्पणी हाल ही में CNN को दिए गए ओबामा के उस साक्षात्कार के मद्देनजर आई है, जिसमें पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति को यह कहते हुए उद्धृत किया गया था कि बाइडेन को भारत के साथ धार्मिक स्वतंत्रता का मुद्दा उठाना चाहिए था,जैसा कि उन्होंने किया होता, अगर वह अभी भी अमेरिकी राष्ट्रपति होते।

गुरुवार को CNN को दिए एक इंटरव्यू में ओबामा ने कहा था कि अगर भारत अल्पसंख्यकों के अधिकारों की रक्षा नहीं करता है तो इस बात की प्रबल संभावना है कि ऐसे बिंदु पर देश बिखरने लगे। ओबामा ने साक्षात्कारकर्ता क्रिस्टियन अमनपौर से यह भी कहा कि अगर राष्ट्रपति जो बाइडेन पीएम मोदी से मिलते हैं, तो “बहुसंख्यक हिंदू भारत में मुस्लिम अल्पसंख्यकों की सुरक्षा का उल्लेख किया जाना चाहिए।”

भारत और चीन से संबंधित सवाल पूछे जाने पर ओबामा ने कहा कि उन्होंने जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए पेरिस समझौते पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ काम किया है।

ओबामा ने सीएनएन को बताया, “वैसे,अगर मैंने प्रधान मंत्री मोदी के साथ बातचीत की होती, जिन्हें मैं अच्छी तरह से जानता हूं, तो मेरे तर्क का एक हिस्सा यह होता कि यदि आप भारत में अल्पसंख्यकों के अधिकारों की रक्षा नहीं करते हैं, तो इस बात की प्रबल संभावना है कि भारत, कुछ बिंदुओं पर बिखर सकता है। हमने देखा है कि जब आपके अंदर इस प्रकार के बड़े आंतरिक संघर्ष होने लगते हैं तो क्या होता है। तो यह न केवल मुस्लिम भारतीयों बल्कि हिंदू भारतीयों के हितों के भी विपरीत होगा। मुझे लगता है कि इन चीज़ों के बारे में ईमानदारी से बात करने में सक्षम होना महत्वपूर्ण है।” ओबामा ने कहा, “चीजें उतनी साफ-सुथरी नहीं होतीं जितनी आप चाहते हैं, क्योंकि दुनिया बहुत जटिल है।”

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