गाजा में इजरायली सेना द्वारा की जा रही कार्रवाई से ब्रिटेन और उसके साथी देशों का गुस्सा बढ़ता जा रहा है।
मंगलवार को ब्रिटेन, ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, न्यूजीलैंड और नॉर्वे ने बयान जारी करके कहा कि इजरायली कब्जे वाले पश्चिमी तट पर इजरायल के दो धुर दक्षिणपंथी सांसद इटमार बेन-ग्वीर और बेजेलेल स्मोट्रिच लगातार फिलिस्तिनियों के खिलाफ चरमपंथी हिंसा भड़का रहे हैं, इस वजह से इन दोनों ही सांसदों पर प्रतिबंध लगा लगा दिया गया है।
इन देशों का प्रतिबंध झेलने वाले दोनों सांसद इजरायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू के खास माने जाते हैं और यह दोनों ही गाजा में युद्ध जारी रखने के समर्थक है।
अब इस प्रतिबंधों के बाद उन्हें संपत्ति की जब्ती और यात्रा प्रतिबंधों का सामना करना पड़ सकता है। इजरायली विदेश मंत्रालय ने इस घटनाक्रम के बारे में कहा कि उसे पहले ही प्रतिबंधों की जानकारी दे दी गई थी।
वहीं वित्तमंत्री और प्रतिबंध का सामना कर रहे स्ट्रोमिच ने सोशल मीडिया पर लिखा कि उन्हें प्रतिबंधों के बारे में तब पता चला जब वे पश्चिमी तट पर एक नई बस्ती का उद्घाटन कर रहे थे। उन्होंने लिखा, “हम निर्माण जारी रखने के लिए दृढ़ हैं।”
वहीं दूसरी तरफ राष्ट्रीय सुरक्षा मंत्री बेन-ग्वीर ने ब्रिटेन के प्रधानमंत्री स्टार्मर का जिक्र करते हुए तंज कसा, “हमने फराओ को हराया, हम स्टॉर्मर की दीवार को भी गिरा देंगे।”
इजरायल के विदेश मंत्री गिदोन सार ने प्रतिबंध के फैसले को ‘अपमानजनक’ बताया। उन्होंने कहा कि उन्होंने नेतन्याहू के साथ इस पर चर्चा की है और वे अगले सप्ताह इजराइल की प्रतिक्रिया पर चर्चा करने के लिए उनसे मिलेंगे।
इन देशों का यह संयुक्त फैसला इजरायल की सरकार के लिए थोड़ा कठिन हो सकता है। क्योंकि यह वे देश हैं जिनका व्यवहार इजरायल को लेकर हमेशा से ही दोस्ताना रहा है।
इन देशों का यह फैसला इजरायल के पश्चिमी तट पर किए जा रहे कार्यों को लेकर एक बड़ी असहमति है।
इससे पहले पांचों देशों के विदेश मंत्रियों ने एक संयुक्त बयान जारी करते हुए कहा था कि बेन-ग्वीर और स्मोट्रिच ने चरमपंथी हिंसा और फलस्तीनियों के मानवाधिकारों के गंभीर हनन को उकसाया है।
इसमें कहा गया है कि फलस्तीनियों के जबरन विस्थापन और नई इजराइली बस्तियों के निर्माण की वकालत करने वाली चरमपंथी बयानबाजी भयावह और खतरनाक है।
ब्रिटेन के विदेश मंत्री डेविड लैमी ने कहा कि दोनों मंत्री महीनों से फलस्तीनी लोगों के खिलाफ हिंसा भड़का रहे हैं और मानवाधिकारों के गंभीर हनन को बढ़ावा दे रहे हैं।