वक्फ बोर्ड संसोधन विधेयक को लोकसभा के बाद राज्यसभा से भी मंजूरी मिल चुकी है।
दोनों ही सदनों में इस बिल को लेकर घंटों चर्चा हुई। इसके बाद वोटिंग की मदद से इसे पास करा लिया गया। अब राष्ट्रपति के हस्ताक्षर के साथ ही यह बिल कानून में बदल जाएगा।
भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के पास ना तो लोकसभा में और ना ही राज्यसभा में खुद का बहुमत है।
वह नीतीश कुमार की पार्टी जेडीयू और चंद्रबाबू नायडू की टीडीपी की मदद से केंद्र में सरकार चला रही है। दोनों ही नेताओं की धर्मनिरपेक्ष छवि है। इसके बावजूद दोनों ही दलों ने सरकार के पक्ष में वोटिंग का फैसला किया।
राज्यसभा में जब इस विषय पर चर्चा हो रही थी तब जेडीयू के राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष संजय झा ने बताया कि आखिर उनके नेता नीतीश कुमार के मन में इस बिल को लेकर क्या शंकाएं थी, जिसे भाजपा ने दूर कर दिया।
जेडीयू ने यह स्पष्ट किया कि पहले से बने इस्लामिक धार्मिक स्थलों, मस्जिदों, दरगाहों और अन्य मुस्लिम धार्मिक स्थानों में हस्तक्षेप को लेकर चिंताएं थीं, जिसे केंद्र सरकार के द्वारा दूर कर दिया गया।
संजय झा ने राज्यसभा में इस बिल का समर्थन करते हुए कहा कि मुस्लिम समाज के कई लोगों ने इस बिल को लेकर बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से मुलाकात की थी।
इस दौरान उन्होंने अपनी-अपनी चिंता जाहिर की थी। उन सभी बिंदुओं को केंद्र सरकार के समक्ष रखा गया।
केंद्र सरकार ने भी तमाम चिंताओं का समाधान करते हुए इस बिल को संसद में पेश किया। उन्होंने कहा कि इस बिल से मुस्लिम समाज में हासिए पर चले गए पसमंदा समाज का भला होगा। उन्हें न्याय मिलेगा।
इस बिल को लोकसभा में पेश करने से पहले गृह मंत्री अमित शाह ने संसद भवन में JD(U) के नेताओं ललन सिंह और संजय झा से मुलाकात की थी।
इस बैठक में उन्हें बताया गया कि पार्टी के सुझावों को विधेयक में समाहित किया गया है। लोकसभा बहस के दौरान ललन सिंह ने विधेयक का मजबूती से समर्थन किया और उन चिंताओं को खारिज कर दिया कि यह मुस्लिम समुदाय के हितों के खिलाफ हो सकता है।
उन्होंने बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार द्वारा मुसलमानों के कल्याण के लिए उठाए गए कदमों को भी उजागर किया और आगामी बिहार चुनावों के संदर्भ में उन कदमों का उल्लेख किया।
ललन सिंह ने कहा कि नीतीश कुमार ने हमेशा मुसलमानों के हक में काम किया है और उनकी सरकार ने इस समुदाय के लिए कई महत्वपूर्ण योजनाएं लागू की हैं।
उन्होंने जोर दिया कि इस विधेयक से मुस्लिम समाज को कोई नुकसान नहीं होगा और यह उनके हित में है।
जेडीयू का यह भी कहना है कि पार्टी का लक्ष्य किसी भी धार्मिक समुदाय के अधिकारों का उल्लंघन किए बिना सामाजिक समरसता को बढ़ावा देना है।