ईरान और अमेरिका के बीच परमाणु हथियारों को लेकर जारी तनातनी के बीच एक अहम बातचीत रोम में हुई, लेकिन जरा हटकर।
दोनों देश के प्रतिनिधिमंडल एक ही दूतावास में थे, पर अलग-अलग कमरों में। वो न तो आमने-सामने हुए और न ही एक-दूसरे का चेहरा देखा।
बीच में थे ओमान के विदेश मंत्री, जो एक कमरे से दूसरे कमरे तक संदेश पहुंचाते रहे। हालांकि दोनों ने इस वार्ता को रचनात्मक बताया है और अगले सप्ताह फिर से बातचीत करने की बात कही है।
शनिवार को रोम स्थित ओमान के दूतावास में ये बातचीत करीब चार घंटे तक चली, जिसमें ईरान की ओर से विदेश उपमंत्री अब्बास अराकची और अमेरिका की ओर से राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के खास दूत स्टीव विटकॉफ की टीम शामिल थी।
विटकॉफ एक अरबपति रियल एस्टेट कारोबारी हैं, जिन्हें ट्रंप ने कई विदेशी मिशनों पर भेजा है।
ईरानी अधिकारियों ने बताया कि यह बैठक “रचनात्मक” रही और इसमें कुछ “सिद्धांतों और लक्ष्यों” पर बेहतर समझ बनी है।
अराकची ने कहा, “बातचीत सकारात्मक माहौल में हुई और यह आगे बढ़ रही है। हालांकि अभी किसी निष्कर्ष पर पहुंचना जल्दबाजी होगी।”
ओमान की अहम भूमिका
जिस तरह ओमान ने दोनों विरोधी पक्षों को बातचीत के लिए एक ही छत के नीचे लाया, लेकिन आमने-सामने नहीं बैठाया, वह उसकी कूटनीतिक चतुराई को दिखाता है।
ओमान पहले भी कई बार अमेरिका-ईरान के बीच “पुल” की भूमिका निभा चुका है, खासतौर पर 2015 के ऐतिहासिक परमाणु समझौते से पहले।
अमेरिका और ईरान पर क्या बनेगी सहमति?
बातचीत का असली पेंच अब भी वहीं फंसा है — क्या ईरान को शांतिपूर्ण नागरिक परमाणु कार्यक्रम जारी रखने दिया जाएगा, या उसे अपने पूरे परमाणु ढांचे को खत्म करना होगा? ईरान का कहना है कि उसका परमाणु कार्यक्रम पूरी तरह से शांतिपूर्ण है और वो बिजली उत्पादन और चिकित्सा के लिए यूरेनियम संवर्धन कर रहा है।
वहीं पश्चिमी देशों, खासकर अमेरिका को शक है कि ईरान धीरे-धीरे परमाणु बम बनाने की दिशा में आगे बढ़ रहा है।
हाल ही में अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी के प्रमुख राफेल ग्रासी ने कहा था कि ईरान अब परमाणु हथियार हासिल करने से “बहुत दूर नहीं” है। ग्रासी भी शनिवार को रोम में थे और उन्होंने इटली के विदेश मंत्री से मुलाकात की।
ईरान पर ट्रंप का दोहरा संदेश
डोनाल्ड ट्रंप ने दोबारा राष्ट्रपति बनने के बाद फिर से ईरान पर “अधिकतम दबाव” की नीति लागू की है। लेकिन साथ ही उन्होंने मार्च में ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्ला अली खामेनेई को एक पत्र लिखकर बातचीत की पेशकश भी की। उन्होंने यह भी कहा, “मैं बल प्रयोग करने की जल्दी में नहीं हूं, लेकिन अगर बात नहीं बनी तो सैन्य विकल्प खुला है।”