भारत-पाकिस्तान में जारी तनाव के बीच तुर्की ने पाकिस्तान को हथियार और गोला-बारूद की सप्लाई करने के दावों का खंडन किया है।
तुर्की ने अपनी सफाई में कहा है कि उसका विमान पाकिस्तान में हथियार सप्लाई करने के उद्देश्य से नहीं रुका था।
यह बयान तब आया है जब सोशल मीडिया पर खबरें वायरल हो रही हैं कि तुर्की का एक सैन्य परिवहन विमान सी-130ई हरक्यूलिस कराची में उतरा, जिसमें कथित तौर पर सैन्य उपकरण थे।
केवल ईंधन भरने के लिए रुका था विमान
इन खबरों के बाद, तुर्की के राष्ट्रपति संचार निदेशालय ने स्पष्ट किया कि विमान केवल तेल भरने के लिए पाकिस्तान में रुका था और इसका कोई सैन्य उद्देश्य नहीं था।
सोमवार, 28 अप्रैल को अरब सागर के ऊपर उड़ान भरते हुए देखे गए इस विमान ने भारत-पाकिस्तान के बीच तनावपूर्ण स्थिति के बीच व्यापक अटकलों को जन्म दिया।
कुछ मीडिया रिपोर्टों ने दावा किया गया कि करीब छह सी-130ई विमान पाकिस्तान में उतरे। हालांकि, तुर्की ने इन दावों को निराधार बताया और कहा, “पाकिस्तान में एक कार्गो विमान केवल ईंधन भरने के लिए रुका था और फिर अपनी यात्रा पर आगे बढ़ गया। अधिकृत व्यक्तियों और संस्थानों के बयानों के बिना की गई अटकलों पर भरोसा नहीं करना चाहिए।”
तुर्की और पाकिस्तान के बीच रणनीतिक साझेदारी पिछले कुछ वर्षों में मजबूत हुई है। तुर्की पाकिस्तान को ड्रोन और अन्य सैन्य उपकरणों की आपूर्ति करने वाला दूसरा सबसे बड़ा देश है।
फिर भी, इस ताजा घटना में तुर्की ने स्पष्ट रूप से किसी भी सैन्य सहायता से इनकार किया है। यह घटना ऐसे समय में हुई है जब भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव चरम पर है।
तुर्की के एर्दोआन भी कर रहे अपील
तुर्की के राष्ट्रपति रेसेप तईप एर्दोआन ने भारत और पाकिस्तान के बीच बढ़ते तनाव को कम करने की अपील की है। यह बयान जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद दोनों देशों के बीच बढ़ी तनातनी के मद्देनजर आया है। इस हमले में 26 पर्यटकों की मौत हो गई थी।
सोमवार को अंकारा में एक कैबिनेट बैठक के बाद प्रेस कॉन्फ्रेंस में एर्दोआन ने कहा, “हम नहीं चाहते कि भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव गंभीर स्तर तक पहुंचे।
हम दोनों देशों से आग्रह करते हैं कि वे स्थिति को और बिगड़ने से रोकने के लिए तत्काल कदम उठाएं।” उन्होंने पाकिस्तानी जनता के प्रति तुर्की के “मजबूत समर्थन” की भी पुष्टि की।
पहलगाम हमले के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच सीमा पर तनाव बढ़ गया है। दोनों देशों ने एक-दूसरे के खिलाफ जवाबी कार्रवाइयां की हैं, जिसमें राजनयिक संबंधों को कम करना, वीजा सेवाओं को निलंबित करना और व्यापारिक संबंधों को सीमित करना शामिल है।
भारत ने 1960 के सिंधु जल संधि को निलंबित करने की घोषणा भी की है, जिसे पाकिस्तान ने युद्ध की धमकी के रूप में देखा है। एर्दोआन ने दोनों देशों से संयम बरतने और बातचीत के जरिए समाधान खोजने का आह्वान किया।
हालांकि, कुछ भारतीय विश्लेषकों और सोशल मीडिया उपयोगकर्ताओं ने तुर्की के इस कदम पर संदेह जताया है।
सुरक्षा विश्लेषक सुशांत सरीन ने तुर्की, चीन और अजरबैजान के पाकिस्तान के समर्थन पर नाराजगी जाहिर की और भारत से इन देशों के साथ कड़े रुख की मांग की।