Pradosh Vrat 2025: क्यों रखा जाता है भौम प्रदोष व्रत? जानें ज्योतिर्विद से त्रयोदशी तिथि कब तक रहेगी…

प्रियंका प्रसाद (ज्योतिष सलाहकार): केवल व्हाट्सएप मेसेज 94064 20131

श्रावण कृष्ण पक्ष उदय कालिक द्वादशी तिथि उपरांत त्रयोदशी तिथि 22 जुलाई 2025 दिन मंगलवार को किया जाएगा।

जब त्रयोदशी तिथि अर्थात प्रदोष व्रत मंगलवार को पड़ता है तब इस प्रदोष को भौम प्रदोष व्रत कहा जाता है। शास्त्रों में प्रदोष के व्रत को अत्यंत ही महत्वपूर्ण एवं पुण्य प्रभाव कारक माना जाता है।

जिसमे श्रावण मास के प्रदोष की महिमा अनंत पुण्य दायक बताई गई है। भौम प्रदोष व्रत का महत्त्व जानना बहुत जरूरी है। मंगलवार के दिन प्रदोष व्रत पड़ने के कारण भौम प्रदोष व्रत कहा जाता है।

शास्त्रों के अनुसार भौम प्रदोष व्रत कर्ज मुक्ति के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है। यदि व्यक्ति अपने जीवन में किसी भी प्रकार के कर्ज से पीड़ित है तो उसे भौम प्रदोष व्रत पूर्ण विधि विधान के साथ करना चाहिए। इससे निश्चित ही उसके जीवन में कर्ज से मुक्ति प्राप्त हो सकती है।

कब रखना उत्तम
इसी कारण से 22 जुलाई दिन मंगलवार को पडने वाले भौम प्रदोष व्रत का महत्व जीवन में कर्ज मुक्ति एवं धन वृद्धि के लिए लाभ दायक होगा।

22 जुलाई को त्रयोदशी तिथि का आरंभ सुबह 8:48 बजे से होगी, जो रात में 3:44 बजे तक व्याप्त रहेगी । अतः उदयकालिक मान्यताओं के अनुसार त्रयोदशी तिथि का तो लोप होगा फिर भी प्रदोष कालीन त्रयोदशी तिथि मिलने के कारण प्रदोष का व्रत मंगलवार को किया जाएगा।

मंगलवार को प्रदोष पड़ने के कारण इसे भौम प्रदोष कहा जाएगा। भौम जया सिद्धि योग इस दिन पूरे त्रयोदशी कल तक व्याप्त रहेगा अर्थात प्रातः 5:48 बजे से लेकर रात में 3:44 तक होगा। जो कि इस दिन की महत्ता को बढ़ाने वाला होगा।

पूजा विधान : इस दिन प्रातः काल घर की साफ सफाई के उपरांत स्नान आदि से निवृत्त होकर पूजा घर में भगवान शिव एवं माता पार्वती के मूर्ति या चित्र के पास बैठ जाना चाहिए।

पूजा स्थल में विद्यमान सभी देवी देवताओं के समक्ष व्रत का संकल्प लेने के बाद क्षमता के अनुसार उपलब्ध सामग्री अक्षत, रोरी, चंदन, गुलाल, गुलाब जल, सुगंधित द्रव्य, धूप, दीप, नैवेद्य, पुष्प, घी, पंचामृत, पंच मेवा तथा मौसमी फल आदि को अर्पित करते हुए षोडषोपचार पूजन करना चाहिए।

संभव हो तो इस दिन भगवान शिव के किसी भी मंदिर जाकर शिवलिंग पर बेलपत्र, भांग, धतूरा, दूध इत्यादि अर्पित करना चाहिए।

भगवान शिव माता पार्वती के किसी भी मंत्र का अथवा महामृत्युंजय मंत्र का जाप करना चाहिए दिन भर माता पार्वती भगवान शिव का ध्यान करते रहना चाहिए।

दिन भर व्रत रहते हुए सायं काल प्रदोष काल में भी भगवान शिव, माता पार्वती का विधिवत पूजन अर्चन आरती करना चाहिए। ऐसी मान्यता है कि ऐसा करने से जीवन में धन-धान्य की वृद्धि होती है । घर में सुख संपत्ति की वृद्धि होती है तथा किसी भी प्रकार का जीवन में कर्ज होगा तो वह समाप्त हो जाएगा।

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