एक देश एक चुनाव विधेयक को लेकर JPC यानी संयुक्त संसदीय समिति स्तर पर चर्चाओं का दौर जारी है।
इसी क्रम में सुझाव और सहयोग के लिए समिति के सामने भारत के पूर्व मुख्य न्यायाधीश उदय उमेश ललित पेश हुए। हालांकि, इस दौरान सदस्यों और उनके बीच क्या चर्चा हुई है, इसे सार्वजनिक नहीं किया गया है।
कहा जा रहा है कि पूर्व सीजेआई ने JPC को कई कानूनी चुनौतियों के बारे में आगाह किया है।
रिपोर्ट के मुताबिक, कहा जा रहा है कि पूर्व सीजेआई ललित ने समिति के सामने पूरी प्रक्रिया को चरणबद्ध बनाने समेत कई सुधाव दिए।
साथ ही विधानसभा के कार्यकाल को घटाने पर कानूनी चुनौतियों पर भी चेताया है।
उन्हें इस बिल पर एक्सपर्ट के तौर पर बुलाया गया था, ताकि इससे जुड़े कानूनी मत को समझा जा सके। मंगलवार को पूर्व सीजेआई और समिति के सदस्यों के बीच करीब 3 घंटे तक बैठक चली।
पीटीआई भाषा ने सूत्रों के हवाले से बताया कि जस्टिस ललित ने अपने वक्तव्य में कहा कि लोकसभा और विधानसभा चुनाव एक साथ कराने की अवधारणा सैद्धांतिक रूप से अच्छी है, लेकिन इसके सुचारू क्रियान्वयन के लिए कई कारकों पर ध्यान दिया जाना चाहिए। भारतीय विधि आयोग के पूर्व अध्यक्ष ऋतुराज अवस्थी ने भी अपने विचार साझा किए।
अवस्थी ने लोकसभा और विधानसभा चुनाव एक साथ कराने से होने वाली बचत और विकास को बढ़ावा मिलने के लाभों के बारे में विस्तार से बताया।
अवस्थी ने संसद की संयुक्त समिति से कहा कि प्रस्तावित उपाय संघवाद के मूल ढांचे के सिद्धांत का उल्लंघन नहीं करता है और यह संविधान के लोकतांत्रिक सिद्धांतों के खिलाफ नहीं है।
अवस्थी ने समिति के सदस्यों से यह भी कहा कि लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के चुनाव एक साथ कराने के लिए कानूनी ढांचा तैयार करने वाला यह विधेयक पात्र नागरिकों के मतदान के अधिकार का उल्लंघन नहीं करता है।
उन्होंने कहा कि संविधान (129वां संशोधन) विधेयक में देश में एक साथ चुनाव कराने के लिए सभी तत्व मौजूद हैं।
पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अगुवाई वाली उच्च स्तरीय समिति के सचिव आईएएस अधिकारी नितेन चंद्रा और वरिष्ठ अधिवक्ता तथा कांग्रेस के पूर्व सांसद ई एम सुदर्शन नचियप्पन भी समिति के समक्ष पेश हुए। समय की कमी के कारण वे अपने विचार साझा नहीं कर सके और उम्मीद है कि वे बाद में अपने विचार प्रस्तुत करेंगे।
संसदीय समिति ने मंगलवार की बैठक को छोड़कर अब तक दो बैठकें की हैं, जिनमें अपने एजेंडे का व्यापक विवरण तैयार किया है और परामर्श के लिए हितधारकों और विशेषज्ञों की सूची दी गई है।