अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने गुरुवार को एक बड़ा बयान देते हुए कहा कि हाल ही में ईरान पर किए गए अमेरिकी हवाई हमलों से पहले तेहरान ने अपने परमाणु ठिकानों से कुछ भी नहीं हटाया था।
ट्रंप का यह बयान ऐसे समय आया है जब अंतरराष्ट्रीय परमाणु विशेषज्ञ और खुफिया एजेंसियां यह जांचने में जुटी हैं कि क्या ईरान ने हमलों से पहले यूरेनियम या संवेदनशील उपकरणों को सुरक्षित स्थान पर पहुंचा दिया था।
ऐसी रिपोर्ट भी सामने आई थी कि ईरान ने अमेरिकी हमलों से पहले 400 किलो यूरेनियम सुरक्षित जगह छिपा लिया था।
ट्रंप ने ‘ट्रुथ सोशल’ पर पोस्ट करते हुए लिखा, “जो गाड़ियां और छोटे ट्रक वहां दिखे, वे कंक्रीट का काम करने वाले मजदूरों के थे, जो ऊपर की सतह को ढंकने की कोशिश कर रहे थे। ठिकानों से कुछ भी बाहर नहीं निकाला गया। इसे निकालना बेहद मुश्किल, जोखिम भरा और समय लेने वाला होता।”
पेंटागन का समर्थन
ट्रंप की यह टिप्पणी उस समय आई जब अमेरिकी रक्षा मंत्री पीट हेगसेथ ने पेंटागन में प्रेस कांफ्रेंस के दौरान भी इसी बात को दोहराया। उन्होंने कहा, “मेरे पास ऐसी कोई खुफिया रिपोर्ट नहीं है जिससे यह संकेत मिले कि कोई सामग्री वहां से हटाई गई थी या उनके स्थान में बदलाव किया गया था।”
हेगसेथ ने आगे कहा कि ईरान के खिलाफ की गई कार्रवाई सटीक और योजनाबद्ध थी। उन्होंने बताया कि यह हमला उन सूचनाओं पर आधारित था जो यह दिखाती थीं कि ईरान अपने परमाणु कार्यक्रम को गुप्त रूप से तेज कर रहा है।
क्यों उठे सवाल?
हाल ही में ईरान की संसद ने IAEA (अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी) के साथ सहयोग खत्म करने का विधेयक पारित किया है, जो अमेरिका और इज़रायल के हवाई हमलों के बाद आया है।
ईरान पर आरोप है कि वह गुप्त रूप से परमाणु हथियार विकसित करने की दिशा में बढ़ रहा है, हालांकि तेहरान इस दावे को बार-बार खारिज करता आया है।
विशेषज्ञों ने यह सवाल उठाया कि क्या अमेरिका के हमले से पहले ईरान को पर्याप्त समय मिल गया था जिससे वह संवेदनशील सामग्री को सुरक्षित स्थान पर ले जा सके।
इस विषय पर अब तक ईरान की ओर से कोई ठोस प्रमाण या बयान सामने नहीं आया है।