प्रियंका प्रसाद (ज्योतिष सलाहकार): केवल व्हाट्सएप मेसेज 94064 20131
ज्येष्ठ मास की अमावस्या को वट सावित्री व्रत रखा जाता है।
कहीं-कहीं महिलाएं इस दिन व्रत रखती हैं, तो कहीं -कहीं सिर्फ वृक्ष की पूजा की जाती है। इस बार अमावस्या तिथि 26 मई से शुरू हो रही है, इसलिए इस दिन ही वट सावित्री व्रत रखा जाएगा।
कहा जाता है कि जिस तरह वट वृक्ष को अमरता और दीर्घायु का प्रतीक माना जाती है, उसी तरह उनके पति की आयु भी लंबी हो।
आपको बता दें कि इस दिन सावित्री ने इसी वृक्ष के नीचे अपने पति के प्राण यमराज से वापस लिए थे। इस व्रत के माध्यम से महिलाएं अपने वैवाहिक जीवन की सुख-समृद्धि और पति की लंबी उम्र की मंगल कामना करती हैं।
किन चीजों के बिना अधूरा है वट सावित्रि व्रत
वट सावित्री व्रत की पूजा के लिए कच्चा सूत जरूर चाहिए। इसे सात बार परिक्रमा करते हुए बांधना है और फिर इसी धागे को गले में धारण करना है।
इसके अलावा भीगे हुए चने, तिल, पूड़ी हलवा, गुलगुला, कलश, सोलह श्रृंगार की सामग्री की भी जरूरत होगी। इन सामग्री के बिना वट सावित्री व्रत अधूरा माना जाता है।
सिंदूर कलावा, जनेई, सुपारी, चावल गंगा जल, काले तिल, आम के पत्ते, पंखा, दीपक, फूलमाला, चावल को पीसकर हल्दी मिलाकर रख लें।
इससे आपको थापे लगाने होंगे और हल्दी मिले इस मिश्रण से सूत के धागे की आठ बार लपेटकर माला बना लें। पुए के अलावा बरगदा बनते हैं, जो टाइट आटे के गुलगुले की तरह होते हैं।
सास के लिए बायने पूरी और साड़ी और सुहाग का सामान और पैसे अलग से निकाल कर रख लें।
सबसे पहले चौक पूजकर एक पौधे में वट के पेड़ की एक टहनी लेकर इसमें लगाकर इससे पूजा कर सकते हैं। इसी को वट वृक्ष मानकर इसकी पूजा करनी होगी। भगवान के अर्पित करने के लिए खरबूजा या आम मौसमी फल चाहिए होंगे।
कब है वट सावित्री की पूजा का शुभ मुहूर्त
व्रत की तिथि और शुभ मुहूर्त : व्रत की तिथि: सोमवार 26 मई 2025 को अमावस्या तिथि प्रारंभ : 26 मई को दोपहर 10.55 बजे से शुरू हो रही है।इसकी पूजा का मुहूर्त 26 मई को सुबह 8.52 से 11.35 बजे तक है।