“मंदी की आहट से बाजारों में मची हलचल, लेकिन ट्रंप अडिग — आखिर क्या है इसकी वजह?”…

अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने टैरिफ वॉर को लेकर अपनी मंशा एक बार फिर साफ कर दी है।

ट्रंप ने टैरिफ लगाने वाले फैसले पर पीछे हटने से इनकार करते हुए कहा कि वह इस फैसले को तब तक रद्द नहीं करेंगे, जब तक यह देश अमेरिका के साथ अपने व्यापार को संतुलित नहीं कर लेते।

ट्रंप ने अपनी योजना पर जोर देते हुए कहा कि यह अमेरिका को आगे बढ़ाने का काम करेगी।

ट्रंप भले ही इसे एक बेहतर योजना मान रहे हों लेकिन दुनिया भर के बाजरों में इसके विरुद्ध ही प्रतिक्रिया ही देखने को मिली है।

अमेरिकी शेयर बाजार भी कई प्वाइंट्स नीचे आ गया है। राष्ट्रपति ट्रंप से जब इस बारे में पूछा गया तो उन्होंने इस टैरिफ फैसले को शेयर बाजार के लिए एक दवा करार दिया। एयरफोर्स वन में मीडिया से बात करते हुए ट्रंप ने कहा कि मैं नहीं चाहता कि वैश्विक बाजार या अमेरिकी बाजार गिरे.. लेकिन आप देखेंगे कि इसमें बड़े पैमाने पर बिक्री भी हो रही है।

कभी-कभी आपको किसी चीज को या बीमारी को ठीक करने के लिए दवा लेनी पड़ती है। यह टैरिफ फैसला भी ठीक उसी दवा की तरह ही है।

राष्ट्रपति ट्रंप की यह टिप्पणी ऐसे समय में आई है जब उनके एक फैसले की वजह वैश्विक बाजार में हाहाकार मचा हुआ है। सोमवार को अमेरिकी बाजार समेत दुनिया भर के बाजार एक बार फिर से गिरने के लिए तैयारी कर रह हैं।

हालांकि ट्रंप के समर्थकों ने बाजार की चिंताओं को यह कहकर शांत करने की कोशिश की है कि कम से कम पचास देशों ने टैरिफ हटाने के लिए बातचीत शुरू करने के लिए संपर्क किया है। जल्दी ही इस पर नया फैसला आएगा।

ट्रंप ने कहा कि दुनिया के कई देशों के नेता अमेरिका के साथ इस मुद्दे पर बात करने की कोशिश कर रहे हैं। वह डील करने चाहते हैं लेकिन मैंने उनसे साफ-साफ कह दिया है कि हम आपके साथ व्यापारिक घाटा लेकर व्यापार नहीं कर सकते.. आखिर यह हमारी अर्थव्यवस्था के लिए खतरा है।

दूसरी तरफ अमेरिकी प्रशासन की तरफ से बताया गया कि बुधवार से आयातों पर उच्च दरें वसूल करना शुरू कर दिया जाएगा। इससे आर्थिक अनिश्चितता का एक नया दौर शुरू हो रहा है, जिसका कोई स्पष्ट अंत नहीं दिखता है।

अमेरिकी ट्रेजरी सचिव ने दूसरे देशों के साथ बातचीत को लेकर कहा कि हम कोशिश कर रहे हैं लेकिन यह कोई ऐसा मुद्दा नहीं है जो कुछ दिनों की बातचीत में सुलझ जाए।

हमें यह देखना होगा कि दूसरे देश आखिर क्या पेशकश कर रहे हैं.. और क्या ज्यादा विश्वसनीय है। मंदी पर सवाल को लेकर बेसेंट ने तहा कि हमें नहीं लगता कि ऐसा कुछ होगा क्योंकि कोई नहीं जानता कि एक हफ्ते में या एक दिन में बाजार कैसी प्रतिक्रिया देगा।

हम इस समय पर लंबे समय के लिए आर्थिक बुनियादी ढांचे का निर्माण करने पर ध्यान दे रहे हैं। ऐसे में यह छोटे-मोटे उतार चढ़ाव होंगे।

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