सैयद जावेद हुसैन (सह संपादक – छत्तीसगढ़):
धमतरी- ज़िले की बहुप्रतीक्षित और सबसे महंगी सड़क जिसके निर्माण में परत दर परत भ्रष्टाचार की जिल्द (कवर) चढ़ रही है, इस सड़क के ठेकेदार से लेकर अधिकारियों की नजरअंदाजी स्थानीयों के लिए सर का दर्द बनी हुई है।
इस सड़क में मटेरियल की गुणवत्ता, निर्धारित मापदंड और निर्माण कार्य में होने वाली देरी ने ग्रामीणों को परेशान कर रखा है।
आपको बता दें कोलियारी, खरेंगा,दोनर मार्ग क्षेत्र की बहुप्रतीक्षित माँग है,
इस जर्जर सड़क ने कई परिवारों के चिराग़ बुझा दिए, कईयों को अपाहिज बनाया जिससे आहत ग्रामीणों ने उग्र होकर कई प्रदर्शन किए, उनकी चीखें अंततः शासन के कानों तक पहुंचीं और फिर इस मार्ग के नवनिर्माण व चौड़ीकरण की स्वीकृति शासन द्वारा बीते साल दी गई जिसकी प्रशासनिक लागत लगभग 84 करोड़ और लम्बाई लगभग 33 किलोमीटर है।
इस महंगे मार्ग में लागत और नियमों के विरुद्ध घटिया मटेरियल का उपयोग किया जा रहा, जहां मुरूम डालनी चाहिए वहां मिट्टी डालकर ख़ानापूर्ति की गई।
इस बेपरवाही का ख़ामियाज़ा स्थानीय ग्रामीणों, राहगीरों को अभी तो भुगतना पड़ ही रहा है साथ ही उन्हें आने वाली बारिश की चिंता खाए जा रही है, हालात ऐसे ही रहे तो इस क्षेत्र में बारिश क़हर बनकर बरसेगी।
शिकायतों के बाद हो रही लीपापोती…
शुरू शुरू में अधिकारियों द्वारा घटिया मटेरियल को भी लैब टेस्टिंग से प्रमाणित बताया गया, बाद में जब ये ख़बर आम हुई तो आनन फ़ानन में कुछेक जगहों की मिट्टी हटाई गई, लेकिन उसकी जगह मुरूम जैसी दिखाई देने वाली मिट्टी को ही दुबारा डालकर लीपापोती कर दी गई।
इतनी भर्राशाही के बावजूद ठेकेदार अपनी गलती को लगातार दोहरा रहा है बावजूद इसके विभागीय कार्यवाही न होना ठेकेदार और अधिकारियों की साठगांठ को दर्शा रहा है! लोक निर्माण विभाग से मिली जानकारी के मुताबिक इस मार्ग को अक्टूबर 2025 तक पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है, लेकिन मुरुम मिट्टी के गोरखधंधे में ठेकेदार ने अपना आधा समय गंवा दिया है।
समाधान शिविर में ग्रामीणों ने की शिकायत..
मालूम हो कि आज शुक्रवार को जिले के ग्राम खरेंगा में सुशासन तिहार 2025 के तहत समाधान शिविर लगाया गया था जहां स्थानीय भाजपा नेता ने उक्त मार्ग में होने वाली भर्राशाही के खिलाफ जमकर आक्रोश जताया! इसके अलावा स्थानीय ग्रामीणों द्वारा समाधान शिविर में 5 सूत्रीय मांगों को लेकर आवेदन दिया गया हैं।
पुल पुलियों में भी घटिया मटेरियल का हो रहा उपयोग!
विभागीय सूत्रों से मिली जानकारी मुताबिक इस मार्ग में बनने वाले पुल पुलियों में भी बिना लैब टेस्टिंग वाले मटेरियल का उपयोग किया जा रहा है, इसके अलावा इस मार्ग के दोनों ओर बनने वाली नाली निर्माण में भी मटेरियल की गुणवत्ता संदेह के दायरे में हैं, जबकि इस सड़क पर जिले की सबसे अधिक रेत खदानें हैं जहां से रोज़ाना 40 से 60 टन के भारी वाहनों का गुज़रना लगा रहता है इसके बाद भी सड़क की गुणवत्ता पर ध्यान नही दिया जा रहा है।
विभागीय अधिकारियों की मौके पर ग़ैरमौजूदगी…
84 करोड़ में बनने वाले मार्ग में अधिकारियों की ग़ैरमौजूदगी से भी ग्रामीण सख़्त नाराज़ हैं। उनका कहना है कि वर्षों के संघर्ष के बाद हमें सड़क की स्वीकृति मिली है, जिसकी गुणवत्ता हमारे लिए बहुत ही महत्वपूर्ण है, और इतनी महंगी सड़क के निर्माण में अधिकारियों की ग़ैरमौजूदगी गुणवत्ता से सीधा समझौता की ओर इशारा कर रही है। इस पूरे मामले की जांच की जाए और दोषी अधिकारियों व ठेकेदार के खिलाफ कार्यवाही करने की मांग भी समाधान शिविर में की गई है।