8 देशों के मंच पर चीन को घेरा भारत, पहलगाम मुद्दे पर जताई कड़ी आपत्ति; समझौते पर साइन न करना क्यों है अहम?…

भारतीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने चीन पहुंचकर आतंकवाद पर एक बार फिर देश का रुख साफ कर दिया है।

खबर है कि उन्होंने SCO यानी शंघाई सहयोग संगठन के संयुक्त वक्तव्य पर दस्तखत करने से इनकार कर दिया है।

इसकी वजह दस्तावेजों में जम्मू और कश्मीर के पहलगाम में हुई आतंकवादी घटना का जिक्र नहीं होना था। माना जाता है कि चीन के दबदबे वाले SCO में इस तरह का फैसला लेना आतंकवाद के मुद्दे पर भारत के लिए काफी अहम था।

एक तरफ रख दिया पेन

SCO शिखर सम्मेलन से जुड़े कुछ वीडियो सामने आए हैं, जिनमें नजर आ रहा है कि सिंह अपनी कलम एक तरफ रख रहे हैं और वक्तव्य पर साइन करने से इनकार कर रहे हैं।

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने ब्रीफिंग में बताया, ‘भारत चाहता था कि आतंकवाद को लेकर चिंता दस्तावेजों में नजर आए, जो खास एक देश को मंजूर नहीं था। ऐसे में वक्तव्य तय नहीं किया गया।’

SCO के मसौदा वक्तव्य में पहलगाम का जिक्र नहीं था। जबकि, यहां बलूचिस्तान में हुए ट्रैन हाईजैक कांड पर बात की गई थी। खास बात है कि भारत पर बलूचिस्तान में परेशानियां पैदा करने के आरोप पाकिस्तान, भारत पर लगाता रहा है। बलूचिस्तान स्वतंत्र मुल्क बनना चाहता है।

क्यों है अहम

पारंपरिक रूप से माना जाता है कि SCO में रूस और चीन का दबदबा होता है। अब साल 2022 से लेकर अब तक रूस और यूक्रेन का युद्ध जारी है, तो चीन का कद बढ़ गया है। इस साल चीन संगठन का अध्यक्ष था और बैठक किंगदाओ में हुई थी।

खास बात है कि पाकिस्तान, चीन का पुराना सहयोगी है। इसके अलावा ऑपरेशन सिंदूर के बाद चीन ने पाकिस्तान को मदद भी मुहैया कराई थी।

अब चीन लंबे समय से अपने प्रभाव का इस्तेमाल पाकिस्तान को अंतरराष्ट्रीय मंचों पर बचाने के लिए करता रहा है।

माना जा रहा है कि भारत की तरफ से दस्तावेज पर हस्ताक्षर नहीं करना बेहद अहम है, क्योंकि चीन की अध्यक्षता में हुई मीटिंग में इस बार भारत के सहमत नहीं होने पर संयुक्त वक्तव्य जारी नहीं हो सका।

यह दिखाता है कि भारत आतंकवाद के मुद्दे पर कोई भी समझौते के मूड में नहीं है। भारत लंबे समय से यह साफ करता रहा है कि आतंकवाद और व्यापार साथ नहीं चल सकते।

क्या बोले राजनाथ सिंह

सम्मेलन में, अपने संबोधन में सिंह ने आतंकवादी समूहों को समर्थन देने के लिए पाकिस्तान पर निशाना साधा तथा सीमापार से होने वाले आतंकवाद सहित आतंकी घटनाओं को ‘अंजाम देने वालों, इसकी साजिश रचने वालों, वित्तपोषकों और प्रायोजकों’ को जवाबदेह ठहराने की अपील की।

पहलगाम हमले के जवाब में शुरू किए गए भारत के ऑपरेशन सिंदूर को रेखांकित करते हुए रक्षा मंत्री ने कहा कि ‘आतंकवाद के केंद्र (ठिकाने) अब सुरक्षित नहीं हैं और हम उन्हें निशाना बनाने में संकोच नहीं करेंगे।’

बुधवार को यहां पहुंचे सिंह ने कहा, ‘कुछ देश सीमा पार से आतंकवाद को नीतिगत औजार के रूप में इस्तेमाल करते हैं और आतंकवादियों को पनाह देते हैं।

ऐसे दोहरे मानदंडों के लिए कोई जगह नहीं होनी चाहिए। एससीओ को ऐसे देशों की आलोचना करने में संकोच नहीं करना चाहिए।’

रक्षा मंत्री ने आतंकवाद के खिलाफ भारत की नीति में ‘बदलाव’ की व्यापक रूपरेखा प्रस्तुत की और एससीओ सदस्य देशों से एकजुट होकर इसका मुकाबला करने और ‘दोहरे मानदंडों’ से दूर रहने का आग्रह किया।

सिंह ने कहा, ‘शांति और समृद्धि, आतंकवाद एवं आतंकवादी समूहों के हाथों में सामूहिक विनाश के हथियारों के प्रसार के साथ-साथ नहीं रह सकती।’

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