धुर साय को मिला प्रधानमंत्री आवास
शासन की योजना से बदली ज़िंदगी
कोरबा जिले के आदिवासी अंचल के एक वृद्ध किसान धुर साय के जीवन में अब सुकून है।
वर्षों तक खपरैल वाले कच्चे मकान में हर बरसात से जूझने वाले धुर साय को प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत पक्का घर मिला है। अब उन्हें हर साल बरसात के पहले खपरैल पलटने की चिंता नहीं सताएगी और न ही टपकती छत और दरकती दीवारों की चिंता।
कोरबा जिले के पोड़ी उपरोड़ा विकासखण्ड के सुदूर ग्राम पतुरियाडाँड़ निवासी 80 वर्षीय धुर साय, अपनी पत्नी मोती कुँवर के साथ रहते हैं।
बरसों से घने जंगलों के बीच जीवन यापन करते हुए धुर साय ने खेती-किसानी से गुजर-बसर की, लेकिन कमजोर आर्थिक स्थिति और दुर्गम परिस्थितियों के चलते वे पक्का घर नहीं बना सके।
हर साल बारिश का मौसम उनके लिए मुसीबत लेकर आता था। कभी खपरैल उड़ जाती थी, कभी दीवारें दरक जाती थीं।
धुर साय बताते हैं कि जैसे-तैसे बनाया गया कच्चा मकान हर साल बरसात में बर्बाद हो जाता था। हर बार बारिश आने से पहले खपरैल को ठीक करना पड़ता था, फिर भी पानी टपकता था।
दीवारें भी बारिश के बाद कमजोर हो जाती थीं। फिर उन्हें जानकारी मिली कि प्रधानमंत्री आवास योजना के अंतर्गत उन्हें भी पक्का मकान मिल सकता है। पात्रता मिलने के बाद योजना का लाभ मिला और अब उनका अपना मजबूत, सुरक्षित और टिकाऊ पक्का आवास बनकर तैयार हो गया है।
प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत मिले इस आवास ने उनके जीवन की दिशा ही बदल दी है। धुर साय कहते हैं, हम जैसे गरीब, जंगल में रहने वालों के लिए सरकार ने जो किया है, उसके लिए हम धन्यवाद देते हैं।
अब बुढ़ापे में चैन से रह सकते हैं। धुर साय की यह कहानी न सिर्फ प्रधानमंत्री आवास योजना की सफलता को बयां करती है, बल्कि इस बात का प्रमाण भी है कि शासन की योजनाएं जब अंतिम व्यक्ति तक पहुंचती हैं, तो उसका कितना गहरा असर होता है। यह केवल एक घर की कहानी नहीं है, बल्कि सम्मान, सुरक्षा और स्थिरता के नए युग की शुरुआत है।