बीजापुर मुठभेड़ में ढेर हुआ कुख्यात माओवादी नेता सुधाकर – जिस पर था 1 करोड़ रुपये का इनाम, जानिए कौन था वो?…

छत्तीसगढ़ के बीजापुर जिले के जंगलों में गुरुवार को सुरक्षाबलों को उस वक्त बड़ी कामयाबी मिली, जब उन्होंने प्रतिबंधित नक्सली संगठन सीपीआई (माओवादी) के वरिष्ठ नेता और सेंट्रल कमेटी (सीसीएम) के सदस्य नरसिम्हाचलम उर्फ गौतम उर्फ सुधाकर को मार गिराया।

सुधाकर वही शख्स था, जिसने 21 साल पहले आंध्र प्रदेश सरकार के साथ शांति वार्ता में हिस्सा लिया था। वह छत्तीसगढ़, तेलंगाना और महाराष्ट्र का मोस्ट वांटेड था और तीनों राज्यों को मिलाकर उस पर लगभग एक करोड़ रुपए का इनाम घोषित था।

मुठभेड़ में मारा गया सुधाकर नक्सलियों के शिक्षा विभाग का इंचार्ज था। वह आंधप्रदेश के चिंतापालुदी ग्राम का रहने वाला था और बीते तीन दशकों से नक्सल गतिविधियों में सक्रिय था।

मुठभेड़ की जानकारी देते हुए पुलिस ने बताया कि जंगल में केंद्रीय समिति के सदस्य गौतम उर्फ सुधाकर, तेलंगाना राज्य समिति सदस्य बांदी प्रकाश, दंडकारण्य स्पेशल जोनल कमेटी के सदस्य पप्पा राव सहित कुछ अन्य सशस्त्र माओवादी कैडरों की मौजूदगी की सूचना पर डीआरजी, एसटीएफ और कोबरा की संयुक्त टीम एंटी नक्सल ऑपरेशन पर निकली।

इस दौरान अबूझमाड़ क्षेत्र के अंदरूनी इलाकों में भी जवानों ने सुबह से ही नक्सलियों की घेराबंदी शुरू कर दी थी। इसी दौरान हुई मुठभेड़ में सुधाकर मारा गया।

मुठभेड़ के बाद, सुरक्षा बलों ने मुठभेड़ स्थल से एक एके-47 राइफल, हथियार, गोला-बारूद और विस्फोटक के साथ एक शव बरामद किया और बाद में उसकी पहचान सुधाकर के रूप में हुई, जो मध्य भारत में सक्रिय सबसे बड़े माओवादी नेताओं में से एक था, जिस पर कुल 1 करोड़ रुपए का इनाम घोषित था।

आंध्र प्रदेश के एलुरु जिले (पूर्व में पश्चिम गोदावरी) के चिंतालपुड़ी मंडल के प्रागदावरम गांव में जन्मे टेंटू लक्ष्मी नरसिम्हाचलम उर्फ ​​गौतम उर्फ ​​सुधाकर ने एलुरु के सीआर रेड्डी कॉलेज में पढ़ाई की और बाद में विजयवाड़ा में एक आयुर्वेदिक चिकित्सा पाठ्यक्रम में दाखिला लिया, जिसे उसने अंततः माओवादी आंदोलन में शामिल होने के लिए छोड़ दिया।

इस दौरान साल 2001 से 2003 तक सुधाकर आंध्र-ओडिशा सीमा विशेष क्षेत्रीय समिति (AOBSZC) के सचिव के रूप में कार्य करते हुए रैंक पर चढ़ते गए। 2021 में उन्हें सीपीआई (माओवादी) की केंद्रीय समिति में पदोन्नत किया गया और वे पार्टी की मुख्य वैचारिक प्रशिक्षण इकाई के प्रभारी बने, जिसे रेपोस (क्रांतिकारी राजनीतिक स्कूल) के रूप में जाना जाता है।

सुधाकर की पत्नी का नाम ककराला गुरु स्मृति उर्फ ​​बुदरी उर्फ ​​समथा है, जो कि खुद भी एक वरिष्ठ माओवादी कैडर है और माना जाता है कि वर्तमान में वह मोबाइल पॉलिटिकल स्कूल (MoPOS) में काम कर रही है।

पुलिस सूत्रों ने बताया कि पिछले 17 वर्षों से सुधाकर मुख्य रूप से बस्तर के अबूझमाड़ क्षेत्र से पार्टी की विचारधारा को बढ़ावा देने वाले कार्यक्रमों की देखरेख करता था और पार्टी के भीतर उच्च स्तरीय रणनीतिक संचार का प्रबंधन करता था।

पुलिस रिकॉर्ड के अनुसार, वह आंध्र प्रदेश और छत्तीसगढ़ में कई हिंसक घटनाओं में शामिल था और सिलेरू, मक्कुवा, एल्विनपेटा और अन्नावरम पुलिस क्षेत्राधिकारों में कम से कम चार गंभीर आपराधिक मामलों में उसका नाम दर्ज है, जिनमें हत्या और डकैती से लेकर विस्फोटकों का उपयोग और गैरकानूनी सभा तक के मामले शामिल हैं।

सुरक्षाबलों को बीते दो सप्ताह के दौरान सुधाकर के रूप में दूसरी बड़ी कामयाबी मिली है। इससे पहले उन्होंने सीपीआई (माओवादी) के महासचिव नंबाला केशव राव उर्फ ​​बसवराजू को दो सप्ताह पहले नारायणपुर में मार गिराया था। सुधाकर की मौत के साथ, सुरक्षा एजेंसियों का मानना ​​है कि मध्य भारत में माओवादी आंदोलन को एक और बड़ा वैचारिक और संगठनात्मक झटका लगा है।

बस्तर रेंज के पुलिस महानिरीक्षक सुंदरराज पी ने मृतक की पहचान की पुष्टि की और इसे एक महत्वपूर्ण सफलता बताया। आईजी ने कहा, ‘सुधाकर न केवल एक वरिष्ठ कमांडर था, बल्कि नए रंगरूटों के लिए वैचारिक सलाहकार भी था। उसके मारे जाने से उनकी आंतरिक संरचना और मनोबल बुरी तरह टूट जाएगा।’

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