राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के प्रमुख मोहन भागवत ने सोमवार को कहा कि जब प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी बोलते हैं, तो दुनिया ध्यान से सुनती है, और यह भारत की बढ़ती शक्ति और वैश्विक मंच पर उभरते प्रभाव का प्रमाण है।
भारत की शक्ति अब वहां प्रकट हो रही है, जहां उसे होना चाहिए था। आरएसएस के शताब्दी समारोह में भागवत ने कहा कि शताब्दियों का इंतजार करने के बजाय कार्यों को समयबद्ध रूप से पूरा करने का लक्ष्य होना चाहिए।
‘समाज को एकजुट करने का लक्ष्य अभी अधूरा’
उन्होंने कहा कि समाज को एकजुट करने का लक्ष्य अभी अधूरा है और इस पर आत्ममंथन की जरूरत है।
उन्होंने कहा कि इतिहास यह दर्शाता है कि भारत के उभरने से वैश्विक विवादों में कमी आती है और शांति का मार्ग प्रशस्त होता है।
दुनिया की वर्तमान परिस्थिति भारत से नेतृत्व की अपेक्षा कर रही है, और इसलिए आरएसएस आरंभ से ही इस मिशन के लिए समर्पित हैं।
उन्होंने कहा कि विविधता में एकता और सामूहिकता ही भारत की शक्ति है, और समरसता के लिए धर्म आवश्यक है।