ईरान के वे 3 परमाणु ठिकाने कौन से हैं जहां अमेरिका ने किए हमले? सबसे सुरक्षित माने जाने वाले फोर्दो पर भी गिराए बम…

अमेरिका ने ईरान के तीन परमाणु ठिकानों पर बमबारी की है। इजरायल और ईरान में पिछले कई दिनों से युद्ध जैसी स्थिति बनी हुई है, जिसके तहत दोनों देश एक-दूसरे पर मिसाइल हमले कर रहे थे।

इस बीच, अमेरिका ने बी-2 बॉम्बर्स विमानों के जरिए ईरान के तीन परमाणु ठिकानों पर बम बरसा कर ईरान को करारा झटका दे दिया।

ईरान के जिन तीन न्यूक्लियर साइट्स पर बमबारी हुई है, उनके नाम फोर्दो, नातांज और इस्फहान हैं। इन तीन ठिकानों में फोर्दो काफी अहम माना जा रहा है, क्योंकि यह सबसे सुरक्षित परमाणु ठिकाना था। अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप ने बताया है कि फोर्दो पर विमान ने बमों का पूरा पेलोड गिराया गया।

फोर्दो परमाणु स्थल

तेहरान से लगभग 100 किलोमीटर दक्षिण-पश्चिम में और कोम के विपरीत दिशा में फोर्दो ईरान का सबसे सुरक्षित परमाणु स्थल है।

यह ईरान की सबसे गुप्त और अत्यधिक सुरक्षित परमाणु सुविधा है जो एक पहाड़ के नीचे गहराई में दबी हुई है। यह प्लांट जमीन से लगभग आधा मील नीचे पहाड़ की चट्टानों के बीच बना हुआ है, जिसकी वजह से भी इसे काफी सुरक्षित माना जा रहा था।

इसे ईरान ने इस तरह से बनाया था कि यदि कोई भी देश साधारण बमबारी करता है तो ज्यादा नुकसान नहीं हो, लेकिन अमेरिका ने बमों का पूरा पेलोड गिराया है। ट्रंप ने हमले के बाद लिखा, ”फोर्दो तबाह हो गया।” हालांकि, ईरान की ओर से अभी पुष्टि नहीं हुई है कि फोर्दो समेत तीनों परमाणु स्थलों को कितना नुकसान पहुंचा है।

इजरायली और अमेरिकी हमलों से पहले, इस सुविधा में लगभग 2,000 सेंट्रीफ्यूज संचालित थे, जिनमें से अधिकांश उन्नत IR-6 मशीनें थीं, जिनमें से 350 तक 60 फीसदी तक संवर्धन कर रहे थे।

अमेरिका, ब्रिटेन और फ्रांस ने साल 2009 में घोषणा की कि ईरान वर्षों से गुप्त रूप से फोर्दो का निर्माण कर रहा था और इसकी जानकारी आईएईए को नहीं दी है। तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने तब कहा था, “इस सुविधा का आकार और विन्यास एक शांतिपूर्ण कार्यक्रम के साथ असंगत है।”

हाल ही में फोर्दो न्यूक्लियर साइट की सैटेलाइट तस्वीरें सामने आई थीं, जिसमें पहाड़ों के एक समूह में बनी पांच सुरंगें देखी जा सकती हैं। इसके अलावा एक बड़ा सहायक ढांचा और एक विस्तृत सुरक्षा घेरा भी दिखाई दिया था।

यह ईरान के पवित्र शहर कोम के पास स्थित है। सार्वजनिक रूप से उपलब्ध ऐतिहासिक सैटेलाइट इमेजरी से पता चलता है कि साल 2002-04 में इस साइट पर काम शुरू हुआ था, जिसमें दो सफेद चौकोर संरचनाएं दिखाई देती हैं जहां आज सुरंग के प्रवेश द्वार स्थित हैं। IAEA का कहना है कि उसके पास 2002 में भी निर्माण को दिखाने वाली अतिरिक्त इमेजरी है।

नातांज न्यूक्लियर साइट

तेहरान के दक्षिण में शिया मुस्लिम पवित्र शहर कोम के बाहर पहाड़ों से सटे मैदान पर ईरान के संवर्धन कार्यक्रम के केंद्र में एक परिसर है। नातांज में दो संवर्धन संयंत्रों सहित सुविधाएं हैं: विशाल, भूमिगत ईंधन संवर्धन संयंत्र और ऊपर-जमीन पायलट ईंधन संवर्धन संयंत्र।

निर्वासित ईरानी विपक्षी समूह ने 2002 में खुलासा किया कि ईरान गुप्त रूप से नातांज का निर्माण कर रहा था, जिससे पश्चिम और ईरान के बीच उसके परमाणु इरादों को लेकर कूटनीतिक गतिरोध पैदा हो गया जो आज भी जारी है।

इसको व्यावसायिक पैमाने पर संवर्धन के लिए बनाया गया था, जिसमें 50,000 सेंट्रीफ्यूज रखे जा सकते थे। इजरायल और अमेरिकी हमलों से पहले, वहां लगभग 16,000 सेंट्रीफ्यूज लगाए गए थे, जिनमें से लगभग 13,000 चालू थे।

इस्फहान

ईरान के दूसरे सबसे बड़े शहर इस्फहान के बाहरी इलाके में एक बड़ा परमाणु प्रौद्योगिकी केंद्र है। इसमें फ्यूल प्लेट फैब्रिकेशन प्लांट और यूरेनियम सुविधा शामिल है जो यूरेनियम को यूरेनियम हेक्साफ्लोराइड में संसाधित कर सकती है जिसे सेंट्रीफ्यूज में डाला जाता है।

एक्सपर्ट्स का कहना है कि ईरान इस्फहान में संवर्धित यूरेनियम भी संग्रहीत करता है। इस्फहान में यूरेनियम धातु बनाने के लिए उपकरण हैं, एक ऐसी प्रक्रिया जो विशेष रूप से प्रसार-संवेदनशील है क्योंकि इसका उपयोग परमाणु बम के कोर को तैयार करने के लिए किया जा सकता है। IAEA ने कहा है कि इस्फहान में सेंट्रीफ्यूज पार्ट्स बनाने के लिए मशीनें हैं, इसे 2022 में ‘नया स्थान’ बताया।

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