बकरीद पर कुर्बानी पर रोक लगाने वाले अधिकारी को यूनुस सरकार की सजा मिली, अब कोलकाता में नहीं होगी उनकी पोस्टिंग…

बांग्लादेश में इन दिनों अंतरिम सरकार के प्रमुख सलाहकार मोहम्मद यूनुस की कुर्सी खतरे में नजर आ रही है।

देश में सरकार और सेना प्रमुख के बीच टकराव बढ़ता ही जा रहा है। इस बीच यूनुस सरकार के एक कदम ने ढाका से कोलकाता तक हलचल मचा दी है।

बांग्लादेश की सरकार ने अपने एक अधिकारी की कोलकाता में पोस्टिंग रोक दी है।

दरअसल बीते दिनों इस अधिकारी ने बकरीद के मौके पर कोलकाता कॉन्सुलेट के परिसर में किसी भी तरह की कुर्बानी को प्रतिबंधित करने का आदेश जारी किया गया था, जिसके बाद बांग्लादेश ने उन पर एक्शन लिया है।

वरिष्ठ राजनयिक शबाब बिन अहमद की कोलकाता वाणिज्य दूतावास में नियुक्ति रद्द कर दी गई है। साथ ही उन्हें जल्द से जल्द ढाका रिपोर्ट करने को कहा गया है।

बता दें कि अहमद जून के पहले सप्ताह में वाणिज्य दूतावास में बांग्लादेश के उप उच्चायुक्त के रूप में कार्यभार संभालने वाले थे।

इस दौरान ही ईद-उल-अजहा यानी बकरीद का त्यौहार भी मनाया जाने वाला था। उन्होंने पद संभालने से पहले कुर्बानी की प्रथा को रोकने का निर्देश जारी कर दिया।

भारत के रीति-रिवाजों का हवाला

बांग्लादेश की अखबार प्रोथोम एलो की एक रिपोर्ट के मुताबिक अहमद ने इस प्रतिबंध के पीछे भारत के रीति-रिवाजों का हवाला दिया था।

अधिकारी ने कहा था, “हम राजनयिक के रूप में, अपने देश की सेवा करते हैं। हमें स्थानीय वातावरण और उस संदर्भ पर विचार करना चाहिए जहां हम तैनात हैंम हमें मेजबान देश के रीति-रिवाजों का सम्मान करना चाहिए।

राजनयिकों के लिए मेजबान देश का विश्वास हासिल करना जरूरी है।” अधिकारी ने यह भी कहा कि कोलकाता के बाहर दूसरा कोई बांग्लादेशी मिशन बकरीद पर कुर्बानी नहीं मनाता है और इससे आसपास के क्षेत्र में स्वच्छता संबंधी समस्याएं भी पैदा होती हैं।

दूतावास में 30 सालों से दी जाती है कुर्बानी

कथित तौर पर क़ुर्बानी पर प्रतिबंध लगाने के आदेश के बाद मिशन के कर्मचारियों में असंतोष की भावना जगी और किसी ने भी उनके रुख का समर्थन नहीं किया।

रिपोर्ट के मुताबिक आधिकारिक रूप से कार्यभार संभालने से पहले ही लंबे समय से चली आ रही प्रथा को बंद करने के उप उच्चायुक्त के फैसले ने वाणिज्य दूतावास के कर्मचारी नाराज हो गए।

जानकारी के मुताबिक कोलकाता में बांग्लादेश वाणिज्य दूतावास में करीब 30 सालों से कुर्बानी दी जाती रही है। यहां हर साल कई गायों और बकरियों की कुर्बानी दी जाती है जिसके बाद इसे लोगों में बांटा जाता है।

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