भारत-चीन की नजदीकी से रूस को क्या मिलेगा? पुतिन RIC को फिर से सक्रिय क्यों करना चाहते हैं?…

लगभग पांच वर्षों के बाद रूस ने रूस-भारत-चीन (RIC) त्रिपक्षीय संवाद को फिर से शुरू करने की पहल की है।

रूसी विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने 29 मई को पर्म में एक सुरक्षा सम्मेलन के दौरान इस बात की घोषणा की। इस दौरान उन्होंने कहा कि अब समय आ गया है कि इस मंच को पुनर्जीवित किया जाए।

रूस की सरकारी समाचार एजेंसी तास ने लावरोव को हवाले से कहा, ‘मैं त्रिकोणीय – रूस, भारत, चीन – प्रारूप को फिर से सक्रिय करने की हमारी वास्तविक रुचि को दोहराना चाहता हूं, जिसकी स्थापना कई साल पहले रूस के पूर्व प्रधानमंत्री येवगेनी प्रिमाकोव की पहल पर हुई थी।”

क्या है RIC?

RIC (Russia-India-China) त्रिपक्षीय संवाद की शुरुआत 1990 के दशक के अंत में रूस के पूर्व प्रधानमंत्री येवगेनी प्रीमाकोव के सुझाव पर हुई थी।

इसका उद्देश्य था पश्चिमी प्रभाव का संतुलन बनाना और यूरेशिया क्षेत्र में रणनीतिक सहयोग बढ़ाना। इस मंच के तहत अब तक 20 से अधिक मंत्रिस्तरीय बैठकें हो चुकी हैं। लेकिन 2020 में गलवान घाटी में भारत-चीन संघर्ष के बाद यह संवाद ठप हो गया था।

रूस क्यों फिर कर रहा है RIC को सक्रिय?

1. भारत-चीन संबंधों में नरमी: लावरोव ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच अक्टूबर 2024 में कजान में हुई बैठक के बाद दोनों देशों के बीच तनाव कम हुआ है। यह स्थिति RIC को पुनर्जीवित करने के लिए अनुकूल है।

2. पश्चिमी प्रभाव का जवाब: रूस का मानना है कि NATO और QUAD जैसे गठबंधन क्षेत्रीय संतुलन को बिगाड़ रहे हैं। लावरोव ने आरोप लगाया कि NATO भारत को चीन विरोधी षड्यंत्रों में शामिल करने की कोशिश कर रहा है। RIC एक स्वतंत्र और संतुलित मंच बन सकता है जो पश्चिमी दबावों का मुकाबला करे।

3. यूरेशियन सुरक्षा ढांचा मजबूत करना: रूस की रणनीति है कि वह एक न्यायसंगत और साझा सुरक्षा व्यवस्था को बढ़ावा दे जिससे बहुध्रुवीय विश्व व्यवस्था को समर्थन मिले।

किन चुनौतियों का सामना कर सकता है RIC?

भारत-चीन सीमा विवाद: दोनों देशों के बीच विवाद में हालांकि तनाव में कमी आई है, परंतु सीमाई विवाद अब भी सुलझे नहीं हैं। विश्वास की कमी इस मंच की प्रभावशीलता को बाधित कर सकती है।

भारत की पश्चिमी देशों से बढ़ती नजदीकी: भारत की QUAD और G7 जैसी संस्थाओं में भागीदारी RIC के साथ संतुलन बनाने में एक राजनयिक चुनौती बन सकती है।

क्या फिर से प्रभावी हो पाएगा RIC मंच?

भारत, रूस और चीन – तीनों देशों की राजनीतिक इच्छाशक्ति पर ही RIC की सफलता निर्भर करेगी। यदि ये देश अपने भिन्न हितों को दरकिनार कर साझा कूटनीतिक और आर्थिक प्राथमिकताओं पर सहमति बना सकें, तो यह मंच एशिया में स्थिरता और सहयोग का प्रमुख आधार बन सकता है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *