रामी रेंजर मानहानि केस में कोर्ट का फैसला, खालिस्तानियों को झटका, पन्नू को क्यों मिली राहत?…

लंदन हाई कोर्ट ने सिख्स फॉर जस्टिस (एसएफजे) की यूके शाखा द्वारा टोरी पियर और ब्रिटिश सिख एसोसिएशन के अध्यक्ष लॉर्ड रमिंदर सिंह रेंजर के खिलाफ दायर 5 लाख पाउंड (लगभग 5.8 करोड़ रुपये) के मानहानि के दावे को खारिज कर दिया है।

हालांकि, अदालत ने एसएफजे के अमेरिका स्थित जनरल काउंसिल गुरपतवंत सिंह पन्नू द्वारा रेंजर के खिलाफ दायर मानहानि के दावे को आगे बढ़ाने की अनुमति दी है।

यह मामला रेंजर द्वारा साल 2021 में Pakistan Daily को दिए गए एक इंटरव्यू और एक ट्वीट से जुड़ा है, जिसमें उन्होंने दावा किया था कि “सिख्स फॉर जस्टिस और पन्नूं भारत के दुश्मनों द्वारा फंडेड हैं।”

इस टिप्पणी के बाद सिख्स फॉर जस्टिस की UK शाखा और पन्नू दोनों ने 500,000 पाउंड की क्षतिपूर्ति और एक निषेधाज्ञा की मांग करते हुए मानहानि का मुकदमा दायर किया था।

रिपोर्ट के अनुसार, रेंजर ने कहा था, “वे यह गलत जानकारी फैला रहे हैं कि पंजाब में अत्याचार हो रहे हैं और सिखों के साथ बुरा व्यवहार किया जा रहा है- यह सब बकवास है ताकि गुरुद्वारों से आने वाला पैसा हथियाया जा सके।” यह बयान 30 नवंबर 2021 को “लॉर्ड रेंजर ने सिख अलगाववादी नेता की आस्था और फंडिंग पर सवाल उठाए” शीर्षक से प्रकाशित हुआ था।

पन्नूं और SFJ UK का आरोप था कि इस लेख से उनकी छवि को गंभीर नुकसान पहुंचा है। उन्होंने यह दलील दी कि लेख का आशय यह था कि वे “पाकिस्तान और ISI के एजेंट हैं और उनकी फंडिंग संदिग्ध स्रोतों से होती है” और यह कि “पन्नू जानबूझकर पंजाब में सिखों के साथ हो रहे कथित अत्याचारों को बढ़ा-चढ़ाकर पेश कर रहे हैं ताकि गुरुद्वारों से अनुचित रूप से धन प्राप्त किया जा सके।” न्यूयॉर्क स्थित खालिस्तानी वकील पन्नू को भारत सरकार ने आतंकवादी घोषित किया है।

हालांकि, न्यायमूर्ति जे ने SFJ UK की याचिका को खारिज करते हुए कहा कि पूरे लेख में SFJ UK का कोई जिक्र नहीं है और यह लेख केवल अमेरिका स्थित SFJ और पन्नूं पर केंद्रित था। उन्होंने इसे “एक कप चाय में तूफान” करार देते हुए कहा कि “केवल इस आधार पर कि SFJ UK भी इसी संगठन की शाखा है, उन्हें बदनाम किया गया, यह नहीं कहा जा सकता।”

जज ने कहा, “लेख के भाषा और संदर्भ को देखते हुए, मैं यह स्वीकार नहीं कर सकता कि यह यूके शाखा की बात करता है।” उन्होंने वादी के वकील डेविड लेमर को अपील की अनुमति देने से भी इनकार कर दिया और एसएफजे यूके को रेंजर के कानूनी खर्च का भुगतान करने का आदेश दिया।

हालांकि, गुरपतवंत सिंह पन्नू के दावे को अदालत ने आगे बढ़ने की अनुमति दी। पन्नू ने रेंजर के उस बयान पर आपत्ति जताई, जिसमें उन्हें “भारत का दुश्मन” और “पाकिस्तान द्वारा वित्त पोषित” बताया गया था। रेंजर के वकील विलियम बेनेट केसी ने तर्क दिया कि पाकिस्तान द्वारा वित्त पोषित होने का आरोप मानहानिकारक नहीं है, लेकिन अदालत ने इस दलील को पन्नू के मामले में खारिज कर दिया।

रेंजर के लिए काम करने वाले नयाज काजी ने कोर्ट के बाहर टाइम्स ऑफ इंडिया को बताया, “यह चौंकाने वाला है कि एसएफजे और पन्नू द्वारा लाए गए इन तुच्छ आरोपों का इस्तेमाल रमिंदर रेंजर के खिलाफ उनकी सीबीई (कमांडर ऑफ द ऑर्डर ऑफ द ब्रिटिश एम्पायर) की वापसी के फैसले में किया गया।” काजी ने कहा कि यह फैसला रेंजर की प्रतिष्ठा को प्रभावित करने की कोशिश थी।

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